पलामूः 1961 से प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को वर्ल्ड थिएटर डे मनाया जाता है. कोविड-19 काल में रंगमंच कलाकारों के लिए बड़ी चुनौती रही, वे भुखमरी के कगार पर पंहुच गए. कई थिएटर बंद हो गए. जबकि दर्जनों कलाकारों ने दम तोड़ दिया. इन सबके बीच पलामू में कलाकारों की एक ऐसी टोली है, जिसने चुनौतियों से पार पाते हुए रंगमंच को जिंदा रखा है. कोविड 19 का संकट कम हो गया है और एक बार फिर से थिएटर में शो की तैयारी शुरू हो गई है. कलाकार दर्शकों के लिए फिर से शो तैयार कर रहे हैं और लंबे अरसे के बाद उन्हें दर्शकों का इंतजार है.
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भुखमरी के कगार पर पंहुच गए थे कलाकार, सोशल मीडिया बनी नई चुनौतीः कोविड-19 काल में रंगमंच के कलाकार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे. कोविड-19 काल की पाबंदियों सबसे अंतिम में थिएटर को ही छूट मिली है. पलामू के इलाके में तीन दर्जन से अधिक कलाकार रंगमंच से जुड़े हुए हैं. पिछले दो वर्षों से सारे शो और आयोजन बंद हो गए थे. जिस कारण कलाकारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. रंगमंच कलाकार संजीव सिंह बताते हैं कि उनके लिए यह संकटों भरा दौर रहा है, लेकिन इस संकट को पार पाते हुए एक बार फिर से वह हौसलों की उड़ान भरने को तैयार हैं. सोशल मीडिया ने कोविड-19 काल में एक नई राह खोली है. शॉर्ट वीडियो और रील्स रंगमंच कलाकारों के लिए नई चुनौती पेश की है तो नया रास्ता भी खोला है. कलाकार सैकत चैटर्जी बताते हैं कि कोविड-19 काल से ज्यादा चुनौती रंगमंच पर नाटक को वापस लाना है. धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है.
रंगकर्मियों को वापस मंच पर लाने के लिए बड़ी तैयारी, दर्शकों के वापस लौटने की उम्मीदः कोविड-19 के संकट से निकलते हुए एक बार फिर से रंगकर्मियों को वापस रंगमंच पर लाने के लिए बड़ी तैयारी शुरू हो गई है. पलामू में 17 अप्रैल को बड़ा आयोजन होने वाला है, इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है. कला संस्कृति विभाग द्वारा पलामू में रंगकर्मियों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. कलाकार मुनमुन चक्रवर्ती और मनीषा बताती हैं कि वे तैयारी में जुट गई हैं. उम्मीद है कि दर्शक थिएटर तक आएंगे और उनके शो को देखेंगे. दर्शकों के लौटने के साथ ही उनके चेहरे पर भी खुशी लौट आएगी, कलाकार को तो दर्शक चाहिए.