रामगढ़: गोबरदरहा गांव की महिला कृषक और अन्य किसानों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) के अंतर्गत तीसी का प्रत्यक्षण कार्य किया. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. तिलहन की उपयुक्त फसलों में तीसी का उत्पादन इस क्षेत्र के लिए काफी लाभकारी है. किसान व्यापारिक दृष्टि से अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं. तीसी (अलसी) रबी की प्रमुख फसल में से एक है. तिलहन फसल की बुआई कर किसान नई तकनीक और मेहनत के बल पर तीसी की खेती कर हैं. किसानों को इस बार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) की खेती के लिए पूरे जिले में प्रखंडवार प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.
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तीसी की गुणवत्ता
तीसी तिलहन फसलों में दूसरी महत्वपूर्ण फसल है. तीसी के पौधे का आर्थिक महत्व का होता है. खेतों में औषधीय फसल को लगाने में किसान इसे अपनाने में रुचि लेने लगे हैं. बहुउद्देशीय फसल होने के चलते तीसी की मांग भी बढ़ी है. तीसी बहुमूल्य तिलहन फसल है जिसका उपयोग कई उद्योगों के साथ दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. अलसी के प्रत्येक भाग का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न रूपों में उपयोग किया जा सकता है. अलसी के बीज से निकलने वाला तेल प्रायः खाने के रूप में उपयोग में नहीं लिया जाता है बल्कि दवाइयां बनाने में होता है. इसके तेल का पेंट्स, वार्निश, स्नेहक बनाने के साथ साथ पैड इंक और प्रेस प्रिटिंग केलिए स्याही तैयार करने में उपयोग किया जाता है. इसका बीज फोड़ों-फुन्सियों में पुल्टिस बनाकर प्रयोग किया जाता है.
तीसी की औषधीय गुणवत्ता
औषधीय गुणों से युक्त अलसी के नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर, ब्लड सुगर, कैंसर, आर्थराइटिस, मोटापा, बांझपन व दुग्ध अल्पता का निवारण होता है.
क्या कहते हैं टीकमचंद महतो
किसान टीकमचंद महतो ने कहा कि हम गांव के लोगों को तीसी की खेती के लिए प्रेरित करेंगे. तीसी की फसल को गेहूं, और चने के साथ अंतरवर्ती फसल के रूप में भी बोया जा सकता है. तिलहन की उपयुक्त फसलों में तीसी का उत्पादन इस क्षेत्र के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है.