पलामूः नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस पिकेट ने विकास के द्वार खोल दिए हैं. जिस इलाके में बुलेट की आवाज गूंजती थी आज उसी इलाके में बूट की आवाज लोगों को पसंद आ रही है. पिछले 30 महीनों में पलामू की फिजाओं में बड़ा बदलाव आया है. इस दौरान एक दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की गई है.
नक्सली हुए कमजोर, रोड सुरक्षा भी बढ़ी
पलामू में नक्सल को कमजोर करने और सुरक्षित माहौल तैयार करने में एसपी इन्द्रजीत माहथा का बड़ा योगदान रहा है. उनकी पहल पर झारखंड-बिहार सीमा पर आधा दर्जन पुलिस पिकेट बने जिस कारण नक्सल गतिविधि बेहद कमजोर हो गई. जिले में 30 महीनों में सबसे बड़ा बदलाव रोड सुरक्षा में हुआ. लोग शाम 6 बजे के बाद NH पर चलना बंद कर देते थे. अब रात दो बजे भी आराम से लोग चलते हैं.
कुख्यात नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
30 महीनों में कुख्यात माओवादी अजय यादव और राकेश भुइयां के दस्ते का सफाया हुआ है. वहीं, आधा दर्जन के करीब टॉप नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया. एसपी इन्द्रजीत महथा का तबादला चाईबासा हो गया है. इन्द्रजीत माहथा बताते है कि पलामू में नक्सलियों से निपटना बड़ी चुनौती थी. सीआरपीएफ और अपने जवानों की मेहनत के बल पर नक्सल गतिविधि पर काबू पाया गया है. सभी की मेहनत का नतीजा है कि नक्सलियों को कैडर नहीं मिल रहा है.
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पिकेट बनने से विकास के खुले द्वार
एसपी ने बताया कि जिले में पिकेट ने विकास के द्वार खोले हैं. योजनाबद्ध तरीके से पिकेट की स्थापना की गई है. जिस इलाके में पिकेट बना वहां तेजी से विकास हो रहा है. एसपी ने बताया कि उनका तबादला चाईबासा किया गया है. पलामू में नक्सलियों के खिलाफ अनुभव चाईबासा में काम आएगा. बता दें कि वे पहले भी इस इलाके में रह चुके हैं.