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मंडल डैम पलामू के लिए पीटीआर के 3.44 लाख पेड़ नहीं कटेंगे, कमिटी की बैठक में लगेगी मुहर! - PTR trees meeting

मंडल डैम पलामू के लिए पीटीआर के 3.44 लाख पेड़ कटने की आशंका नहीं है. हालांकि इस पर अंतिम मुहर लगना बाकी है. 70 के दशक से बन रहे डैम के अधूरे कार्य का शिलान्यास 2019 में किया गया था.

PTR trees will not be cut for Mandal Dam Palamu
मंडल डैम पलामू के लिए पीटीआर के 3.44 लाख पेड़ नहीं कटेंगे
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Published : Dec 13, 2021, 10:00 PM IST

पलामू: चर्चित मंडल डैम निर्माण कार्य के लिए पेड़ काटने को लेकर बड़ा फैसला जल्द हो सकता है. इसको लेकर कमिटी की बैठक होने वाली है, जिसकी तैयारियां तेज हो गईं हैं.

ये भी पढ़ें-Omicron Variant: अस्पतालों की व्यवस्था पर सुनवाई, हाई कोर्ट ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन खरीदने के दिए निर्देश

बता दें कि मंडल डैम पलामू के निर्माण कार्य के लिए 344644 पेड़ काटे जाने हैं. पेड़ों के काटने को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक, लातेहार डीएफओ, उपनिदेशक पलामू टाइगर रिजर्व की एक कमिटी बनी थी. बाद में कमिटी में आईएफपी रांची के निदेशक, वन्य प्राणी संस्थान देहरादून के निदेशक, आईसीएफआर के निदेशक को भी जोड़ लिया गया. इस कमिटी को निर्णय लेना है कि पेड़ काटे जाएंगे या नहीं.

हालांकि सूत्रों से जानकारी मिली है कि डैम निर्माण के लिए पेड़ नहीं काटने के निर्णय पर जल्द मुहर लग सकती है. इस पर अंतिम मुहर लगने के साथ ही रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी. हालांकि कमिटी को सितंबर 2020 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देनी थी. इसके बावजूद अभी तक रिपोर्ट सौंपी नहीं गई. कमिटी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया. कमिटी की अंतिम बैठक 14 अगस्त 2020 को ही हुई थी, जिसमें पेड़ों के काटने पर सहमति नहीं बन सकी.

पेड़ों के कटने के बाद पलामू के पर्यावरण में बदलाव की आशंका

कमिटी के सदस्य रहे एक अधिकारी के अनुसार 3.44 लाख पेड़ों को काटने के बाद पलामू के पर्यावरण में बड़ा बदलाव होने की आशंका है. पलामू पहले से ही रेनशैडो एरिया है, पेड़ों के कट जाने के बाद पलामू का तापमान दो से तीन डिग्री बढ़ जाएगा. जो जानकारी मिली है उसके अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बांध बने हैं जिनके लिए पेड़ नहीं काटे गए हैं.

70 के दशक में शुरू हुआ था निर्माण कार्य, 1993 से ठप

बता दें कि मंडल डैम का निर्माण कार्य 70 के दशक से शुरू हुआ था लेकिन 1993 से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है. मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने की परियोजना का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2019 को किया था. मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 344644 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव था. मंडल डैम के लिए जिस इलाके में पेड़ काटा जाना है वह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व का है. पूरा जंगल साल ( सखुआ) का है. इस मामले में जल संसाधन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से पेड़ काटने के लिए अनुमति मांगी थी.

3.44 लाख पेड़ रखना भी चुनौती

मंडल डैम के निर्माण कार्य में लगी कंपनी वेबकॉस को पेड़ काटना है, हालांकि एनओसी नहीं मिलने के कारण पेड़ों को काटने का काम शुरू नहीं हो सका. कंपनी को पेड़ों को काटने के बाद लकड़ी को वन विभाग के डिपो में रखना था. लेकिन यहां वन विभाग के पास इतना बड़ा डिपो नहीं है जिसमें 3.43 लाख पेड़ों को रखा जा सके. विभाग को इसके लिए 21 से 25 डिपो बनाने पड़ते. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व को मंडल डैम के डूब क्षेत्र के लिए करीब 367 करोड़ रुपये मिले हैं.

क्या है रेन शैडो एरिया

किसी पर्वत श्रेणी के पवन विमुखी ढाल पर ऐसा क्षेत्र जहां औसत वर्षा बहुत कम होती है. जब हवाएं पर्वत श्रेणी को पार करके पवन विमुखी ढाल से नीचे उतरती हैं तब वे गर्म और शुष्क हो जाती हैं जिसके कारण इस भाग में बहुत कम वर्षा हो पाती है. भारत में पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश यानी शैडो एरिया का उदाहरण हैं, पलामू ऐसी ही शैडो एरिया का हिस्सा है. वृष्टि छाया प्रदेश पर अति अल्प वर्षा होती है और कुछ स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 60 सेमी से भी कम होती है.

पलामू: चर्चित मंडल डैम निर्माण कार्य के लिए पेड़ काटने को लेकर बड़ा फैसला जल्द हो सकता है. इसको लेकर कमिटी की बैठक होने वाली है, जिसकी तैयारियां तेज हो गईं हैं.

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बता दें कि मंडल डैम पलामू के निर्माण कार्य के लिए 344644 पेड़ काटे जाने हैं. पेड़ों के काटने को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक, लातेहार डीएफओ, उपनिदेशक पलामू टाइगर रिजर्व की एक कमिटी बनी थी. बाद में कमिटी में आईएफपी रांची के निदेशक, वन्य प्राणी संस्थान देहरादून के निदेशक, आईसीएफआर के निदेशक को भी जोड़ लिया गया. इस कमिटी को निर्णय लेना है कि पेड़ काटे जाएंगे या नहीं.

हालांकि सूत्रों से जानकारी मिली है कि डैम निर्माण के लिए पेड़ नहीं काटने के निर्णय पर जल्द मुहर लग सकती है. इस पर अंतिम मुहर लगने के साथ ही रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी. हालांकि कमिटी को सितंबर 2020 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देनी थी. इसके बावजूद अभी तक रिपोर्ट सौंपी नहीं गई. कमिटी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया. कमिटी की अंतिम बैठक 14 अगस्त 2020 को ही हुई थी, जिसमें पेड़ों के काटने पर सहमति नहीं बन सकी.

पेड़ों के कटने के बाद पलामू के पर्यावरण में बदलाव की आशंका

कमिटी के सदस्य रहे एक अधिकारी के अनुसार 3.44 लाख पेड़ों को काटने के बाद पलामू के पर्यावरण में बड़ा बदलाव होने की आशंका है. पलामू पहले से ही रेनशैडो एरिया है, पेड़ों के कट जाने के बाद पलामू का तापमान दो से तीन डिग्री बढ़ जाएगा. जो जानकारी मिली है उसके अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बांध बने हैं जिनके लिए पेड़ नहीं काटे गए हैं.

70 के दशक में शुरू हुआ था निर्माण कार्य, 1993 से ठप

बता दें कि मंडल डैम का निर्माण कार्य 70 के दशक से शुरू हुआ था लेकिन 1993 से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है. मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने की परियोजना का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2019 को किया था. मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 344644 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव था. मंडल डैम के लिए जिस इलाके में पेड़ काटा जाना है वह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व का है. पूरा जंगल साल ( सखुआ) का है. इस मामले में जल संसाधन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से पेड़ काटने के लिए अनुमति मांगी थी.

3.44 लाख पेड़ रखना भी चुनौती

मंडल डैम के निर्माण कार्य में लगी कंपनी वेबकॉस को पेड़ काटना है, हालांकि एनओसी नहीं मिलने के कारण पेड़ों को काटने का काम शुरू नहीं हो सका. कंपनी को पेड़ों को काटने के बाद लकड़ी को वन विभाग के डिपो में रखना था. लेकिन यहां वन विभाग के पास इतना बड़ा डिपो नहीं है जिसमें 3.43 लाख पेड़ों को रखा जा सके. विभाग को इसके लिए 21 से 25 डिपो बनाने पड़ते. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व को मंडल डैम के डूब क्षेत्र के लिए करीब 367 करोड़ रुपये मिले हैं.

क्या है रेन शैडो एरिया

किसी पर्वत श्रेणी के पवन विमुखी ढाल पर ऐसा क्षेत्र जहां औसत वर्षा बहुत कम होती है. जब हवाएं पर्वत श्रेणी को पार करके पवन विमुखी ढाल से नीचे उतरती हैं तब वे गर्म और शुष्क हो जाती हैं जिसके कारण इस भाग में बहुत कम वर्षा हो पाती है. भारत में पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश यानी शैडो एरिया का उदाहरण हैं, पलामू ऐसी ही शैडो एरिया का हिस्सा है. वृष्टि छाया प्रदेश पर अति अल्प वर्षा होती है और कुछ स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 60 सेमी से भी कम होती है.

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