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रामगढ़ः कर्नाटक से 1540 प्रवासी मजदूर पहुंचे बरकाकाना स्टेशन, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

कर्नाटक के बेंगलुरु से 1540 प्रवासी मजदूर रामगढ़ के बरकाकाना रेलवे स्टेशन पहुंचे. जहां से अधिकारी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए सभी मजदूरों को स्टेशन से बाहर ले गए. उसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गई.

कर्नाटक से 1540 प्रवासी मजदूर पहुंचे बरकाकाना स्टेशन
1540 migrant workers reached Barkakana station from Karnataka
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Published : May 21, 2020, 8:45 PM IST

रामगढ़: कर्नाटक के बेंगलुरु से 1540 प्रवासी मजदूर जिले के बरकाकाना रेलवे स्टेशन पहुंचे. जहां अधिकारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए सभी मजदूरों को स्टेशन से बाहर ले गए, लेकिन अन्य जिलों से आए मजिस्ट्रेट सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए क्षमता से अधिक मजदूरों को बसों में बैठाकर अपने जिले ले गए.

देखें पूरी खबर

अधिकारियों का नहीं मिल रहा सहयोग

बरकाकाना रेलवे स्टेशन पर मजदूरों के सही संख्या में पहुंचने की जानकारी नहीं होने के कारण कई जिलों के मजिस्ट्रेट काफी परेशान दिखे. खूंटी जिले से मजिस्ट्रेट के रूप में यहां शिक्षक को भेजा गया था जो काफी परेशान थे. उनका कहना था कि एक छोटी गाड़ी दी गई है, जिसमें 7 लोग ही जा सकते हैं. पहले से ही उसमें 9 लोग दूसरे जिले से आकर बैठ गए हैं. अभी 20 और लोगों को बैठाना है. कैसे लेकर जाएंगे काफी परेशान हैं. खूंटी जिले के अधिकारियों का भी सहयोग नहीं मिल रहा है. शिक्षक की ओर से प्रशासन पर कई आरोप भी लगाए गए.

ये भी पढ़ें-MSME टूल रूम की कोरोना टेस्टिंग किट निर्माण में अहम भूमिका, सस्ते दर पर होगा उपलब्ध

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

उनका कहना है कि शुरुआती दौर में उनलोगों को रास्ते के खर्च दिए जाते थे, लेकिन अब सबकुछ बंद हो गया है. केवल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त कर भेज दिया जाता है और किसी भी तरह का कोई रास्ते का खर्च भी नहीं दिया जाता है. वहीं, सरायकेला से पहुंचे मजिस्ट्रेट ने बताया कि उन्हें 70 श्रमिकों की लिस्ट मिली है और 2 बसें दी गई है. अगर नियमानुसार बसों में बैठाया जाए तो 50 से अधिक लोग नहीं बैठेंगे, लेकिन जो लिस्ट दी गई है, उसी के अनुसार उन्हें बैठाना है. सोशल डिस्टेंसिंग के सवाल पर उनका कहना था कि जिस तरह का आदेश है, उसी का अनुपालन कर लोगों को ले जाना है.

सोशल डिस्टेंसिंग को किया अनदेखा

वैश्विक महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ लोगों को जिला प्रशासन की ओर से खूब पढ़ाया जा रहा है, लेकिन बरकाकाना रेलवे स्टेशन पर प्रवासी श्रमिकों को लेने पहुंचे अन्य जिलों के अधिकारियों की ओर से इसका ख्याल नहीं रखा जा रहा है. बसों में क्षमता से अधिक श्रमिकों को बैठाकर ले जाया गया. क्योंकि उनके जिले से जो बसें आ रही हैं, उनकी संख्या कम है, जिसके कारण प्रवासी श्रमिक सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर बसों में ठूस-ठूस कर अपने-अपने जिले ले जाए जा रहे हैं.

रामगढ़: कर्नाटक के बेंगलुरु से 1540 प्रवासी मजदूर जिले के बरकाकाना रेलवे स्टेशन पहुंचे. जहां अधिकारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए सभी मजदूरों को स्टेशन से बाहर ले गए, लेकिन अन्य जिलों से आए मजिस्ट्रेट सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए क्षमता से अधिक मजदूरों को बसों में बैठाकर अपने जिले ले गए.

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अधिकारियों का नहीं मिल रहा सहयोग

बरकाकाना रेलवे स्टेशन पर मजदूरों के सही संख्या में पहुंचने की जानकारी नहीं होने के कारण कई जिलों के मजिस्ट्रेट काफी परेशान दिखे. खूंटी जिले से मजिस्ट्रेट के रूप में यहां शिक्षक को भेजा गया था जो काफी परेशान थे. उनका कहना था कि एक छोटी गाड़ी दी गई है, जिसमें 7 लोग ही जा सकते हैं. पहले से ही उसमें 9 लोग दूसरे जिले से आकर बैठ गए हैं. अभी 20 और लोगों को बैठाना है. कैसे लेकर जाएंगे काफी परेशान हैं. खूंटी जिले के अधिकारियों का भी सहयोग नहीं मिल रहा है. शिक्षक की ओर से प्रशासन पर कई आरोप भी लगाए गए.

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सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

उनका कहना है कि शुरुआती दौर में उनलोगों को रास्ते के खर्च दिए जाते थे, लेकिन अब सबकुछ बंद हो गया है. केवल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त कर भेज दिया जाता है और किसी भी तरह का कोई रास्ते का खर्च भी नहीं दिया जाता है. वहीं, सरायकेला से पहुंचे मजिस्ट्रेट ने बताया कि उन्हें 70 श्रमिकों की लिस्ट मिली है और 2 बसें दी गई है. अगर नियमानुसार बसों में बैठाया जाए तो 50 से अधिक लोग नहीं बैठेंगे, लेकिन जो लिस्ट दी गई है, उसी के अनुसार उन्हें बैठाना है. सोशल डिस्टेंसिंग के सवाल पर उनका कहना था कि जिस तरह का आदेश है, उसी का अनुपालन कर लोगों को ले जाना है.

सोशल डिस्टेंसिंग को किया अनदेखा

वैश्विक महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ लोगों को जिला प्रशासन की ओर से खूब पढ़ाया जा रहा है, लेकिन बरकाकाना रेलवे स्टेशन पर प्रवासी श्रमिकों को लेने पहुंचे अन्य जिलों के अधिकारियों की ओर से इसका ख्याल नहीं रखा जा रहा है. बसों में क्षमता से अधिक श्रमिकों को बैठाकर ले जाया गया. क्योंकि उनके जिले से जो बसें आ रही हैं, उनकी संख्या कम है, जिसके कारण प्रवासी श्रमिक सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखकर बसों में ठूस-ठूस कर अपने-अपने जिले ले जाए जा रहे हैं.

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