रामगढ़: दुनिया भर में फैले कोरोना महामारी के कारण राज्य के तीर्थस्थलों में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है. इसके कारण कोई भी श्रद्धालु मंदिरों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. हमेशा श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहने वाला मां छिन्नमस्तिके मंदिर परिसर इस बार सावन की तीसरी सोमवारी में भी सुना रहा.
कोयलांचल सहित आसपास के कांवरिए देवघर रवाना होने से पहले रजरप्पा पहुंचकर मां छिन्नमस्तिके मंदिर में स्थापित 18 फीट ऊंचे शिवलिंग में जलाभिषेक जरूर करते थे और कई श्रद्धालु देवघर में पूजा करने के बाद माता का आशीर्वाद लेने यहां पहुंचते थे. श्रद्धालुओं का मानना है कि शिव के साथ शक्ति की भी आराधना जरूरी होती है लेकिन इस बार विकट परिस्थिति के कारण मंदिर प्रक्षेत्र पूरी तरह सुना पड़ा है.
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रजरप्पा न सिर्फ प्रसिद्ध शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है बल्कि यहां 18 फिट का विशाल शिवलिंग भी स्थापित है. राजस्थान के चुनिंदा पत्थरों से निर्मित यह शिवलिंग यहां आनेवाले श्रद्धालुओं के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. इस शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा साल 2002 में हुई है.मंदिर न्यास समिति के सचिव शुभाशीष पंडा ने बताया कि हर साल सावन महीने में देवघर के बाबाधाम में जलाभिषेक करने के बाद श्रद्धालु रजरप्पा में मां भगवती के दर्शन करने यहां आते थे. यह पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता था. दामोदर-भैरवी नदी संगम से कांवरिया लोग स्नान कर इस विशाल शिवलिंग में भी जलाभिषेक करते थे. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां शिव और शक्ति दोनों का वास है. रजरप्पा में शिव और शक्ति दोनों के दर्शन हो जाते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई भी श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच रहे. पंडा समाज के लोग ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं.