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लुकैयाटांड में शहीद सोबरन सोरेन को सीएम और दिशोम गुरु ने दी श्रद्धांजलि, आदिवासियों को दी कई नसीहत

रामगढ़ के लुकैयाटांड में शहीद सोबरन सोरेन शहादत दिवस पर रविवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया ( Sobaran Soren Martyrdom Day Program) . इसमें सीएम हेमंत सोरेन और दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने शिरकत की. इस दौरान दिशोम गुरु ने आदिवासियों को कई नसीहत दी.

Sobaran Soren Martyrdom Day program
शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा का अनावरण
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Published : Nov 27, 2022, 7:30 PM IST

रामगढ़: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन रविवार को रामगढ़ पहुंचे. दोनों नेताओं ने यहां शहीद सोबरन सोरेन शहादत दिवस कार्यक्रम में शिरकत की. रामगढ़ के लुकैयाटांड स्थित स्मारक स्थल पर शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा का अनावरण किया. दोनों नेताओं ने शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि भी दी( Sobaran Soren Martyrdom Day Program). इस दौरान आदिवासियों को कई नसीहत भी दी.

ये भी पढ़ें-रांची में डीलिस्टिंग आदिवासी महारैली, धर्म बदलने वाले लोगों को एसटी सूची से बाहर करने की मांग

बता दें कि झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का पैतृक गांव रामगढ़ जिले के लुकैयाटांड में है और शहीद सोबरन सोरेन दिशोम गुरु के पिता हैं. सोबरन सोरेन शिक्षक थे और जमींदारी प्रथा का विरोध करते थे. इससे क्षुब्ध होकर स्थानीय जमींदारों ने उनकी हत्या 27 नवंबर 1957 को लुकैयाटांड में कर दी थी. इसके बाद से सोबरन सोरेन का शहादत दिवस इसी स्थान पर हर वर्ष मनाया जाता है. इसी को लेकर आज झारखंड के दोनों नेता पैतृक गांव लुकैयाटांड पहुंचे, जहां सोबरन सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की और कई योजनाओं का उद्घाटन किया.

देखें पूरी खबर
सीएम ने सुनाई संघर्ष की कहानीः इस कार्यक्रम में सीएम हेमंत सोरेन ने अपने दादा के संघर्ष की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि उनके दादा सोबरन सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया था, जिसके कारण उनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद उनके पिता गुरु शिबू सोरेन ने भी जमींदारी प्रथा और महाजनी प्रथा का विरोध किया. इसके बाद इस प्रथा से मुक्ति मिली. उन्होंने झारखंड के गरीब गुरबों के लिए आंदोलन कर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. इसके अलावा सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं. गुरु की सीखः वहीं दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने कहा कि उस जमाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, काफी लड़ाइयां लड़नी पड़ी थी. लेकिन अब जब सब कुछ सामान्य हो गया है लड़कर हम लोग हासिल कर लिए हैं तो अब बच्चों को शिक्षा जरूर दें. हड़िया दारु का बहिष्कार गांव-गांव में किया जाए और शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए ताकि गांव के सभी बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें. जब शिक्षित हो जाएंगे तो अपनी बेहतरी और रोजगार की ओर ध्यान देंगे तब झारखंड का और तेजी से विकास होगा.सीएम ने दी यह सौगातः बता दें कि शहादत स्थल पर दूर दराज से ग्रामीण श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. शहादत स्थल के आस पास मेले जैसा माहौल था. इस दौरान झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने शहादत सभा स्थल के पास से ऑनलाइन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत आर के गर्ल्स गढ़वा के नवनिर्मित भवन, राजकीय बालिका उच्च विद्यालय और मॉडल विद्यालय मसलिया दुमका का ऑनलाइन उद्घाटन भी किया. इधर मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी. जेएमएम कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सुनने के लिए पहुंचे थे.ये भी रहे मौजूद: इस कार्यक्रम में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री फागु बेसरा, रामगढ़ विधायक ममता देवी, जेएमएम जिला कमिटी के पदाधिकारी, रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा, रामगढ़ एसपी पियूष पांडे आदि मौजूद थे.

रामगढ़: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन रविवार को रामगढ़ पहुंचे. दोनों नेताओं ने यहां शहीद सोबरन सोरेन शहादत दिवस कार्यक्रम में शिरकत की. रामगढ़ के लुकैयाटांड स्थित स्मारक स्थल पर शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा का अनावरण किया. दोनों नेताओं ने शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि भी दी( Sobaran Soren Martyrdom Day Program). इस दौरान आदिवासियों को कई नसीहत भी दी.

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बता दें कि झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का पैतृक गांव रामगढ़ जिले के लुकैयाटांड में है और शहीद सोबरन सोरेन दिशोम गुरु के पिता हैं. सोबरन सोरेन शिक्षक थे और जमींदारी प्रथा का विरोध करते थे. इससे क्षुब्ध होकर स्थानीय जमींदारों ने उनकी हत्या 27 नवंबर 1957 को लुकैयाटांड में कर दी थी. इसके बाद से सोबरन सोरेन का शहादत दिवस इसी स्थान पर हर वर्ष मनाया जाता है. इसी को लेकर आज झारखंड के दोनों नेता पैतृक गांव लुकैयाटांड पहुंचे, जहां सोबरन सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की और कई योजनाओं का उद्घाटन किया.

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सीएम ने सुनाई संघर्ष की कहानीः इस कार्यक्रम में सीएम हेमंत सोरेन ने अपने दादा के संघर्ष की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि उनके दादा सोबरन सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया था, जिसके कारण उनकी हत्या कर दी गई. इसके बाद उनके पिता गुरु शिबू सोरेन ने भी जमींदारी प्रथा और महाजनी प्रथा का विरोध किया. इसके बाद इस प्रथा से मुक्ति मिली. उन्होंने झारखंड के गरीब गुरबों के लिए आंदोलन कर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. इसके अलावा सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं. गुरु की सीखः वहीं दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने कहा कि उस जमाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, काफी लड़ाइयां लड़नी पड़ी थी. लेकिन अब जब सब कुछ सामान्य हो गया है लड़कर हम लोग हासिल कर लिए हैं तो अब बच्चों को शिक्षा जरूर दें. हड़िया दारु का बहिष्कार गांव-गांव में किया जाए और शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए ताकि गांव के सभी बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें. जब शिक्षित हो जाएंगे तो अपनी बेहतरी और रोजगार की ओर ध्यान देंगे तब झारखंड का और तेजी से विकास होगा.सीएम ने दी यह सौगातः बता दें कि शहादत स्थल पर दूर दराज से ग्रामीण श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. शहादत स्थल के आस पास मेले जैसा माहौल था. इस दौरान झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने शहादत सभा स्थल के पास से ऑनलाइन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत आर के गर्ल्स गढ़वा के नवनिर्मित भवन, राजकीय बालिका उच्च विद्यालय और मॉडल विद्यालय मसलिया दुमका का ऑनलाइन उद्घाटन भी किया. इधर मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी. जेएमएम कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सुनने के लिए पहुंचे थे.ये भी रहे मौजूद: इस कार्यक्रम में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री फागु बेसरा, रामगढ़ विधायक ममता देवी, जेएमएम जिला कमिटी के पदाधिकारी, रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा, रामगढ़ एसपी पियूष पांडे आदि मौजूद थे.
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