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Earth Day 2023: लोगों के लिए पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल की सलाह, नहीं चेते तो छोड़ना पड़ जाएगा पलामू - jharkhand temperature

विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर पलामू के पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि अभी भी सावधानी नहीं बरती गई तो यहां रहने वाले लोगों को यह इलाका बदलना पड़ जाएगा.

Earth Day 2023
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Published : Apr 22, 2023, 11:34 AM IST

पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल से ईटीवी भारत की खास बातचीत

पलामू: 22 अप्रैल यानी आज विश्व पृथ्वी दिवस है. आज के दिन पूरे विश्व में पर्यावरण के संरक्षण और पृथ्वी को बचाने की चर्चाएं चल रही हैं. आज के दौर में तेजी से कई इलाकों के मौसम बदल रहे हैं, कई इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है तो कई इलाकों में गर्मी के दिनों में बारिश हो रही है. पृथ्वी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल के साथ बातचीत की है. कौशल किशोर जायसवाल पिछले चार दशक से भी अधिक समय से पर्यावरण के संरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं.

यह भी पढ़ें:Jharkhand News: नेपाल में बैठे पीएलएफआई सुप्रीमो के इशारे पर सक्रिय हुआ हाजत से भागा कृष्णा, दबिश के लिए पांच जिलों में बनी एसआईटी

वनों को राखी बांधकर बचाने की मुहिम की शुरुआत कौशल किशोर जायसवाल ने ही की थी. कौशल किशोर जायसवाल भारत के अलावा नेपाल, भूटान समेत कई देशों में 50 लाख से भी अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. कौशल किशोर बताते हैं कि पृथ्वी दिवस के मौके पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर शपथ लेने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि बदलते हालात को देखते हुए 1969 से पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय हुआ था. लेकिन पर्यावरण की हालत यह है कि आज पूरे विश्व में 1 हजार 372 प्रकार के पेड़ पौधे, 37 जीव और पानी के अंदर रहने वाले 47 जीव विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं. आज झारखंड के पलामू और गोड्डा जैसे इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है. दोनों इलाकों में बड़े पैमाने पर माइनिंग होती है. नतीजा है दोनों इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है.

'आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण के साथ अनर्थ कर रहे लोग': उन्होंने बताया कि इसी तरह माइनिंग होती रही तो तापमान और बढ़ेगा. एक दिन ऐसा भी आएगा, जब गर्मियों के दिनों में लोगों को इलाके को छोड़ना होगा. लोग आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण के साथ अनर्थ कर रहे हैं, जिसका नुकसान आने वाली पीढ़ी को उठाना पड़ेगा. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि 2013 में पानी पंचायत योजना को लागू किया गया था. इस योजना के तहत देश के प्रत्येक पंचायतों में पानी के संरक्षण के लिए अभियान की शुरुआत की गयी थी. आज पानी पंचायत जैसी योजना की रफ्तार धीमी है. उन्होंने बताया कि लोगों को पर्यावरण को धर्म मानकर पेड़ लगाने की जरूरत है.

पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल से ईटीवी भारत की खास बातचीत

पलामू: 22 अप्रैल यानी आज विश्व पृथ्वी दिवस है. आज के दिन पूरे विश्व में पर्यावरण के संरक्षण और पृथ्वी को बचाने की चर्चाएं चल रही हैं. आज के दौर में तेजी से कई इलाकों के मौसम बदल रहे हैं, कई इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है तो कई इलाकों में गर्मी के दिनों में बारिश हो रही है. पृथ्वी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल के साथ बातचीत की है. कौशल किशोर जायसवाल पिछले चार दशक से भी अधिक समय से पर्यावरण के संरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं.

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वनों को राखी बांधकर बचाने की मुहिम की शुरुआत कौशल किशोर जायसवाल ने ही की थी. कौशल किशोर जायसवाल भारत के अलावा नेपाल, भूटान समेत कई देशों में 50 लाख से भी अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. कौशल किशोर बताते हैं कि पृथ्वी दिवस के मौके पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर शपथ लेने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि बदलते हालात को देखते हुए 1969 से पृथ्वी दिवस मनाने का निर्णय हुआ था. लेकिन पर्यावरण की हालत यह है कि आज पूरे विश्व में 1 हजार 372 प्रकार के पेड़ पौधे, 37 जीव और पानी के अंदर रहने वाले 47 जीव विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं. आज झारखंड के पलामू और गोड्डा जैसे इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है. दोनों इलाकों में बड़े पैमाने पर माइनिंग होती है. नतीजा है दोनों इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है.

'आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण के साथ अनर्थ कर रहे लोग': उन्होंने बताया कि इसी तरह माइनिंग होती रही तो तापमान और बढ़ेगा. एक दिन ऐसा भी आएगा, जब गर्मियों के दिनों में लोगों को इलाके को छोड़ना होगा. लोग आर्थिक लाभ के लिए पर्यावरण के साथ अनर्थ कर रहे हैं, जिसका नुकसान आने वाली पीढ़ी को उठाना पड़ेगा. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि 2013 में पानी पंचायत योजना को लागू किया गया था. इस योजना के तहत देश के प्रत्येक पंचायतों में पानी के संरक्षण के लिए अभियान की शुरुआत की गयी थी. आज पानी पंचायत जैसी योजना की रफ्तार धीमी है. उन्होंने बताया कि लोगों को पर्यावरण को धर्म मानकर पेड़ लगाने की जरूरत है.

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