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Naxalite In Palamu: मुसीबत में नक्सली संगठन के शीर्ष नेता छोड़ देते हैं कैडरों का साथ, जख्मी होने के बाद कई को दस्ते से निकाल दिया बाहर

मुसीबत में नक्सली संगठन के शीर्ष नेता अपने कैडरों का साथ छोड़ देते हैं. मुठभेड़ में जख्मी होने के बाद कई को दस्ते से बाहर निकाल दिया जाता है और पैसे भी नहीं दिए जाते हैं. ऐसी कई आपबीती ईटीवी भारत को पूर्व में संगठन के जुड़े लोगों ने सुनाई है.

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Naxalites Leave Their Cadres In Trouble
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Published : Apr 25, 2023, 9:42 PM IST

पलामू: झारखंड में नक्सली संगठन धीरे-धीरे कमजोर पड़ गए हैं. इसके साथ ही अब उनके जुल्मों-सितम की कई कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं. नक्सल खौफ कम हुआ तो उनसे जुड़ी दस्तां की कई जानकारी बाहर निकल कर आ रही हैं. भाकपा माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी के बड़े कमांडर लाखों करोड़ों रुपए अर्जित कर रहे हैं, लेकिन कैडर बदहाल हैं. कमांडर कैडर का इस्तेमाल कर छोड़ देते हैं.

ये भी पढे़ं-नक्सलियों की आपसी लड़ाई में जख्मी हुआ नक्सली कमांडर सुरेंद्र राम पुलिस के हत्थे चढ़ा, कई वारदातों में रह चुका है शामिल

सुरेंद्र के जख्मी होने के बाद संगठन ने नहीं कराया था इलाजः पलामू पुलिस ने कुछ दिनों पहले जेजेएमपी के एक कमांडर सुरेन्द्र राम उर्फ सुमंत राम को गिरफ्तार किया था. सुरेंद्र सितंबर 2021 में जेजेएमपी के टॉप कमांडरों की आपसी लड़ाई में जख्मी हो गया था. जेजेएमपी के कुछ टॉप नक्सली उसे जख्मी हालत में उठाकर ले गए थे, लेकिन उसका इलाज नहीं कराया. बाद में सुरेंद्र ने खुद से इलाज करवाया, लेकिन उसकी टांगे कमजोर हो गई हैं. बाद में झारखंड जनमुक्ति परिषद के कमांडरों ने सुरेंद्र राम को संगठन से बाहर निकाल दिया. सुरेंद्र राम लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के मनधनिया का रहने वाला है.

श्याम बिहारी के जख्मी होने के बाद संगठन ने नहीं ली थी सुधः वहीं 2000 के दशक में श्याम बिहारी नक्सलियों का टॉप कमांडर हुआ करता था. संगठन के शीर्ष नेताओं ने उसके इलाके को बदल दिया था. इलाका बदलने के बाद सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में वह जख्मी हो गया था. बाद में उसे संगठन के लोगों ने बदहाली की हालत में छोड़ दिया. जिसके बाद उसने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.

नक्सल संगठन में ना तो छुट्टी मिलती थी और ना पैसेः वहीं चतरा के लावालौंग मुठभेड़ में जख्मी नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया ने पुलिस को बताया था कि नक्सली संगठनों में कभी छुट्टी नहीं मिलती थी. दस्ते में रहने के बावजूद उसे पैसे नहीं दिए जाते थे. एक बार उसने दस्ता छोड़ दिया था, बाद में नक्सली के घर पहुंचे थे और खेती करने से रोक दिया था.

पलामू के 60 कैडरों को नक्सली संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ाः इसी तरह के पलामू, गढ़वा और लातेहार में कई ऐसे कैडर हैं जिनका विभिन्न नक्सल संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ दिया है. पलामू प्रमंडल में 187 से अधिक ऐसे लोग हैं जिनके खिलाफ 17 सीएलए एक्ट के गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज है. यह धारा नक्सल संगठनों के कैडरों के लिए लगाया जाता है. इनमें से 55 से 60 लोग ऐसे हैं जिनका नक्सल संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ दिया है. सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार नक्सल संगठन अपने टॉप कमांडरों के लिए पैसे खर्च करते हैं, उनके लिए कई सुविधा उपलब्ध करवाई जाती हैं,लेकिन कैडर के मारे जाने, जख्मी होने के बाद मदद नहीं की जाती है.

ये भी पढे़ं-Palamu News: झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों के पास है पांच एके 56, पुलिसिया पूछताछ में नक्सली ननकुरिया का खुलासा

नक्सल संगठन ग्रामीणों को बरगला कर करते रहे हैं इस्तेमालः इस संबंध में पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि नक्सल संगठनों का यह दोहरा चरित्र है. अपने कैडरों का इस्तेमाल कर छोड़ देते हैं. सुरक्षा बल और पुलिस नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है. ग्रामीणों को भी कई तरह के जानकारी दी जा रही है, ताकि वह मुख्यधारा से भटके नहीं. स्थानीय ग्रामीणों को नक्सलियों के चरित्र के बारे में भी बताया जा रहा है.

पलामू: झारखंड में नक्सली संगठन धीरे-धीरे कमजोर पड़ गए हैं. इसके साथ ही अब उनके जुल्मों-सितम की कई कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं. नक्सल खौफ कम हुआ तो उनसे जुड़ी दस्तां की कई जानकारी बाहर निकल कर आ रही हैं. भाकपा माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी के बड़े कमांडर लाखों करोड़ों रुपए अर्जित कर रहे हैं, लेकिन कैडर बदहाल हैं. कमांडर कैडर का इस्तेमाल कर छोड़ देते हैं.

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सुरेंद्र के जख्मी होने के बाद संगठन ने नहीं कराया था इलाजः पलामू पुलिस ने कुछ दिनों पहले जेजेएमपी के एक कमांडर सुरेन्द्र राम उर्फ सुमंत राम को गिरफ्तार किया था. सुरेंद्र सितंबर 2021 में जेजेएमपी के टॉप कमांडरों की आपसी लड़ाई में जख्मी हो गया था. जेजेएमपी के कुछ टॉप नक्सली उसे जख्मी हालत में उठाकर ले गए थे, लेकिन उसका इलाज नहीं कराया. बाद में सुरेंद्र ने खुद से इलाज करवाया, लेकिन उसकी टांगे कमजोर हो गई हैं. बाद में झारखंड जनमुक्ति परिषद के कमांडरों ने सुरेंद्र राम को संगठन से बाहर निकाल दिया. सुरेंद्र राम लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के मनधनिया का रहने वाला है.

श्याम बिहारी के जख्मी होने के बाद संगठन ने नहीं ली थी सुधः वहीं 2000 के दशक में श्याम बिहारी नक्सलियों का टॉप कमांडर हुआ करता था. संगठन के शीर्ष नेताओं ने उसके इलाके को बदल दिया था. इलाका बदलने के बाद सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में वह जख्मी हो गया था. बाद में उसे संगठन के लोगों ने बदहाली की हालत में छोड़ दिया. जिसके बाद उसने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.

नक्सल संगठन में ना तो छुट्टी मिलती थी और ना पैसेः वहीं चतरा के लावालौंग मुठभेड़ में जख्मी नंदकिशोर उर्फ ननकुरिया ने पुलिस को बताया था कि नक्सली संगठनों में कभी छुट्टी नहीं मिलती थी. दस्ते में रहने के बावजूद उसे पैसे नहीं दिए जाते थे. एक बार उसने दस्ता छोड़ दिया था, बाद में नक्सली के घर पहुंचे थे और खेती करने से रोक दिया था.

पलामू के 60 कैडरों को नक्सली संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ाः इसी तरह के पलामू, गढ़वा और लातेहार में कई ऐसे कैडर हैं जिनका विभिन्न नक्सल संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ दिया है. पलामू प्रमंडल में 187 से अधिक ऐसे लोग हैं जिनके खिलाफ 17 सीएलए एक्ट के गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज है. यह धारा नक्सल संगठनों के कैडरों के लिए लगाया जाता है. इनमें से 55 से 60 लोग ऐसे हैं जिनका नक्सल संगठनों ने इस्तेमाल कर छोड़ दिया है. सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार नक्सल संगठन अपने टॉप कमांडरों के लिए पैसे खर्च करते हैं, उनके लिए कई सुविधा उपलब्ध करवाई जाती हैं,लेकिन कैडर के मारे जाने, जख्मी होने के बाद मदद नहीं की जाती है.

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नक्सल संगठन ग्रामीणों को बरगला कर करते रहे हैं इस्तेमालः इस संबंध में पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि नक्सल संगठनों का यह दोहरा चरित्र है. अपने कैडरों का इस्तेमाल कर छोड़ देते हैं. सुरक्षा बल और पुलिस नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है. ग्रामीणों को भी कई तरह के जानकारी दी जा रही है, ताकि वह मुख्यधारा से भटके नहीं. स्थानीय ग्रामीणों को नक्सलियों के चरित्र के बारे में भी बताया जा रहा है.

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