पलामू: पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड में वन्यजीवों का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां 350 से भी अधिक प्रकार के वन्य जीव पाए जाते हैं. गर्मी का मौसम वन्यजीवों के लिए सबसे संकट भरा होता है. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 11 से 29 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इनमें से 70 प्रतिशत से भी अधिक इलाके में वन्यजीव प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर है. इस बार पूरा इलाका सुखाड़ की चपेट में है. तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच चुका है. लगभग सभी प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं. वन्यजीवों के लिए संकट का दौर शुरू हो गया है.
पीटीआर प्रबंधन प्यास बुझाने के लिए कई तरह की पहल कर रहा है. वित्तीय वर्ष 2015-16 से बाद से अब तक विभाग वन्यजीवों के प्यास बुझाने के नाम पर 70 लाख रुपय से भी अधिक की राशि खर्च कर चुका. इसका एक बड़ा हिस्सा टैंकर से पानी आपूर्ति पर का है. वन्य जीवों के प्यास सुलझाने के लिए कई इलाकों में कृत्रिम चला से बनाए गए हैं, जबकि सोलर सिस्टम भी लगाया गया. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क इलाके में फिलहाल तीन-तीन लाख की लागत से चार सोलर सिस्टम को लगाया गया है. इस सोलर सिस्टम बेतला नेशनल पार्क इलाके में वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध करवाया जा रहा.
इस सिस्टम को पलामू टाइगर रिजर्व के सभी इलाकों में लगाने की पहल की जा रही है. हालांकि सोलर सिस्टम से कुछ ही इलाकों को फायदा हो रहा है. पीटीआर का 70 प्रतिशत से भी अधिक इलाका अभी भी प्यासा है. पलामू टाइगर रिजर्व से होकर गुजरने वाली कोयल, औरंगा और बूढ़ा नदी सुख चुकी है. तीन दर्जन से अधिक चेक डैम सुख गए है. पलामू टाइगर रिजर्व में पिछले एक दशक में पानी की समस्या से निपटने के लिए कई कच्चे निर्माण कार्य किए गए है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि सोलर सिस्टम को लगाया गया है. कुछ समय के बाद इनकी संख्या बढ़ा कर 10 कर दी जाएगी.
पीटीआर के कई इलाकों में इस तरह की पहल की जानी है,. ताकि वन्य जीवों को पानी की समस्या नहीं हो. टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पीटीआर के इलाके में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, चीतल, बायसन, भालू समेत कई दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव मौजूद है. पानी की समस्या खत्म होने के बाद हाथी और हिरण को परेशानी होती है. प्लांटी का रिजल्ट इलाके में 10 हजार से भी अधिक हिरण मौजूद है. पलामू टाइगर इलाके में प्रत्येक वर्ष गर्मियों के दिन में वन्यजीवों के पानी के लिए 10 लाख रुपये से भी अधिक की राशि खर्च की जाती है.