पलामू: बाघ और तेंदुआ सामने आ जाए तो किसी भी आम इंसान के होश उड़ जाएंगे, लेकिन कुछ ऐसी भी बहादुर महिलाएं हैं जो उनकी आंखों में आंख डाल कर वन्य जीवों के बचाने की मुहिम में जुटी हैं. ये महिलाएं वन्य जीव और जंगल को बचाने के लिए बेखौफ हो कर जंगलों में घूमती हैं और शिकारियों से वन्य जीवों को बचाती हैं. हम बात कर रहे हैं भारत के बड़े टाइगर प्रोजेक्ट में से एक पलामू टाइगर रिजर्व की. पलामू टाइगर रिजर्व का 90 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा अतिनक्सल प्रभावित है. इस इलाके में महिला वनरक्षी और ट्रैकर हाथों में डंडा और टांगी लेकर वन्य जीवों और जंगलों को बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं.
कई बार तेंदुए और दूसरे वन्य जीवों से हुआ है सामनाः इस दौरान महिला ट्रैक्टरों का और वन रक्षियों का कई बार तेंदुए और अन्य वन्यजीवों से सामना हुआ है. बताते चलें कि पीटीआर में दो महिला ट्रैकर हैं. जबकि एक दर्जन के करीब महिला वनरक्षी हैं. सभी को पीटीआर के अलग-अलग हिस्से में ड्यूटी लगाई गई है. इनका मुख्य काम वन्य जीवों पर निगरानी करना, शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना और मवेशियों को पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में घुसने से रोकना है. इस संबंध में वनरक्षी सुकेशी बताती हैं कि मैं ड्यूटी के दौरान काफी उत्साहित रहती हूं. जानवर को बचाना उनका फर्ज भी है.
हिंसक नहीं हैं पीटीआर के तेंदुएः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में तैनात ट्रैक्टर और वनरक्षियों का तेंदुए और वन्य जंगली जीवों से सामना हो चुका है. पलामू टाइगर रिजर्व में तैनात वनरक्षी मनीता बताती हैं कि इलाके के तेंदुआ हिंसक नहीं हैं. कई बार उनके झुंड के साथ सामना हो चुका है. उन्होंने कहा कि एक बार पेट्रोलिंग में निकली थी. इसी क्रम में तेंदुआ सामने आ गया था. काफी देर तक तेंदुआ खड़ा रहा और उन्हें देखता रहा. उन्होंने तेंदुए की आंखों में आंखें डाल कर काफी देर तक देखा. कुछ देर बाद तेंदुआ जंगल में वापस चला गया.
सामने हाथी आ जाने पर होती है मुश्किलः मनीता बताती हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में तेंदुआ द्वारा मानव जीवन पर हमले की घटना अब तक सामने नहीं आई है. विभागीय अधिकारी द्वारा ड्यूटी को लेकर कई एसओपी जारी किया गया हैं. मनीता ने बताया कि ड्यूटी के दौरान सुरक्षा का ख्याल भी रखना होता है. सबसे मुश्किल वक्त अकेला हाथी सामने आने पर होता है. अकेला हाथी अक्सर हिंसक रूप अख्तियार करता है, इस दौरान वे नजदीक के बाद टावर के पास जाने की कोशिश करती हैं या छिपने की उपाय ढूंढती हैं. वे अपने साथ हथकड़ी भी रखती हैं. शिकारी को पकड़ने के बाद भी मौके से ही गिरफ्तार कर लेती हैं.
महिला ट्रैकरों को जंगली जीवों के बारे में रहती है जानकारीः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में तैनात सभी महिला ट्रैकर इलाके को ही रहने वाली हैं. स्थानीय होने के कारण सभी को बचपन से ही जंगली जीवों के बारे में जानकारी रहती है. वनों में ड्यूटी के दौरान उन्हें सहूलियत होती है. पीटीआर में महिला ट्रैकर डेली वेजेज पर काम करती हैं. जिन्हें प्रतिदिन 327 रुपए के हिसाब से मजदूरी दिया जाता है. महिला ट्रैकर अघनिया देवी बताती हैं कि जंगलों में ड्यूटी के दौरान वे अपनी सुरक्षा के लिए डंडा और टांगी रखती हैं. कई बार डर भी लगता है, लेकिन ड्यूटी करना भी जरूरी है. जंगलों को बचाने के लिए वह प्रतिदिन कई किलोमीटर जंगलों में पेट्रोलिंग करती हैं. वह पिछले सात वर्षों से ट्रैकर का काम कर रही हैं.
पीटीआर में बाघ, तेंदुआ, बायसन, हाथी, हायना समेत कई वन्य जीव मौजूद हैंः पलामू टाइगर रिजर्व पलामू गढ़वा और लातेहार में फैला हुआ है. पीटीआर के इलाके में बाघ, तेंदुआ, बायसन, हाथी, हायना समेत कई वन्यजीव मौजूद हैं. पीटीआर के अधिकारी के अनुसार इलाके में 90 से 110 तेंदुए हैं. वहीं 180 से 200 के बीच हाथी हैं, 60 के करीब बायसन, सैकड़ों की संख्या में हायना, जबकि 10,000 से अधिक हिरन मौजूद हैं. इलाके में अक्सर शिकारी हिरण और अन्य वन्यजीवों के शिकार के लिए पहुंचते हैं. महिला वनरक्षी और ट्रैकर बताती हैं कि रात के समय शिकारियों के बारे में जानकारी मिलने के बाद कार्रवाई करना चुनौतीपूर्ण होता है. वे तत्काल इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को देती हैं और अभियान शुरू किया जाता है.