रामगढ़: जिले में शैक्षणिक व्यवस्था का गजब हाल है. भारी भरकम सैलरी लेने वाले शिक्षक मनमाना हैं और शैक्षणिक व्यवस्था गर्त में जा रही है. रामगढ़ जिले के दो स्कूलों की ग्राउंड रिपोर्ट से एक बार फिर इसका खुलासा हुआ है. इन स्कूलों में कहीं शिक्षक स्कूल में सोते मिले तो कहीं शिक्षक न होने से बच्चे ही बच्चों को पढ़ाते मिले. इससे आप सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं.
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बूढ़ा खाप प्राइमरी स्कूलः बता दें कि ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले बूढ़ाखाप के प्राइमरी स्कूल पहुंची. यहां एक कमरे में एक टीचर जमीन में आराम से सोए मिले. कैमरा देख बताया कि सिर में दर्द था. हालांकि इस स्कूल में 26 बच्चों का नामांकन है जबकि 12 बच्चे उपस्थित थे.
बच्चे-बच्चों को पढ़ा रहे उनकी पढ़ाई छूट रहीः आसपास के इलाके के बच्चे इस स्कूल में पढ़ने तो आते हैं लेकिन उन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल पाती है. क्योंकि प्राइमरी के टीचर ही छठी सातवीं और आठवीं के बच्चों को भी पढ़ाते हैं. बच्चों ने कहा कि उन्हें काफी कठिनाई होती है कभी-कभी यदि एक टीचर नहीं पहुंचते हैं तो अपने से नीचे के क्लास के बच्चों को पढ़ाना होता है और जब उनके क्लास में टीचर पढ़ाने पहुंचते हैं तो उनकी पढ़ाई छूट जाती है.
इस संबंध में स्कूल के प्राचार्य का कहना था कि यह स्कूल प्राइमरी से उत्क्रमित हुआ है. लेकिन उत्क्रमित मध्य विद्यालय होने के बावजूद प्राइमरी क्लास के शिक्षक ही उत्क्रमित बच्चों को पढ़ा रहे हैं दिक्कत तो होती है लेकिन क्या करें मजबूरी है. सरकार से और शिक्षा विभाग से बार-बार शिक्षकों की कमी की दुहाई दी गई है. लेकिन इस पर अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है. इस स्कूल में तड़ित चालक भी नहीं है.
स्कूल में बंधते हैं मवेशी, पानी की भी कमीः स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल की बाउंड्री नहीं है. इससे लोग स्कूल में मवेशी बांध देते हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है. यही नहीं इस स्कूल में पानी की कमी है, जिसके कारण बच्चे शौचालय इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.