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कोरोना इफेक्टः सोने चांदी के जेवर बनाने वाले आज बेच रहे सब्जी, सरकार से नहीं मिल रही मदद

रामगढ़ जिले के सुकरीगढ़ा पंचायत के सोने चांदी के कारीगर कोरोना के चलते पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. हालत यह है कि ये लोग घर चलाने के लिए सब्जी, अंडा व फल बेच रहे हैं. यहां की 85 प्रतिशत आबादी सोना चांदी के कारोबार से जुड़ी है. साथ ही यहां के कारीगर जेवरात बनाने के लिए झारखंड में मशहूर हैं.

जेवर बनाने वाले बेच रहे सब्जी
जेवर बनाने वाले बेच रहे सब्जी
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Published : Jun 5, 2020, 10:22 AM IST

रामगढ़ः कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन ने कई परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न कर दी है. कई लोगों ने लॉकडाउन में घर की गाड़ी चलाने के लिए कई लोगो ने अपना धंधा ही बदल लिया है. ऐसा ही एक मामला है, झारखंड में आभूषण बनाने के लिये मशहूर सुकरीगढ़ा के लोगों का, जहां सैकड़ों परिवार लॉक डाउन से पहले सोने-चांदी के चमचमाते आभूषण बनाते थे.

जेवर बनाने वाले बेच रहे सब्जी.

वह आजकल धंधा चौपट होने के कारण सब्जी, अंडा व फल बेचकर अपने व अपने परिवर का भरण-पोषण कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि अगर लॉकडाउन और लंबा चलता तो भूखमरी तक की समस्या आ सकती थी.

रामगढ़ जिला के चितरपुर प्रखंड अंर्तगत सुकरीगढ़ा पंचायत है. यहां स्वर्णकार कारीगरों की संख्या 1 हजार से अधिक है. पंचायत में जितनी आबादी हैं, उसका 85 प्रतिशत लोग सोना चांदी के कारोबार से जुड़े हैं.

इस पंचायत में स्वर्णकार की संख्या सबसे अधिक हैं. सोना चांदी का कारोबार बंद होने से गांव में सन्नाटा छाया है .दो महीने से अधिक समय से लॉकडाउन होने के कारण आम लोगों के बीच रोजगार व आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गया है.

यही नहीं लॉकडाउन के कारण आम लोग से लेकर देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है. रामगढ़ जिले के लगभग 1,000 सोना-चांदी जेवर बनाने वाले कारीगर बेकार पिछले 2 महीने से बैठे हैं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण सोना चांदी की दुकान बंद हैं. लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं.

ऐसे में इनकी सबसे बड़ी समस्या गृहस्थी चलाने की है. कनैजिया सोनार महापरिवार के महासचिव विनय मुन्ना का कहना हैं कि रामगढ़ जिले के लगभग 6 हजार कारीगर भुखमरी के कगार पर हैं. न तो पैसा हैं न ही रोजगार. कारीगर पूरी तरह से त्रस्त हैं.

यह भी पढ़ेंः बिहार-झारखंड का वांटेड हार्डकोर नक्सली पप्पू यादव गिरफ्तार

उन्होंने सरकार से कारीगरों पर ध्यान देने एवं कारीगरों के लिये वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की हैं. स्वर्णकार समाज लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बिखर चुका है.

लंबे समय से सोना चांदी का कारोबार ठप होने से कई कारीगरों ने अपनी रोजी रोजगार बदल दिए हैं कोई सब्जी बेचने लगा तो कोई अंडा है. इन कारीगरों पर न तो जिला प्रशासन और ना ही सरकार ध्यान है. लॉकडाउन इतना बदलाव ला सकता है इसका अंदाजा लोगों को नहीं था, जो कारीगर सोना चांदी का जेवर बनाते थे आज अंडा, फल, सब्जी, सत्तू बेच रहे हैं. कारण बस यही है कि किसी तरह अपना परिवार का गुजर करना.

रामगढ़ः कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन ने कई परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न कर दी है. कई लोगों ने लॉकडाउन में घर की गाड़ी चलाने के लिए कई लोगो ने अपना धंधा ही बदल लिया है. ऐसा ही एक मामला है, झारखंड में आभूषण बनाने के लिये मशहूर सुकरीगढ़ा के लोगों का, जहां सैकड़ों परिवार लॉक डाउन से पहले सोने-चांदी के चमचमाते आभूषण बनाते थे.

जेवर बनाने वाले बेच रहे सब्जी.

वह आजकल धंधा चौपट होने के कारण सब्जी, अंडा व फल बेचकर अपने व अपने परिवर का भरण-पोषण कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि अगर लॉकडाउन और लंबा चलता तो भूखमरी तक की समस्या आ सकती थी.

रामगढ़ जिला के चितरपुर प्रखंड अंर्तगत सुकरीगढ़ा पंचायत है. यहां स्वर्णकार कारीगरों की संख्या 1 हजार से अधिक है. पंचायत में जितनी आबादी हैं, उसका 85 प्रतिशत लोग सोना चांदी के कारोबार से जुड़े हैं.

इस पंचायत में स्वर्णकार की संख्या सबसे अधिक हैं. सोना चांदी का कारोबार बंद होने से गांव में सन्नाटा छाया है .दो महीने से अधिक समय से लॉकडाउन होने के कारण आम लोगों के बीच रोजगार व आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गया है.

यही नहीं लॉकडाउन के कारण आम लोग से लेकर देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है. रामगढ़ जिले के लगभग 1,000 सोना-चांदी जेवर बनाने वाले कारीगर बेकार पिछले 2 महीने से बैठे हैं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण सोना चांदी की दुकान बंद हैं. लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं.

ऐसे में इनकी सबसे बड़ी समस्या गृहस्थी चलाने की है. कनैजिया सोनार महापरिवार के महासचिव विनय मुन्ना का कहना हैं कि रामगढ़ जिले के लगभग 6 हजार कारीगर भुखमरी के कगार पर हैं. न तो पैसा हैं न ही रोजगार. कारीगर पूरी तरह से त्रस्त हैं.

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उन्होंने सरकार से कारीगरों पर ध्यान देने एवं कारीगरों के लिये वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की हैं. स्वर्णकार समाज लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बिखर चुका है.

लंबे समय से सोना चांदी का कारोबार ठप होने से कई कारीगरों ने अपनी रोजी रोजगार बदल दिए हैं कोई सब्जी बेचने लगा तो कोई अंडा है. इन कारीगरों पर न तो जिला प्रशासन और ना ही सरकार ध्यान है. लॉकडाउन इतना बदलाव ला सकता है इसका अंदाजा लोगों को नहीं था, जो कारीगर सोना चांदी का जेवर बनाते थे आज अंडा, फल, सब्जी, सत्तू बेच रहे हैं. कारण बस यही है कि किसी तरह अपना परिवार का गुजर करना.

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