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MSTRIP एप से ऑनलाइन बाघ गणना, बूढ़ा पहाड़ इलाके में लगाए जा रहे कैमरे - tiger census conducted by NTCA

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी बाघ गणना 2021 को पूरी करने में जुटी है. इस कड़ी में पीटीआर में भी tiger census 2021 जारी है, जिसे जनवरी 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस बार पहली बार बूढ़ा पहाड़ इलाके में ट्रैकिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं.

Tiger Census 2021 India being conducted online through MSTRIP app
MSTRIP एप से ऑनलाइन बाघ गणना
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Published : Dec 5, 2021, 4:46 PM IST

Updated : Dec 5, 2021, 6:32 PM IST

पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की निगरानी में देश भर में बाघों की गिनती की जा रही है. इसी को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में भी बाघों की गिनती की जा रही है. पीटीआर में जनवरी 2022 तक बाघ गणना 2021 को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 300 से अधिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जबकि 300 से अधिक ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं. जबकि पूरे पीटीआर में एक हजार ट्रैकिंग कैमरे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

ये भी पढ़ें-जंक फूड से बंदर हो रहे चटोर, पार कर रहे हद

पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघों की गिनती जारी है, उम्मीद है जनवरी तक यह गिनती पूरी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग कैमरों से पीटीआर की बारीकी से निगरानी की जा रही है. बाघ गणना 2021 के लिए MSTRIP एप का प्रयोग किया जा रहा है. इसके माध्यम से बाघ और अन्य जीवों का डाटा फीड किया जा रहा है.

एप के लिए नेटवर्क की चुनौती

बता दें कि MSTRIP एप ऑनलाइन सिस्टम है, जिसके माध्यम से वन्य जीवों की निगरानी की जाती है और उनका डाटा, लोकेशन ऑनलाइन ही सेव किया जाता है. बाघ गणना के लिए वनकर्मी पीटीआर के इलाके में जिगजैग तरीके से 5 किलोमीटर तक, जबकि सामान्य तरीके से दो किलोमीटर तक पैदल चलते हैं और आंकड़े जुटाते हैं. हालांकि पीटीआर के कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की कमी है, जिस कारण वनकर्मियों को एप इस्तेमाल करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर
पीटीआर के बूढ़ापहाड़ इलाके में पहली बार ट्रैकिंग कैमरे पलामू टाइगर रिजर्व का एक बड़ा भाग नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ इलाके से सटा है.पहली बार यहां भी कैमरे लगाए जा रहे हैं, इस इलाके में 500 से अधिक कैमरे लगाए जाने की योजना है. जबकि इससे पहले इस इलाके में 2014 और 2018 में नक्सलियों की धमकी के कारण बाघ गणना के लिए ट्रैकिंग कैमरे नहीं लगाए जा सके थे. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बाघों की गिनती के लिए ट्रैकिंग कैमरे लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें-जंगली जीव के इलाके में पालतू पशुओं का कब्जा, पीटीआर में 1.67 लाख मवेशी हैबिटेट को कर रहे हैं प्रभावित

2018 में शून्य थी बाघों की संख्या

पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां इससे पहले 2018 में बाघ गणना हुई थी, इस दौरान पीटीआर इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी. हालांकि इससे पहले फरवरी 2020 में पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क इलाके में एक मृत बाघिन मिली थी. वहीं नवंबर 2021 में पीटीआर के बारेसाढ़ इलाके में बाघ जैसा प्राणी देखा गया था.

पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की निगरानी में देश भर में बाघों की गिनती की जा रही है. इसी को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में भी बाघों की गिनती की जा रही है. पीटीआर में जनवरी 2022 तक बाघ गणना 2021 को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए 300 से अधिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जबकि 300 से अधिक ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं. जबकि पूरे पीटीआर में एक हजार ट्रैकिंग कैमरे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

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पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघों की गिनती जारी है, उम्मीद है जनवरी तक यह गिनती पूरी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग कैमरों से पीटीआर की बारीकी से निगरानी की जा रही है. बाघ गणना 2021 के लिए MSTRIP एप का प्रयोग किया जा रहा है. इसके माध्यम से बाघ और अन्य जीवों का डाटा फीड किया जा रहा है.

एप के लिए नेटवर्क की चुनौती

बता दें कि MSTRIP एप ऑनलाइन सिस्टम है, जिसके माध्यम से वन्य जीवों की निगरानी की जाती है और उनका डाटा, लोकेशन ऑनलाइन ही सेव किया जाता है. बाघ गणना के लिए वनकर्मी पीटीआर के इलाके में जिगजैग तरीके से 5 किलोमीटर तक, जबकि सामान्य तरीके से दो किलोमीटर तक पैदल चलते हैं और आंकड़े जुटाते हैं. हालांकि पीटीआर के कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की कमी है, जिस कारण वनकर्मियों को एप इस्तेमाल करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर
पीटीआर के बूढ़ापहाड़ इलाके में पहली बार ट्रैकिंग कैमरे पलामू टाइगर रिजर्व का एक बड़ा भाग नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ इलाके से सटा है.पहली बार यहां भी कैमरे लगाए जा रहे हैं, इस इलाके में 500 से अधिक कैमरे लगाए जाने की योजना है. जबकि इससे पहले इस इलाके में 2014 और 2018 में नक्सलियों की धमकी के कारण बाघ गणना के लिए ट्रैकिंग कैमरे नहीं लगाए जा सके थे. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बाघों की गिनती के लिए ट्रैकिंग कैमरे लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

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2018 में शून्य थी बाघों की संख्या

पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां इससे पहले 2018 में बाघ गणना हुई थी, इस दौरान पीटीआर इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी. हालांकि इससे पहले फरवरी 2020 में पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क इलाके में एक मृत बाघिन मिली थी. वहीं नवंबर 2021 में पीटीआर के बारेसाढ़ इलाके में बाघ जैसा प्राणी देखा गया था.

Last Updated : Dec 5, 2021, 6:32 PM IST
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