ETV Bharat / state

पलामू में हथियार रखना बना स्टेटस सिंबल, प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई की योजना - पलामू में हथियार रखने वाले

जिले में हथियार रखना स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. कभी नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले पलामू में पिछले एक दशक में बड़ा बदलाव हुआ है. नक्सल हिंसा में बेहद कम हो गई है. 2014 के बाद से नक्सल हत्या का एक भी मामला दर्ज नही किया था, लेकिन इसके बाद भी लोगों में हथियार रखने की इच्छा खत्म नहीं हुई है. आज भी लाइसेंस के लिए कई आवेदन लंबित पड़े हुए हैं.

arms laicense in palamu
पलामू में हथियारों के शौकीन
author img

By

Published : Nov 25, 2020, 7:01 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 7:35 PM IST

पलामू: एक वक्त था जब पलामू में नक्सल बड़ी समस्या हुआ करती थी. लेकिन बीते एक दशक में शासन और प्रशासन ने नक्सलवाद पर कड़ी कार्रवाई की है. इसका नतीजा ये हुआ कि 2014 के बाद से जिले में नक्सल हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. बावजूद इसके लोगों में हथियार रखने का चल बढ़ता जा रहा है.

देखें वीडियो

आज पलामू का हर 200 वां व्यक्ति हथियार रखने का इच्छा रखता है. जिसके कारण पलामू के विभिन्न प्रशासनिक स्तर पर 10 हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं. पलामू में वर्तमान में करीब 1840 लोगों के पास हथियारों के लाइसेंस हैं, जिसमे 29 ऐसे लोग हैं जिनके पास दो से अधिक हथियार है. 2013-14 में पलामू में 6 हजार 666 लोगों के पास हथियार के लाइसेंस थे. उस दौरान जारी हुए गाइडलाइन के कारण 4400 लोगों के हथियारों के लाइसेंस रद्द हुए थे. 2019 से अब तक पलामू में 27 लोगों को हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए हैं.

सार्वजनिक जगहों पर हथियारों का प्रदर्शन

कई बार देखा गया है कि हथियारों के लाइसेंसधारी बाहुबली, हथियारों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया में फोटो अपलोड करते हैं. उनके परिवार के सदस्य भी इसमें शामिल रहते हैं. जबकि कई लाइसेंसधारी सार्वजनिक जगहों पर हथियार प्रदर्शित करते दिख जाते हैं. इस मामले में अब तक सिर्फ दो नेताओं पर कार्रवाई की जा चुकी है. एक का लाइसेंस भी निलंबित किया जा चुका है. जबकि एक अन्य का हथियार जमा कर लिया गया है. अधिवक्ता विक्रांत सिंह बताते है कि लाइसेंसी हथियार को खुद की सुरक्षा के लिए दिया जाता है, इसके दुरुपयोग पर गंभीर धाराओं में कार्रवाई हो सकती है.

लाइसेंस के लिए लगाना पड़ता है चक्कर

हथियारों के लाइसेंस संबंधी फाइल की जानकारी अधिकारी से अधिक आवेदक के पास रहती है. लाइसेंस के लिए पूरा सिस्टम बना हुआ है. आजसू के जिला अध्यक्ष विकेश शुक्ला बताते है कि उन्होंने भी लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उनके आवेदन पर किसी ने विचार तक नहीं किया. वे बताते है कि लाइसेंस के लिए सिस्टम बना हुआ है, ऊपर से नीचे तक बिना पैसे के काम नहीं होता.

नक्सल हिंसा में कमी के बाद भी लाइसेंस मांगने वाले बढ़े

पलामू में पिछले एक दशक में नक्सल को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है. नक्सल हिंसा में बेहद कम हुई है. 2014 के बाद से नक्सल हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. वहीं हत्याओं के 30 प्रतिशत मामले कम हुए हैं. लेकिन मेदिनीनगर, चैनपुर, हुसैनाबाद, पाटन, विश्रामपुर, हरिहरगंज, पांकी, पिपरा के इलाके के लोग अधिक आवेदन दे रहे हैं. पलामू में सीआरपीएफ और पुलिस को मिला दिया जाए तो चार हजार के करीब उनकी उनकी संख्या है.

कार्रवाई की योजना तैयार

पलामू जिला प्रशासन हथियारों के लाइसेंस को लेकर कड़ा रुख अख्तियार करने वाली है. दो से अधिक हथियार रखने वाले 29 लोगों को नोटिस जारी किया गया है. पलामू एसपी संजीव कुमार ने बताया कि हथियारों के दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पलामू: एक वक्त था जब पलामू में नक्सल बड़ी समस्या हुआ करती थी. लेकिन बीते एक दशक में शासन और प्रशासन ने नक्सलवाद पर कड़ी कार्रवाई की है. इसका नतीजा ये हुआ कि 2014 के बाद से जिले में नक्सल हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. बावजूद इसके लोगों में हथियार रखने का चल बढ़ता जा रहा है.

देखें वीडियो

आज पलामू का हर 200 वां व्यक्ति हथियार रखने का इच्छा रखता है. जिसके कारण पलामू के विभिन्न प्रशासनिक स्तर पर 10 हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं. पलामू में वर्तमान में करीब 1840 लोगों के पास हथियारों के लाइसेंस हैं, जिसमे 29 ऐसे लोग हैं जिनके पास दो से अधिक हथियार है. 2013-14 में पलामू में 6 हजार 666 लोगों के पास हथियार के लाइसेंस थे. उस दौरान जारी हुए गाइडलाइन के कारण 4400 लोगों के हथियारों के लाइसेंस रद्द हुए थे. 2019 से अब तक पलामू में 27 लोगों को हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए हैं.

सार्वजनिक जगहों पर हथियारों का प्रदर्शन

कई बार देखा गया है कि हथियारों के लाइसेंसधारी बाहुबली, हथियारों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया में फोटो अपलोड करते हैं. उनके परिवार के सदस्य भी इसमें शामिल रहते हैं. जबकि कई लाइसेंसधारी सार्वजनिक जगहों पर हथियार प्रदर्शित करते दिख जाते हैं. इस मामले में अब तक सिर्फ दो नेताओं पर कार्रवाई की जा चुकी है. एक का लाइसेंस भी निलंबित किया जा चुका है. जबकि एक अन्य का हथियार जमा कर लिया गया है. अधिवक्ता विक्रांत सिंह बताते है कि लाइसेंसी हथियार को खुद की सुरक्षा के लिए दिया जाता है, इसके दुरुपयोग पर गंभीर धाराओं में कार्रवाई हो सकती है.

लाइसेंस के लिए लगाना पड़ता है चक्कर

हथियारों के लाइसेंस संबंधी फाइल की जानकारी अधिकारी से अधिक आवेदक के पास रहती है. लाइसेंस के लिए पूरा सिस्टम बना हुआ है. आजसू के जिला अध्यक्ष विकेश शुक्ला बताते है कि उन्होंने भी लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उनके आवेदन पर किसी ने विचार तक नहीं किया. वे बताते है कि लाइसेंस के लिए सिस्टम बना हुआ है, ऊपर से नीचे तक बिना पैसे के काम नहीं होता.

नक्सल हिंसा में कमी के बाद भी लाइसेंस मांगने वाले बढ़े

पलामू में पिछले एक दशक में नक्सल को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है. नक्सल हिंसा में बेहद कम हुई है. 2014 के बाद से नक्सल हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. वहीं हत्याओं के 30 प्रतिशत मामले कम हुए हैं. लेकिन मेदिनीनगर, चैनपुर, हुसैनाबाद, पाटन, विश्रामपुर, हरिहरगंज, पांकी, पिपरा के इलाके के लोग अधिक आवेदन दे रहे हैं. पलामू में सीआरपीएफ और पुलिस को मिला दिया जाए तो चार हजार के करीब उनकी उनकी संख्या है.

कार्रवाई की योजना तैयार

पलामू जिला प्रशासन हथियारों के लाइसेंस को लेकर कड़ा रुख अख्तियार करने वाली है. दो से अधिक हथियार रखने वाले 29 लोगों को नोटिस जारी किया गया है. पलामू एसपी संजीव कुमार ने बताया कि हथियारों के दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Nov 25, 2020, 7:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.