पलामूः जिले में अपराधियों द्वारा हाईटेक तरीके से घटनाओं को अंजाम दिया जा हा है. इससे केस के अनुसंधान में विलंब होती है. निर्धारित समय सीमा में केस की जांच हो. इसको लेकर सब इंस्पेक्टर और असिस्टेंट इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारियों को अपग्रेड करने के उद्देश्य से विशेष ट्रेनिंग दी गई है.
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सब इंस्पेक्टर और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को ट्रेनिंग देकर हाईटेक बनाया गया है, ताकि केस के अनुसंधान में तेजी लाई जा सके. नक्सल के कमजोर होने के बाद अब आर्थिक और साइबर अपराध बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है कि पलामू प्रमंडल में हाल के दिनों में सब इंस्पेक्टर और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों का तीन महीने तक ट्रेनिंग दी गई.
ट्रेनिंग अवधि में सभी अधिकारियों को अपराध के बदलते तरीकों से निपटने और अनुसंधान के हाईटेक तरीकों को अपनाने की जानकारी दी गई. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के बाद अधिकारियों को मुकदमा का अनुसंधान में सहायता मिलेगी. इससे जिले में अपराध को नियंत्रित करने में आसानी होगी.
पलामू में 83, गढ़वा में 60 और लातेहार में 65 के करीब पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है. इस प्रशिक्षण को पुलिस मुख्यालय की ओर से लगातार निगरानी की गई. बता दें कि पलामू रेंज में तीन जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार हैं. इन तीनों जिलों में प्रत्येक माह 800 से अधिक एफआईआर दर्ज किए जाते हैं. संगीन अपराध से जुड़े मामलों को सब इंस्पेक्टर और छोटे-मोटे अपराधिक घटनाओं की जांच एएसआई रैंक के अधिकारी करते हैं.
पलामू रेंज में एक पुलिस अधिकारी के पास 15 से अधिक मुकदमों की जांच लंबित है. 93 ऐसे मामले हैं, जो 10 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित है. 200 के करीब ऐसे मामले हैं, जो 5 वर्षों से लंबित हैं. पलामू रेंज के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार हर महीने 600 के करीब मुकदमों का अनुसंधान पूरा होता है. सैकड़ों की संख्या में अब भी मुकदमों का अनुसंधान लंबित है. यही वजह है कि पुलिस खुद को अपग्रेड करने में लगी है और मुकदमों के अनुसंधान में तेजी लाने का प्रयास कर रही है.