पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व में मार्च के दूसरे पखवाड़े में पहुंचा बाघ अब आखिर कहां गया है? करीब 20 दिनों से बाघ के बारे में कोई जानकारी निकल कर सामने नहीं आ रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि बाघ पलामू, लोहरदगा और चतरा के सीमावर्ती इलाके की तरफ जा सकता है. करीब 20 दिनों पहले तक यह बाघ पीटीआर के बाहरी हिस्से लोहरदगा और लातेहार के सीमावर्ती इलाकों में देखा गया था. इस दौरान बाघ ने ग्रामीणों पर हमला भी किया था.उसके अगले दिन बाघ ने मवेशियों का शिकार भी किया था.पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पलामू से चतरा और लोहरदगा तक का इलाका टाइगर का कॉरिडोर है. आशंका है कि चतरा कॉरिडोर के इलाके में बाघ गया है.
बाघ का नहीं मिल पा रहा पग चिन्हः गर्मी का मौसम होने के कारण बाघ का पदचिन्ह नहीं मिल पा रहा है. नमी होने के बाद बाघ का पग मार्क मिल पाता है. कई जलस्रोत सूख गए हैं. नतीजतन जलश्रोत के आसपास बाघ नहीं जा रहा है. जिससे उसका पग मार्क मिल सके. उम्मीद है कि बाघ इलाके में वापस आएगा.
डेढ़ सप्ताह तक रूका था बाघः पीटीआर और उसके आसपास का इलाका घना जंगल है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में करीब डेढ़ सप्ताह तक बाघ रुका था. 2020 के बाद पीटीआर के इलाके में पहली बार बाघ कैमरे में कैद हुआ था. इससे पहले पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में एक मृत बाघिन मिली थी. उसके बाद से कोई बाघ नजर नहीं आया है.
18 मार्च को पहली बार दिखा था बाघः पीटीआर के कुटकु के इलाके में 18 मार्च को पहली बार बाघ तस्वीरों को कैमरे में कैद किया गया था. विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह बाघ मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ या छत्तीसगढ़ के संजय डुबरी टाइगर रिजर्व के इलाके से आया था. बाघ प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहा था.