रामगढ़ः राज्य में कोरोना महामारी को लेकर सरकार व जिला प्रशासन चौकस है. संदिग्ध मिलने पर तुरंत क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. रामगढ़ जिले के छत्तरमांडू स्थित ओल्ड एज होम, जिसे क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में प्रशासन इस्तेमाल कर रहा है, वहां कोरोना के संदिग्ध मरीज के रूप में दो चिकित्सकों को भर्ती कराया गया था.
प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी राकेश कच्छप ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में भर्ती अन्य लोगों ने उनसे शिकायत की है, कि यह दोनों चिकित्सक कोरोना के संदिग्ध मरीज के रूप में 9 अप्रैल को यहां भर्ती हुए थे.
इसके बाद से दोनों चिकित्सकों का व्यवहार किसी भी तरीके से उचित नहीं है, वे जहां-तहां थूक रहे हैं. अभद्र व्यवहार कर रहे हैं. लोगों के साथ भी दुर्व्यवहार कर रहे हैं. किसी भी तरीके से वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं. इसलिए इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
राकेश कच्छप ने इस मामले की सूचना डीसी और एसपी को भी दी. इसके बाद इन दोनों के खिलाफ एपिडेमिक एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
रामगढ़ थाना में दोनों चिकित्सकों पर झारखंड राज्य महामारी रोकथाम अधिनियम 1897 की धारा 2,3,4 और भादवि 188,269,270,271 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
मालूम हो कि दोनों चिकित्सक पतरातू के कोतो गांव में निजी अस्पताल में कार्यरत थे. दोनों चिकित्सकों ने बोकारो के कोरोना पीड़ित बुजुर्ग व्यक्ति का इलाज किया था बाद में कोरोना पीड़ित बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी.
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बुजुर्ग की मौत होने के बाद दोनों चिकित्सक पतरातू प्रखंड में अपने निजी अस्पताल में काम करने लगे थे. रामगढ़ जिला प्रशासन को चिकित्सकों ने कोई जानकारी नहीं दी थी
जानकारी होने के बाद जिला प्रशासन ने हिरासत में लेकर दोनों चिकित्सक को 9 अप्रैल को क्वॉरेंटाइन के लिए सदर अस्पताल भेजा था और जहां दोनों चिकित्सक काम कर रहे थे और पतरातू के चैरिटेबल ट्रस्ट के नर्सिंग होम को जिला प्रशासन ने सील कर दिया था. वहां कार्यरत चारों मेडिकल कर्मियों को 14 दिन का होम क्वॉरेंटाइन किया गया है.