पलामूः 3 दिसंबर 2011 की 5ः20 बजे एक विस्फोट हुआ, जिसमें माओवादियों का तालिबानी चेहरा सामने आया था. यह हमला कोई आम नक्सली हमला (Naxalite attack on Garu Daltonganj Road) नहीं था, बल्कि झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष सह तत्कालीन चतरा सांसद इंदर सिंह नामधारी की सुरक्षा में तैनात जवानों पर किया गया था. इस हमले में 11 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी. इसके साथ ही एक महिला और एक बच्चे की भी जान गई थी. यह हमला माओवादियों ने किशन की मौत के बदले में किया था. माओवादियों ने उस दौरान कई बड़े नक्सली हमलों को अंजाम दिया था. लेकिन पहली बार वीडियो बनाया और जारी भी किया. पुलिस आरोपी नक्सलियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और ट्रायल चल रहा है.
यह भी पढ़ेंः झारखंड विधानसभा चुनाव: 'गन से गणतंत्र' तक का सफर, उग्रवादी संगठन में रहते रांची-दिल्ली तक का किया सफर
टॉप माओवादियों ने किया था हमलाः लातेहार के गारु डालटनगंज रोड पर रमनदाग के पास लैंड माइंस लगाकर इंदर सिंह नामधारी को स्कॉर्ट कर रही गाड़ी को निशाना बनाया था. इस हमले में घटनास्थल पर 8 जवानों की मौत हो गई थी और इलाज के दौरान तीन जवान की मौत हुई थी. इस हमले के बाद तत्कालीन बरवाडीह थानेदार फगुनी राम ने प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. बरवाडीह कांड संख्या 91/11 में कहा गया था कि माओवादियों के टॉप कमांडर अरिवंद, नकुल, बिरसाय, प्रभात, सुदर्शन, विकास और भरत सहित 56 माओवादियों ने हमले की साजिश रची थी और लैंड माइंस लगाया था. इन माओवादियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 353, 307, 302, 379, 427, आर्म्स एक्ट, 17 सीएलए एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था. इस घटना का एसडीपीओ रंजीत प्रसाद ने जांच की थी.
हमले के बाद बनाया था वीडियोः हमले के कुछ ही महीनों बाद पलामू पुलिस ने टॉप माओवादी भरत को गिरफ्तार किया था. भरत के पास से पुलिस को इस हमले का वीडियो मिला था. भरत ने बताया था कि माओवादी अब हमले का वीडियो बनाते है ताकि घटना के बाद गलतियों की समीक्षा की जा सके. इस हमले का माओवादियों ने करीब 34 मिनट का वीडियो बनाया था. नक्सल इतिहास में यह पहली बार था कि किसी घटना को अंजाम देने के बाद माओवादियों ने वीडियो बनाया हो. माओवादियों ने इस वीडियो में पूरे हमले का जिक्र करते हुए ऑपरेशन प्रहार दिया था. माओवादियों ने हमले के तुरंत बाद वीडियो तैयार करते हुए अपनी बैठक तक का भी जिक्र किया था. माओवादियों ने इस वीडियो के जरिए पुलिस के एंटी लैंड माइंस वाहन को उड़ाने के बाद आग के हवाले करते हुए भी दिखाया था.
52 माओवादियों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पितः इस हमले के एफआईआर दर्ज करते हुए सब इंस्पेक्टर फगुनी राम ने शुरुआती अनुसंधान किया था. अगले कुछ महीनों में इस एफआईआर का अनुसंधान लातेहार एसडीपीओ रंजीत प्रसाद ने किया. पुलिस के अनुसंधान में 52 नक्सलियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित किए थे. हालांकि, चार माओवादियों के खिलाफ पुलिस को कोई सबूत नहीं मिला था. आठ माओवादियों का पता सत्यापित नहीं हुआ था. फिलहाल लातेहार कोर्ट में इस हमले की ट्रायल चल रहा है.
कौन कौन बनाए गए आरोपीः इंदर सिंह नामधारी के काफिले पर हमला मामले में टॉप माओवादी अरवींद, बिरसाय, नकुल, मृत्युंजय, बड़ा विकास, भरत, पवन, श्रीकांत, विशाल, दीनबंधु, इंद्रजीत, नवीन, मुरारी, अनीता, बलराम, सत्येंद्र, गजेंद्र, अक्षय, छोटू कोरवा, बड़ा अनिल, छोटा अनिल, सुनील कोरवा, दीपक, जगदीश यादव, बद्री यादव, लालदेव राम, विद्या मोची, कामेश्वर यादव, रागिनी यादव, दिलीप साव, विनोद कोरवा, सोहा, मीना के नाम शामिल हैं. इनमें अरवींद, दीनबंधु, मुरारी, बलराम समेत कई माओवादियों की मौत हो चुकी हैं. वहीं, नकुल, बिरसाय, बड़ा विकास ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इसके साथ ही भरत, इंद्रजीत, नवीन, मुरारी, अनीता समेत कई माओवादी गिरफ्तार हो चुके हैं.