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महात्मा गांधी-लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर श्रद्धांजलि, जानें राष्ट्रपिता का रामगढ़ से क्या है कनेक्शन

देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शस्त्री की 116वीं जयंती मना रहा है. रामगढ़ में भी दोनों महापुरुषों की जयंती भी कोरोना काल में सादगी पूर्वक मनाई गई. रामगढ़ के थाना चौक स्थित गांधी घाट में जिले के तमाम अधिकारी और कमिटी के सदस्यों की ओर से लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई.

birth anniversary of mahatma gandhi and lal bahadur shastri celebrated in ramgarh
फाइल फोटो
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Published : Oct 2, 2020, 2:38 PM IST

रामगढ़: आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है. इस मौके पर देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. रामगढ़ के दामोदर नदी स्थित गांधी घाट में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर आम लोगों के साथ-साथ जिले के तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे.

देखें पूरी खबर
देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शस्त्री की 116वीं जयंती मना रहा है. रामगढ़ में दोनों महापुरुषों की जयंती भी कोरोना काल में सादगी पूर्वक मनाई गई. थाना चौक स्थित गांधी घाट में जिले के तमाम अधिकारी और कमेटि के सदस्यों की ओर से लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई. उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर माल्यार्पण किया गया. आज सभी लोग वैश्विक महामारी के बीच सादगी पूर्वक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहे हैं.

1940 में आखिरी बार झारखंड आए थे बापू

रामगढ़ में 1940 में कांग्रेस का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था. जिसमें महात्मा गांधी शामिल होने पहुंचे थे. गांधी की यादें रामगढ़ से पुरानी है. राष्ट्रपिता की जो यादें और अनुभव रामगढ़ जिले के प्रति रही हैं, उनका आज गांधी घाट एक प्रतीक है. 1940 में महात्मा गांधी अंतिम दफा झारखंड आए थे. मार्च महीने में रामगढ़ में कांग्रेस के 53वें वार्षिक अधिवेशन में हिस्सा लेने गए थे. रामगढ़ का अधिवेशन गांधीजी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण था. रामगढ़ अधिवेशन में 20 मार्च 1940 को कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में भाग लेने के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया था.

16 कलशों में एक कलश रामगढ़ में

वहीं, गांधी घाट संस्था के सदस्य ने कहा कि संस्था की ओर से हर वर्ष पुण्यतिथि और जन्मदिन के अवसर पर इस समाधि स्थल पर कार्यक्रम आयोजित की जाती है. रामगढ़ जिले के लिए यह सौभाग्य की बात है कि 16 कलशों में से एक कलश रामगढ़ लाया गया था और यहां स्थापित किया गया था. उसी स्थल पर समाधि का निर्माण किया गया है. मालूम हो कि रामगढ़ जिले के दामोदर नदी स्थित मुक्तिधाम में महात्मा गांधी का अस्थि कलश रखा गया है. सोलह अस्थि कलश में से एक अस्थि कलश को रामगढ़ में 30 जनवरी 1948 को यहां लाया गया था.

इसे भी पढ़ें- नशा विरोधी दिवस : इन तरीकों से ड्रग्स की लत से पाएं मुक्ति

रामगढ़ से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कई यादें भी जुड़ी हुई हैं. रामगढ़ में ही नरम दल और गरम दल का गठन हुआ था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में 18 से 20 मार्च तक 1940 में रामगढ़ में हुआ था. इस दौरान यहां महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं की भागीदारी हुई थी. जिनकी जोशीले संबोधन से लोगों में ऊर्जा, तेज और उत्साह का संचार हुआ था. रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव पड़ी, जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली.

गांधी का रामगढ़ कनेक्शन

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 से 20 मार्च 1940 में रामगढ़ में हुआ था, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे.

  • महात्मा गांधी अधिवेशन में शामिल होने के लिए रांची से टिफिन गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे थे.

  • अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी गांधीजी ने किया था.

  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 में हुई थी, उसके बाद उनका आस्थि कलश रामगढ़ लाया गया था.
  • दामोदर नदी घाट के किनारे गांधी की समाधि का निर्माण किया गया था, जो आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है.
  • रामगढ़ में आयोजित अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी.

  • अधिवेशन के 6 साल बाद देश को आजादी मिली थी.

  • जिस स्थल पर अधिवेशन का आयोजन किया गया था, वहां पर अभी अशोक का स्तंभ बना हुआ है.
  • अशोक का स्तंभ वाला हिस्सा सिख रेजिमेंट सेंटर के अंदर चला गया है.
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी घाट पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

रामगढ़: आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है. इस मौके पर देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. रामगढ़ के दामोदर नदी स्थित गांधी घाट में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर आम लोगों के साथ-साथ जिले के तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे.

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देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शस्त्री की 116वीं जयंती मना रहा है. रामगढ़ में दोनों महापुरुषों की जयंती भी कोरोना काल में सादगी पूर्वक मनाई गई. थाना चौक स्थित गांधी घाट में जिले के तमाम अधिकारी और कमेटि के सदस्यों की ओर से लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई. उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर माल्यार्पण किया गया. आज सभी लोग वैश्विक महामारी के बीच सादगी पूर्वक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहे हैं.

1940 में आखिरी बार झारखंड आए थे बापू

रामगढ़ में 1940 में कांग्रेस का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था. जिसमें महात्मा गांधी शामिल होने पहुंचे थे. गांधी की यादें रामगढ़ से पुरानी है. राष्ट्रपिता की जो यादें और अनुभव रामगढ़ जिले के प्रति रही हैं, उनका आज गांधी घाट एक प्रतीक है. 1940 में महात्मा गांधी अंतिम दफा झारखंड आए थे. मार्च महीने में रामगढ़ में कांग्रेस के 53वें वार्षिक अधिवेशन में हिस्सा लेने गए थे. रामगढ़ का अधिवेशन गांधीजी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण था. रामगढ़ अधिवेशन में 20 मार्च 1940 को कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में भाग लेने के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया था.

16 कलशों में एक कलश रामगढ़ में

वहीं, गांधी घाट संस्था के सदस्य ने कहा कि संस्था की ओर से हर वर्ष पुण्यतिथि और जन्मदिन के अवसर पर इस समाधि स्थल पर कार्यक्रम आयोजित की जाती है. रामगढ़ जिले के लिए यह सौभाग्य की बात है कि 16 कलशों में से एक कलश रामगढ़ लाया गया था और यहां स्थापित किया गया था. उसी स्थल पर समाधि का निर्माण किया गया है. मालूम हो कि रामगढ़ जिले के दामोदर नदी स्थित मुक्तिधाम में महात्मा गांधी का अस्थि कलश रखा गया है. सोलह अस्थि कलश में से एक अस्थि कलश को रामगढ़ में 30 जनवरी 1948 को यहां लाया गया था.

इसे भी पढ़ें- नशा विरोधी दिवस : इन तरीकों से ड्रग्स की लत से पाएं मुक्ति

रामगढ़ से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कई यादें भी जुड़ी हुई हैं. रामगढ़ में ही नरम दल और गरम दल का गठन हुआ था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में 18 से 20 मार्च तक 1940 में रामगढ़ में हुआ था. इस दौरान यहां महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं की भागीदारी हुई थी. जिनकी जोशीले संबोधन से लोगों में ऊर्जा, तेज और उत्साह का संचार हुआ था. रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव पड़ी, जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली.

गांधी का रामगढ़ कनेक्शन

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 से 20 मार्च 1940 में रामगढ़ में हुआ था, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे.

  • महात्मा गांधी अधिवेशन में शामिल होने के लिए रांची से टिफिन गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे थे.

  • अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी गांधीजी ने किया था.

  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 में हुई थी, उसके बाद उनका आस्थि कलश रामगढ़ लाया गया था.
  • दामोदर नदी घाट के किनारे गांधी की समाधि का निर्माण किया गया था, जो आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है.
  • रामगढ़ में आयोजित अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी.

  • अधिवेशन के 6 साल बाद देश को आजादी मिली थी.

  • जिस स्थल पर अधिवेशन का आयोजन किया गया था, वहां पर अभी अशोक का स्तंभ बना हुआ है.
  • अशोक का स्तंभ वाला हिस्सा सिख रेजिमेंट सेंटर के अंदर चला गया है.
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी घाट पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
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