पलामू: झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना बने बूढ़ापहाड़ के इलाके में नक्सलियों की तलाश के लिए सुरक्षाबलों ने पांच दिनों तक तलाशी अभियान चलाया. नक्सलियों की तलाशी के लिए चलाए गए इस ओमेगा अभियान में कोबरा, जगुआर, सीआरपीएफ, जैप, आईआरबी और जिले के पुलिसकर्मियों ने भाग लिया. इस दौरान सुरक्षाबलों ने बूढ़ापहाड़ के पुंदाग, पीपरढाब, बूढ़ा जैसे गांवों में कैम्प किया, लेकिन कोई नक्सली हत्थे नहीं चढ़ सका. अनुमान लगाया जा रहा है कि सुरक्षाबलों के अभियान की भनक लगते ही माओवादी छत्तीसगढ़ के इलाके में भाग गए.
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बूढ़ापहाड़ इलाके पर नजर
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाबलों के अभियान में बूढ़ापहाड़ के इलाके में नक्सलियों का कैम्प या ट्रेनिंग सेंटर नहीं मिल सका है. फिलहाल सुरक्षा बल बूढ़ापहाड़ के इलाके पर नजर रखे हुए हैं. सीआरपीएफ और पुलिस के टॉप पुलिस अधिकारी अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इससे पहले सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि बूढ़ापहाड़ के इलाके में टॉप माओवादियों ने बड़ी बैठक की है. बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों का नया कमांडर मिथिलेश मेहता उर्फ रोहित और नवीन के साथ बिहार के छकरबंधा से यहां पहुंचा था. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बूढ़ापहाड़ पर लातेहार, गढ़वा, गुमला, लोहारदगा और सिमडेगा के इलाके के टॉप माओवादियों की बैठक हुई थी. मिथिलेश मेहता और नवीन के साथ 20 के करीब माओवादी बूढ़ापहाड़ पंहुचे थे.