रामगढ़: महाशिवरात्रि का पर्व इस बार कई संयोग लेकर आया है, इस बार महाशिवरात्रि का पर्व और भी अधिक खास है. 117 साल बाद शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में है. यह एक दुर्लभ योग है, महा संयोग सुख और संवृद्धि देने वाला है. फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं. साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.
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शिवरात्रि में यहां विशेष पूजा का भी आयोजन किया गया था, शिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती दोनों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, रजरप्पा में भी विशालकाय 18 फीट का शिवलिंग का मंदिर है, महाशिवरात्रि के दिन यहां भी भक्तजनो का तांता लगा रहता है.
देश के प्रसिद्ध पीठ रजरप्पा मंदिर के बगल में स्थित झारखंड के सबसे ऊंचे शिवलिंग में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने भैरवी और दामोदर के संगम में स्नान कर भगवान महादेव का जलाभिषेक किया. महाशिवरात्रि के इस विशेष पर्व पर सुबह से ही रजरप्पा मंदिर के बगल में स्थित 18 फीट के विशाल शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की काफी भीड़ लगी हुए थी.
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इस मौके पर खासकर महिलाओं की भीड़ ज्यादा देखी गई. हर कोई देवों के देव महादेव से कुछ न कुछ मांगने आया था. शिवभक्तों में भारी उत्साह है, इस महाशिवरात्रि के दौरान भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक का विशेष महत्व है. ऐसे संयोग के दौरान सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होगी, महादेव की कृपा श्रद्धालुओं पर हमेशा बरसती है.
सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर में अवस्थित विशाल शिवलिंग, आवासीय कॉलोनी स्थित शिव मंदिर, चितरपुर स्थित शिवालय और गोला के रायपुरा स्थित बूढ़ा छत्तरधाम में शिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की गई. भगवान शिव की अराधना के लिए शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती दिखी, श्रद्धालुओं ने फल-फूल, बेलपत्र, दूध, गांजा-भांग, धतूरा आदि प्रसाद स्वरूप भोलेनाथ को चढ़ाकर उनकी आराधना कर अपने परिवार की खुशहाल जीवन की प्रार्थना कर रहे हैं.