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30 महीनों में बदल गई पलामू की तस्वीर, जानें क्या-क्या बदला

पलामू की तस्वीर 30 महीनों में काफी बदल गई है. जिले में ना सिर्फ नक्सलियों का खौफ कम हुआ है बल्कि विकास के द्वार भी खुले हैं. इसमें एसपी इन्द्रजीत माहथा का बड़ा योगदान रहा है. 30 महीनों के कार्यकाल में इनके प्रयास ने लोगों को भयमुक्त किया है.

एसपी इन्द्रजीत माहथा
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Published : Jun 21, 2019, 7:10 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 10:21 PM IST

पलामूः नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस पिकेट ने विकास के द्वार खोल दिए हैं. जिस इलाके में बुलेट की आवाज गूंजती थी आज उसी इलाके में बूट की आवाज लोगों को पसंद आ रही है. पिछले 30 महीनों में पलामू की फिजाओं में बड़ा बदलाव आया है. इस दौरान एक दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की गई है.

जानकारी देते एसपी इन्द्रजीत माहथा

नक्सली हुए कमजोर, रोड सुरक्षा भी बढ़ी

पलामू में नक्सल को कमजोर करने और सुरक्षित माहौल तैयार करने में एसपी इन्द्रजीत माहथा का बड़ा योगदान रहा है. उनकी पहल पर झारखंड-बिहार सीमा पर आधा दर्जन पुलिस पिकेट बने जिस कारण नक्सल गतिविधि बेहद कमजोर हो गई. जिले में 30 महीनों में सबसे बड़ा बदलाव रोड सुरक्षा में हुआ. लोग शाम 6 बजे के बाद NH पर चलना बंद कर देते थे. अब रात दो बजे भी आराम से लोग चलते हैं.

कुख्यात नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

30 महीनों में कुख्यात माओवादी अजय यादव और राकेश भुइयां के दस्ते का सफाया हुआ है. वहीं, आधा दर्जन के करीब टॉप नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया. एसपी इन्द्रजीत महथा का तबादला चाईबासा हो गया है. इन्द्रजीत माहथा बताते है कि पलामू में नक्सलियों से निपटना बड़ी चुनौती थी. सीआरपीएफ और अपने जवानों की मेहनत के बल पर नक्सल गतिविधि पर काबू पाया गया है. सभी की मेहनत का नतीजा है कि नक्सलियों को कैडर नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- सेंड आर्ट्स के जरिए योग का संदेश, पीएम की आकर्षक आकृति

पिकेट बनने से विकास के खुले द्वार

एसपी ने बताया कि जिले में पिकेट ने विकास के द्वार खोले हैं. योजनाबद्ध तरीके से पिकेट की स्थापना की गई है. जिस इलाके में पिकेट बना वहां तेजी से विकास हो रहा है. एसपी ने बताया कि उनका तबादला चाईबासा किया गया है. पलामू में नक्सलियों के खिलाफ अनुभव चाईबासा में काम आएगा. बता दें कि वे पहले भी इस इलाके में रह चुके हैं.

पलामूः नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस पिकेट ने विकास के द्वार खोल दिए हैं. जिस इलाके में बुलेट की आवाज गूंजती थी आज उसी इलाके में बूट की आवाज लोगों को पसंद आ रही है. पिछले 30 महीनों में पलामू की फिजाओं में बड़ा बदलाव आया है. इस दौरान एक दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की गई है.

जानकारी देते एसपी इन्द्रजीत माहथा

नक्सली हुए कमजोर, रोड सुरक्षा भी बढ़ी

पलामू में नक्सल को कमजोर करने और सुरक्षित माहौल तैयार करने में एसपी इन्द्रजीत माहथा का बड़ा योगदान रहा है. उनकी पहल पर झारखंड-बिहार सीमा पर आधा दर्जन पुलिस पिकेट बने जिस कारण नक्सल गतिविधि बेहद कमजोर हो गई. जिले में 30 महीनों में सबसे बड़ा बदलाव रोड सुरक्षा में हुआ. लोग शाम 6 बजे के बाद NH पर चलना बंद कर देते थे. अब रात दो बजे भी आराम से लोग चलते हैं.

कुख्यात नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

30 महीनों में कुख्यात माओवादी अजय यादव और राकेश भुइयां के दस्ते का सफाया हुआ है. वहीं, आधा दर्जन के करीब टॉप नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया. एसपी इन्द्रजीत महथा का तबादला चाईबासा हो गया है. इन्द्रजीत माहथा बताते है कि पलामू में नक्सलियों से निपटना बड़ी चुनौती थी. सीआरपीएफ और अपने जवानों की मेहनत के बल पर नक्सल गतिविधि पर काबू पाया गया है. सभी की मेहनत का नतीजा है कि नक्सलियों को कैडर नहीं मिल रहा है.

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पिकेट बनने से विकास के खुले द्वार

एसपी ने बताया कि जिले में पिकेट ने विकास के द्वार खोले हैं. योजनाबद्ध तरीके से पिकेट की स्थापना की गई है. जिस इलाके में पिकेट बना वहां तेजी से विकास हो रहा है. एसपी ने बताया कि उनका तबादला चाईबासा किया गया है. पलामू में नक्सलियों के खिलाफ अनुभव चाईबासा में काम आएगा. बता दें कि वे पहले भी इस इलाके में रह चुके हैं.

Intro:पलामू में पिकेट ने खोले है विकास के द्वार, एसपी इन्द्रजीत माहथा के 30 महीने के कार्यकाल मे बदल गया है पलामू

नीरज कुमार । पलामू

नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस पिकेट ने विकास के द्वार को खोल दिया है। जिस इलाके में बुलेट की आवाज गूंजती थी आज उस इलाके में बूट की आवाज लोगो को पसंद आ रही है। पिछले 30 महीने में पलामू की फिजाओं में बड़ा बदलाव आया है। इस दौरान एक दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की गई है। करीब 30 महीना पहले पलामू में 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी इन्द्रजीत महथा को एसपी बना कर भेजा गया था। पलामू में नक्सल को कमजोर करने और सुरक्षित माहौल तैयार करने में एसपी इन्द्रजीत माहथा का बड़ा योगदान रहा है। उनके पहल पर झारखंड बिहार सीमा पर आधादर्जन पुलिस पिकेट बने जिस कारण, नक्सल गतिविधि बेहद कमजोर हो गई।


Body:पलामू में पिछले 30 महीनों में सबसे बड़ा बदलाव रोड सुरक्षा में हुआ। लोग शाम 6 बजे के बाद NH पर चलना बंद कर देते थे, अब रात दो बजे भी आराम से लोग चलते हैं। एसपी के 30 महीने के कार्यकाल में कुख्यात माओवादी अजय यादव और राकेश भुइयां के दस्ते का सफाया हुआ जबकि आधा दर्जन के करीब टॉप नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। पलामू एसपी इन्द्रजीत महथा का तबादला चाईबासा हो गया है। इन्द्रजीत माहथा बताते है कि पलामू में नक्सलियों ने निबटना बड़ी चुनौती थी, सीआरपीएफ और अपने जवानो के मेहनत के बल पर नक्सल गतिविधि पर काबू पाया गया है। सभी की मेहनत का नतीजा है कि नक्सलियों को कैडर नही मिल रहा है।


Conclusion:एसपी ने बताया कि पलामू में पिकेट ने विकास का द्वार खोला है। योजनाबद्ध तरीके से पिकेट की स्थापना की गई है, जिस इलाके में पिकेट बना आज वंहा तेजी से विकास हो रहा है। एसपी ने बताया कि उनका तबादला चाईबासा किया गया है, पलामू में नक्सलियों के खिलाफ अनुभव चाईबासा में काम आएगा। वे पहले भी उस इलाके में रह चुके हैं।
Last Updated : Jun 21, 2019, 10:21 PM IST
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