पलामू: जिले के लिए मलेरिया अभिशाप है. यहां हर साल दर्जनों लोगों की जान मलेरिया से जाती है और हजारों लोग इसका शिकार होते हैं. लेकिन मलेरिया कोरोना से लड़ाई में पलामू के लिए वरदान साबित हो रहा है. मलेरिया का जोन होने के कारण पलामू के लोगों की कोरोना से लड़ने का प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, जिससे कोरोना के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं.
जिले में अब तक कोरोना के 15 मरीज मिले हैं, जिसमें आठ ठीक हो कर घर चले गए हैं. आठों मरीज चिन्हित होने के बाद दो सप्ताह के अंदर ठीक हो गए हैं. सभी में कोरोना संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर पाई गई है.
पलामू सिविल सर्जन डॉ जॉन एफ कैनेडी ने बताया है कि ऐसा देखा गया है मलेरिया प्रभावित इलाके के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, पलामू भी मलेरिया प्रभावित क्षेत्र है. यहां बड़ी संख्या में लोगों ने क्लोरीक्वीन का इस्तेमाल किया है. कोरोना में भी डाक्टरों की निगरानी में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट दी जाती है.
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पलामू में रहने वाले लोगों को नहीं हुआ कोरोना
पलामू में सभी 15 कोरोना मरीज बाहर से पलामू पंहुचे थे. पलामू में रहते हुए किसी को भी कोरोना नहीं हुआ है. यहां मिले 15 मरीजों में 3 रांची के हिंदपीढ़ी, 5 गुजरात के सूरत, जबकि 7 छतीसगढ़ से पलामू पंहुचे थे.
पलामू में हर साल दो लाख से अधिक लोग करवाते हैं मलेरिया की जांच
पलामू जिले में हर साल लगभग दो लाख लोग मलेरिया की जांच करवाते हैं. यहां की कुल आबादी के दस प्रतिशत लोग हर साल मलेरिया की जांच करवा रहे हैं. 2019 में 2 लाख 14 हजार 282 लोगो ने मलेरिया की जांच करवाई थी. वहीं 2020 में अब तक 38 हजार 16 लोगों ने मलेरिया की जांच करवाई है. जिसमें 683 लोगों को मलेरिया हुआ है. यह आंकड़ा सरकारी जांच केंद्रों का है. जबकि प्राइवेट जांच घरों को जोड़ दिया जाए तो यह दोगुना से भी अधिक हो जाएगा. पलामू का हुसैनाबाद, छत्तरपुर, चैनपुर, बिश्रामपुर, मेदिनीनगर सबसे अधिक मलेरिया प्रभावित इलाका है.