पलामू: माओवादी अपने सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक झारखंड के बूढ़ापहाड़ इलाके में ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. लोहरदगा और लातेहार सीमा पर टॉप माओवादी कमांडर रबिन्द्र गांझू के दस्ते को हुए नुकशान के बाद माओवादियों ने समीक्षा की थी. इसके बाद रबिन्द्र गंझू अपने सात से 10 साथियों के साथ बूढ़ापहाड़ पहुंचा था और उसके बाद वहां से वह लोहरदगा, लातेहार और गुमला सीमावर्ती इलाके में सक्रिय है. पूरे मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियां भी हाई अलर्ट पर है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बूढ़ापहाड़ के इलाके में छत्तीसगढ़ में सक्रिय एक टॉप कमांडर पंहुचा था, उसके बाद माओवादियों की बड़ी बैठक हुई है.
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मानसून से पहले बूढ़ापहाड़ के इलाके में बड़े अभियान की तैयारी: माओवादियों की गतिविधि को लेकर बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबल बड़े अभियान की तैयारी कर रहे हैं. बूढ़ापहाड़ और पलामू प्रमंडल के इलाके में 20 जून के आसपास मानसून की दस्तक होती. मानसून से पहले पूरे बूढ़ा पहाड़ के इलाके को सैनिटाइज किया जाएगा. फिलहाल झारखंड के बूढ़ापहाड़ में इलाके में 20 से अधिक पुलिस कैम्प स्थापित हैं.
झारखंड के तीन जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार की सीमा पर बूढ़ापहाड़ जिसे माओवादियों ने 2013-14 में अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. 2017-18 में एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद की मौत के बाद माओवादी धीरे धीरे कमजोर हो गए. बूढ़ापहाड़ का टॉप कमांडर बिरसासाई, विमल यादव समेत कई टॉप नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. सुरक्षा एजेंसीयों की माने तो बूढ़ा पहाड़ में 30 से 35 की संख्या में माओवादी सक्रिय हैं. जिसका नेतृत्व 25 लाख के इनामी नक्सली मरकस बाबा कर रहा है.