पलामू: पीटीआर इलाके में चिन्हित हुआ बाघ आदमखोर नहीं है. पीटीआर निदेशक के मुताबिक यहां दिखाे बाघ ने सिर्फ मवेशियों का ही शिकार किया है. पलामू टाइगर रिजर्व में इलाके में पहुंचा बाघ बांधवगढ़ के इलाके से पहुंचा है. पलामू टाइगर रिजर्व के कुटकु रेंज में शुक्रवार को पहली बार बाघ देखा गया था, शनिवार को उसका फोटो और वीडियो कैमरा में कैद हुआ था. पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 3 वर्षों के बाद पहली बार बार देखा गया.
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पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व कॉरिडोर मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. इलाके में पहुंचा बाघ इसी कॉरिडोर से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि ऐसा हो सकता है कि कुछ वर्ष पहले यह बाघ पलामू टाइगर है से निकलकर बांधवगढ़ के इलाके में गया हो अब वह वापस लौट आया है. उन्होंने बताया कि करीब 20 दिन पहले यह बाघ छत्तीसगढ़ के इलाके में मौजूद था. अब पीटीआर के इलाके में दाखिल हो गया. वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया ने पीटीआर प्रबंधन को सूचना दी थी कि छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से गढ़वा के सालो जंगल में एक बाघ घुसा है. जिसके बाद इलाके में चौकसी बढ़ा दी गई थी, धीरे धीरे यह बाघ पीटीआर के सीमा में घुस गया.
आदमखोर नही है बाघ: पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पीटीआर की सीमा में दाखिल हुआ बाघ आदमखोर नहीं है. छत्तीसगढ़ और झारखंड में अभी तक सिर्फ मवेशियों को ही अपना शिकार बनाया है. उन्होंने बताया कि पीटीआर का कोरिडोर महाराष्ट्र के सतपुड़ा तक जुड़ा हुआ है. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व से एमपी के बांधवगढ़ और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व का कॉरिडोर लगभग 300 किलोमीटर का है. यह पूरा का पूरा कॉरिडोर बाघों की गतिविधि के लिए जाना जाता रहा है.
15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहा है बाघ: पीटीआर की सीमा में घुसा यह बाघ प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहा है. बाघ धीरे-धीरे पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया की तरफ बढ़ रहा है. पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार बाघ की उम्र 8 से 10 वर्ष के करीब है और इसका पगमार्क 14 सेंटीमीटर है. अधिकारियों ने बताया कि पग मार्ग से यह पता चला है कि वह नर है.
नर बाघ होने का मिला सबूत: बाघ का पगमार्क चौड़ा होता है लेकिन बाघिन का लंबा होता है. बाघ गतिविधि को देखते हुए कुटकु के इलाके में हाई अलर्ट जारी किया गया है. इलाके में 40 कैमरा जबकि 30 से अधिक ट्रैकरों को तैनात किया गया है. इलाके में बाघ ने अब तक दो मवेशियों का शिकार किया है. पीटीआर प्रबंधन द्वारा पशुपालकों को पांच-पांच हजार रुपये मुआवजा दिया गया है. बाघ द्वारा मवेशी का शिकार किए जाने पर 15 हजार रुपये मुआवजा का प्रावधान है. पशुपालकों को बाकी की रकम बाद में दी जाएगी. पीटीआर प्रबंधन पशुपालकों को जंगल में मवेशी छोड़ने की बात बोल रहा है, प्रबंधन द्वारा पशुपालकों को आश्वासन दिया गया है कि बाघ द्वारा शिकार किए जाने पर मुआवजा दिया जाएगा.