पलामूः श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन की कार्रवाई में सात बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. मुक्त कराए गए बाल मजदूरों में कुछ लाइन होटल और कुछ ठेले पर कार्य करते थे. बाल मजदूरों में एक रांची, दो चतरा के रहने वाले हैं, जबकि बाकी के अन्य मनातू, चैनपुर के इलाके के रहने वाले हैं. मुक्त कराए गए बाल मजदूरों को बाल गृह में रखा गया है. दरअसल, 12 जून को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर मनाया गया है. इसी के तहत श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन और बाल संरक्षण पदाधिकारी ने सोमवार को अभियान चलाया गया.
अलग-अलग स्थानों में छापेमारी कर टीम ने बच्चों को कराया मुक्तः श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन के पदाधिकारियों ने मेदिनीनगर के बिरयानी सेंटर से एक बाल मजदूर को मुक्त कराया, जबकि चैनपुर और डालटनगंज-गढ़वा रोड में छापेमारी कर छह बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. बच्चों को मुक्त कराने के बाद सभी को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया. जहां से सभी बच्चों को बाल गृह भेज दिया गया है. इस छापेमारी में बाल श्रम पदाधिकारी एतवारी महतो, बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार, चाइल्ड लाइन की टीम शामिल थी.
बाल मजदूरी करानेवाले संबंधित संस्थानों से वसूला जाएगा जुर्मानाः इस संबंध में श्रम अधीक्षक एतवारी महतो ने कहा कि बाल मजदूरी करवाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ उनसे फाइन वसूला जाएगा. पिछले तीन जून को मुक्त कराए गए बाल मजदूरों के मामले में संबंधित संस्थानों पर 20-20 हजार रुपए का फाइन किया गया है. उन्होंने बताया कि बाल मजदूरों को पुनर्वासित किया जाएगा और उन्हें कई सरकारी योजना का लाभ दिया जाएगा. साथ ही बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन कराया जाएगा.
बच्चों के परिजनों को दी गई मामले की सूचनाः मुक्त कराए गए बाल मजदूरों ने छापेमारी टीम को बताया है कि उन्हें तीन हजार से 4500 रुपए महीना मिलता है. चतरा से मुक्त हुए बाल मजदूरों को 4500 रुपए महीना मिलता था, जबकि मेदिनीनगर से मुक्त कराए गए बाल मजदूर को 30 रुपए प्रतिदिन मिलता था. मुक्त कराए गए बाल मजदूरों के परिजनों को सूचना दे दी गई है. मामले में श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन आगे की कार्रवाई में जुट गई है.