रामगढ़ः ग्लेशियर टूटने से उत्तराखंड के चमोली में आई बाढ़ की चपेट में आने से रामगढ़ गोला के चार मजदूर लापता हो गए. शव नहीं मिलने पर उत्तराखंड सरकार ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद मजदूरों के परिजन उत्तराखंड से निराश वापस अपने गांव चोकाद पहुंचे.
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शव और अंतिम दर्शन नहीं मिलने से परिजनों में मायूसी है. लेकिन अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए परिजनों ने मिट्टी का पुतला बनाकर पूरे रीति-रिवाज से उन सभी लापता मजदूरों का अंतिम संस्कार किया गया. चमोली के तपोवन से लाई गई मिट्टी से मजदूर मदन महतो का मूर्ति (पुतला) बनाकर हिंदु विधि-विधान से विधिवत अंतिम संस्कार गोमती नदी स्थित स्थानीय मुक्तिधाम में कर दिया. परिजनों ने बताया कि चमोली की घटना में मदन महतो मिट्टी में दफन हो गए हैं. इसलिए उनका मिट्टी से बनाए गए मूर्ति को दफनाया गया. इधर चोकाद निवासी मिथिलेश महतो और बिरसाय महतो का अंतिम संस्कार भी किया गया.
अंतिम संस्कार में इलाके के समाजसेवी से लेकर गांव के लोग शामिल हुए. अपने प्रियजनों का अंतिम दर्शन नहीं होने का मलाल परिजनों की क्रंदन और चीख-पुकार से साफ झलक रही थी. सात फरवरी को उत्तराखंड में चमोली के तपोवन में ग्लेशियर फटने से रामगढ़ के गोला प्रखंड के चोकाद गांव के तीन और सरलाखुर्द गांव का एक मजदूर लापता हो गए थे. इन मजदूरों का लगभग 20 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक पता नहीं चल पाया है. जिसके बाद परिजनों ने और सगे संबंधियों ने अपने प्रियजनों का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया.