पलामूः जिले के प्रसिद्ध देवी धाम हैदरनगर परिसर में मां की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा सह शतचंडी महायज्ञ के आठवें दिन संत सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान श्री श्री 1008 सुंदरराज यतिराज स्वामी जी महाराज की अगुआई में संत समेलन में देश भर से आये हुए विद्वानों और संत-महात्माओं ने आपने विचार रखे. सम्मेलन में मंच संचालन सर्वेशवरा स्वामी ने किया.
धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगाः इस अवसर पर अयोध्या के प्रेम शंकर दास महाराज ने कहा कि धर्म बचेगा तो देश बचेगा. धर्म का प्रथम स्तंभ संत हैं. हम संत का आश्रय लेकर ही हम धर्म की रक्षा कर सकते हैं. वहीं सुंदरराज स्वामी महाराज ने कहा कि सब कुछ छूट जाए, लेकिन धर्म नहीं छूटना चाहिए. हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा. हम सभी को शास्त्र अनुकूल कार्य करना चाहिए. वह चीज नहीं करना है जिसको शास्त्र ने मना किया है. तभी धर्म की रक्षा हो सकती है.
हिन्दू धर्म आज सर्व दिशाओं से संकटों से घिराःअनादि काल से रक्षित विश्व वन्दनीय हिन्दू धर्म आज सर्व दिशाओं से संकटों से घिरा हुआ है. धर्मद्रोही और हिन्दू द्वेषी लोग सार्वजनिक रूप से हिन्दू धर्म पर आघात कर रहे हैं. धर्म पर आघात करने वाले अपने कट्टरपन्थी पूर्वजों की परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं. इसके अतिरिक्त, स्वयं को धर्म-निरपेक्ष, आधुनिक, विज्ञानवादी और समाज सुधारक कहलाने वाले कुछ हिन्दू भी धर्म पर आघात करने लगे हैं.
हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने का करें उपायः हमारे पूर्वजों द्वारा रक्षित महान हिन्दू धर्म यदि हमें बचाना है, तो प्रत्येक हिन्दू को धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में समझकर उन्हें रोकने के लिए कार्य करना चाहिए. वहीं मारुती किंकर महाराज ने कहा कि भारत का तत्व धर्म है. शरीर से प्राण निकल जाए, देश से धर्म निकल जाए तो वह निर्जीव हो जाता है. भारतवर्ष ही ऐसी भूमि है जहां धर्म का पालन किया जाता है. जो भारत में रहकर धर्म का पालन नहीं करता है उसका विनाश हो जाता है. वहीं काशी के आए निर्मल स्वामी जी महाराज ने कहा कि संतों की वाणी को सुनकर मनन करें. धर्म देश का प्राण है. धर्म की जो रक्षा करता है, उसकी धर्म रक्षा करता है. वहीं काशी के हरिन्ददाचार्य महाराज ने कहा कि जितना ज्यादा धर्म का प्रचार हो उतना ज्यादा पर्चा करें.
सम्मेलन में इन संतों ने रखी अपनी बातः संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर प्रेम शंकर दास महाराज, जगतगुरु स्वामी सुर्यनारायण चार्य स्वामी महाराज, जगतगुरू ज्योती नारायणा चार्य स्वामी, जगतगुरु विष्णु चित स्वामी महाराज, जगतगुरु निर्मल स्वामी महाराज, जगतगुरु राघव प्रपनाचार्य, जगतगुरु सर्वेशवरा चार्य महाराज, जगतगुरु रंगनाथन चार्य स्वामी, जगतगुरु सत्यनारायण स्वामी, जगतगुरु मारुति किंकर स्वामी, अरुण शास्त्री, दिनेश शुक्ला, केशव नारायण स्वामी, राम प्रपनाचार्य स्वामी सहित सैकड़ों संत और विद्वान मौजूद थे.