पलामू: बाघों के संरक्षण को लेकर टाइगर कॉरिडोर का सर्वे हो रहा है. एक्सपर्ट की टीम कॉरिडोर के लिए पलामू टाइगर रिजर्व से मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तक के लिंक का सर्वे कर रही है. झारखंड में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघ पाया जाता है. पीटीआर से छत्तीसगढ़ के जंगल और उससे सटा हुआ एमपी का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व है. वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून की एक टीम टाइगर कॉरिडोर के सर्वे को लेकर पीटीआर में कैम्प कर रही है.
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322 किलोमीटर के दायरे में होगा सर्वे, NTCA को सौंपी जाएगी रिपोर्ट: पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पीटीआर से सर्वे का काम शुरू हुआ है. उन्होंने बताया कि सर्वे से बाघों के छत्तीसगढ़ के जाने के मूवमेंट की जानकारी मिल पाएगी. टाइगर कॉरिडोर के लिए करीब 322 किलोमीटर के दायरे में सर्वे होना है. इसके बाद टीम नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस रिपोर्ट में टाइगर के लिए हैबिटेट और उसे जुड़े हुए मानव के हस्तक्षेप का जिक्र रहेगा. ऐसी जानकारी है कि बाघ पीटीआर से छत्तीसगढ़ से लेकर बांधवगढ़ तक पहुंच जाते हैं. इसी को ध्यान में रखकर सर्वे का काम शुरू किया गया है. NTCA प्रत्येक पांच वर्ष में टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार करता है. इसी प्लान के माध्यम से बाघों के संरक्षण का कार्य किया जाता है.
सर्वे की टीम इस बात की भी जांच करेगी कि टाइगर कॉरिडोर में कौन कौन से इलाके हैं जहां जंगल या घास की मौजूदगी नहीं है. जिस इलाके में घास या जंगल नहीं होंगे उस इलाके के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाना है. इस सर्वे में कॉरिडोर में मानवीय हस्तक्षेप की भी जानकारी ली जानी है. इसी रिपोर्ट के आधार पर NTCA टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार करेगा. देहरादून वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टीम पलामू टाइगर टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को भी सर्वे के लिए प्रशिक्षित कर रही है. सर्वे टीम में आधा दर्जन के करीब वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट मौजूद हैं. यह टीम पीटीआर के कर्मियों को प्रशिक्षित करेगी, उसके बाद पीटीआर के कर्मी भी सर्वे के काम में लगाए जाएंगे.