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Water Problem In Palamu:बूढ़पहाड़ इलाके के अधिकतर जलस्रोत सूखने के कगार पर, पानी की समस्या बनने वाली है सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती - पेयजल की उपलब्धता के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं

पलामू में लगातार तापमान में बढ़ोतरी के कारण बूढ़पहाड़ इलाके के अधिकतर प्राकृतिक जलस्रोत सूखने लगे हैं. इस कारण आने वाले दिनों में बूढ़ापहाड़ में तैनात सुरक्षाबलों को जल सकंट का सामना करना पड़ सकता है. नक्सलियों से निपटने के साथ-साथ यहां सुरक्षा बलों को पानी की समस्या से भी निपटना होगा.

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Water Problem In Boodhapahar
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Published : Mar 14, 2023, 7:41 PM IST

पलामू:बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षा बलों के लिए अब नक्सल चुनौती कमजोर हो गई है, लेकिन पानी की समस्या बड़ी चुनौती बनने वाली है. इलाके की लाइफ लाइन बूढ़ा नदी सूख गई है. जबकि कई प्राकृतिक जलस्रोत बूढ़ाफॉल, सुग्गा बांध, कुल्ही नदी और तेनु डैम सूखने के कगार पर हैं. पलामू प्रमंडल का इलाका भयंकर सुखाड़ की चपेट में है. मार्च के दूसरे सप्ताह में ही इलाके का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच चुका है.

बूढ़ापहाड़ और उसके अगल-बगल आधा दर्जन के करीब सुरक्षाबलों के कैंप हैं. सभी कैंपों में बूढ़ा नदी, तेनु डैम, पुंदाग का तालाब और बोरिंग, कुल्ही नदी, तिसिया और नावाटोली के बोरिंग से पानी जाता है. इनमें से अधिकतर प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं और कई सूखने के कगार पर हैं. जिन बोरिंग के माध्यम से सुरक्षाबलों को पानी उपलब्ध करवाया जा है, उससे स्थानीय ग्रामीणों को भी पानी मिलता है. गर्मी की शुरुआत के साथ बोरिंग का जलस्तर चार से पांच फीट नीचे चला गया है.

ये भी पढे़ं-बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा, जवानों की मदद के लिए नक्सलियों के गढ़ में हुई हेलीकॉप्टर की लैंडिंग
बूढ़ापहाड़ कैंप के लिए 1600 मीटर ऊंचाई पर पानी लिफ्ट कराया जा रहा हैः बूढ़ापहाड़ के टॉप पर मौजूद कैंप के लिए 1600 मीटर ऊंचाई पर पानी को लिफ्ट कराया जा रहा है. कैंप को नजदीक के पुंदाग और तुरेर से पाइपलाइन के माध्यम से जोड़ा गया है. स्थानीय ग्रामीण सुरक्षाबलों के इस सप्लाई लाइन की सुरक्षा करते हैं और उसका ख्याल रखते है. बूढ़ापहाड़ में 3000 से भी अधिक जवानों को तैनात किया गया है. गौरतलब हो कि बूढ़ापहाड़ पर नक्सलियों खिलाफ सितंबर 2022 से ऑक्टोपस अभियान चलाया जा रहा है.

हर दिन 60 हजार लीटर पानी की है जरूरतः प्रतिदिन जवानों के लिए करीब 60 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है. सुरक्षा अधिकारी के अनुसार फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जरूरत पूरी हो जाती थी, लेकिन अब पानी का संकट शुरू हो गया है. पानी के संकट को दूर करने के लिए स्थानीय ग्रामीण मदद कर रहे हैं. 2022 से नक्सल विरोधी अभियान के दौरान गर्मी के मौसम में पानी समेत कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. सितंबर 2022 से पहले इलाके में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर से जवानों को पानी पहुंचाया जा रहा था. गर्मी और पानी संकट के कारण पहले कई बार नक्सल विरोधी अभियान प्रभावित हुआ था. इस संबंध में एक टॉप सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि इलाके में पेयजल की उपलब्धता के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं. बोरिंग समेत कई संसाधनों से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
पानी के इस्तेमाल को लेकर बरती जा रही सावधानीः बूढ़ापहाड़ के इलाके में पानी के इस्तेमाल को लेकर जवान काफी सावधानी बरत रहे हैं. नक्सल विरोधी अभियान में तैनात जवान उसी पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका स्थानीय ग्रामीण इस्तेमाल करते हैं. स्थानीय ग्रामीण खुद से जल स्रोतों पर निगरानी रखते हैं और अपने लिए इस्तेमाल करते हैं. जल स्रोतों को लेकर सुरक्षा एजेंसी ने भी अलर्ट जारी किया है.

पलामू:बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षा बलों के लिए अब नक्सल चुनौती कमजोर हो गई है, लेकिन पानी की समस्या बड़ी चुनौती बनने वाली है. इलाके की लाइफ लाइन बूढ़ा नदी सूख गई है. जबकि कई प्राकृतिक जलस्रोत बूढ़ाफॉल, सुग्गा बांध, कुल्ही नदी और तेनु डैम सूखने के कगार पर हैं. पलामू प्रमंडल का इलाका भयंकर सुखाड़ की चपेट में है. मार्च के दूसरे सप्ताह में ही इलाके का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच चुका है.

बूढ़ापहाड़ और उसके अगल-बगल आधा दर्जन के करीब सुरक्षाबलों के कैंप हैं. सभी कैंपों में बूढ़ा नदी, तेनु डैम, पुंदाग का तालाब और बोरिंग, कुल्ही नदी, तिसिया और नावाटोली के बोरिंग से पानी जाता है. इनमें से अधिकतर प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं और कई सूखने के कगार पर हैं. जिन बोरिंग के माध्यम से सुरक्षाबलों को पानी उपलब्ध करवाया जा है, उससे स्थानीय ग्रामीणों को भी पानी मिलता है. गर्मी की शुरुआत के साथ बोरिंग का जलस्तर चार से पांच फीट नीचे चला गया है.

ये भी पढे़ं-बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा, जवानों की मदद के लिए नक्सलियों के गढ़ में हुई हेलीकॉप्टर की लैंडिंग
बूढ़ापहाड़ कैंप के लिए 1600 मीटर ऊंचाई पर पानी लिफ्ट कराया जा रहा हैः बूढ़ापहाड़ के टॉप पर मौजूद कैंप के लिए 1600 मीटर ऊंचाई पर पानी को लिफ्ट कराया जा रहा है. कैंप को नजदीक के पुंदाग और तुरेर से पाइपलाइन के माध्यम से जोड़ा गया है. स्थानीय ग्रामीण सुरक्षाबलों के इस सप्लाई लाइन की सुरक्षा करते हैं और उसका ख्याल रखते है. बूढ़ापहाड़ में 3000 से भी अधिक जवानों को तैनात किया गया है. गौरतलब हो कि बूढ़ापहाड़ पर नक्सलियों खिलाफ सितंबर 2022 से ऑक्टोपस अभियान चलाया जा रहा है.

हर दिन 60 हजार लीटर पानी की है जरूरतः प्रतिदिन जवानों के लिए करीब 60 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है. सुरक्षा अधिकारी के अनुसार फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जरूरत पूरी हो जाती थी, लेकिन अब पानी का संकट शुरू हो गया है. पानी के संकट को दूर करने के लिए स्थानीय ग्रामीण मदद कर रहे हैं. 2022 से नक्सल विरोधी अभियान के दौरान गर्मी के मौसम में पानी समेत कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. सितंबर 2022 से पहले इलाके में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर से जवानों को पानी पहुंचाया जा रहा था. गर्मी और पानी संकट के कारण पहले कई बार नक्सल विरोधी अभियान प्रभावित हुआ था. इस संबंध में एक टॉप सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि इलाके में पेयजल की उपलब्धता के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं. बोरिंग समेत कई संसाधनों से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
पानी के इस्तेमाल को लेकर बरती जा रही सावधानीः बूढ़ापहाड़ के इलाके में पानी के इस्तेमाल को लेकर जवान काफी सावधानी बरत रहे हैं. नक्सल विरोधी अभियान में तैनात जवान उसी पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका स्थानीय ग्रामीण इस्तेमाल करते हैं. स्थानीय ग्रामीण खुद से जल स्रोतों पर निगरानी रखते हैं और अपने लिए इस्तेमाल करते हैं. जल स्रोतों को लेकर सुरक्षा एजेंसी ने भी अलर्ट जारी किया है.

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