पलामू: पीटीआर के इलाके में दाखिल हुआ बाघ लापता हो गया है. उसे अंतिम बार लातेहार और लोहरदगा के सीमावर्ती इलाके में देखा गया था. अंतिम बार उसने लातेहार के बेंदी में शिकार किया था. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघ की तलाश में 40 से भी अधिक कर्मियों की तैनाती की गई है. लातेहार और लोहरदगा के सीमावर्ती क्षेत्र में उसके होने की उम्मीद जताई जा रही है. इलाके में ट्रैकिंग कैमरे भी लगाए गए हैं.
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वहीं, बाघ से जुड़ी हुई एक और कहानी निकल कर सामने आई है. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में 27 मार्च को एक बाघिन को जख्मी हालत में रेस्क्यू किया गया था. बाघिन ने सूरजपुर के इलाके में ग्रामीणों पर हमला किया था जिसमें दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी. जिसके बाद में ग्रामीणों ने इस बाघिन पर हमला किया. इसमें बाघिन जख्मी हो गई. जिसके बाद बाघिन को रेस्क्यू कर छत्तीसगढ़ के रायपुर में इलाज किया जा रहा है.
पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार यह बाघिन उसी रास्ते मे थी, जिस रास्ते से बाघ पीटीआर में दाखिल हुआ था. पीटीआर में दाखिल होने वाला बाघ सूरजपुर होते हुए पहुंचा था. पीटीआर का कॉरिडोर सूरजपुर होते हुए एमपी के बांधवगढ़ और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. यह करीब 450 किलोमीटर का कॉरिडोर है. बाघिन ने करीब 200 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था.
पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च के दूसरे पखवाड़े में छत्तीसगढ़ से एक बाघ दाखिल हुआ था. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के कैमरे में बाघ की तस्वीर और वीडियो भी कैद हुए थे. बाघ काफी दिनों तक लोहरदगा और लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बना हुआ था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं मिल पा रही है और बाघ ट्रेस भी नहीं हो पा रहा है. जिस इलाके में कुछ दिनों पहले बाघ को देखा गया था, वह पीटीआर के बाहर का क्षेत्र है और कई किलोमीटर का घने जंगलों के कॉरिडोर भी है.