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रामबांध पंचायत की पांच हज़ार आबादी, 11वर्षो से है परेशान

पलामू जिले के रामबांध पंचायत के रहने वाले लोग 11 वर्षो से 3 किलोमीटर की जगह पर 14 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Aug 1, 2019, 3:28 PM IST

रामबांध पंचायत

पलामू: जिला के रामबांध ग्राम पंचायत को 2008 में हैदरनगर प्रखंड से काट कर मोहम्मदगंज में शामिल कर दिया गया था. पंचायत से हैदरनगर प्रखंड की दूरी सिर्फ 2 से 3 किलो मीटर की है. जबकि मोहम्मदगंज प्रखंड 14 किलो मीटर दूरी है. ग्रामीणों को 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जिससे लोग काफी परेशान हैं.

देखें पूरी खबर


बताया जाता है कि पंचायत को मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल होने के दिन से आज तक ग्रामीण पंचायत को हैदरनगर में शामिल कराने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं. उन्होंने प्रशासनिक पदाधिकारी,जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाए. बात नहीं बनती देख उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय ने सरकार से रिपोर्ट भी मांगा.

ग्रामीणों को हो रही परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी काम को लेकर मोहम्मदगंज जाते हैं तो उनका पूरा दिन बर्बाद होता है. अधिक पैसे भी खर्च होते हैं. उन्होंने बताया कि मजे की बात तो ये है कि उन्हें मोहम्मदगंज ब्लॉक जाने के लिये हैदरनगर से ही वाहन मिलता है.

ये भी देखें- पलामूः BJP एसटी मोर्चा के सम्मेलन में लगे बैनर से अर्जुन मुंडा की तस्वीर गायब


वहीं, वर्ष 2011 में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री ने आश्वाशन दिया था. लेकिन कुछ नहीं हो पाया. रामबांध पंचायत को शिबू सोरेन सरकार ने हैदरनगर से मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल करके पंचायत के लोगों को मुसीबत में डाल दिया है. स्थानीय ने सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अबतक ग्रामीणों द्वारा किया गया पत्राचार और अधिकारियों का पत्र लेकर वह जनता दरबार के माध्यम से मुख्यमंत्री से मिलेंगे. उन्हें भरोसा है कि मुख्यमंत्री रघुबर दास से उन्हें न्याय मिलेगा.

पलामू: जिला के रामबांध ग्राम पंचायत को 2008 में हैदरनगर प्रखंड से काट कर मोहम्मदगंज में शामिल कर दिया गया था. पंचायत से हैदरनगर प्रखंड की दूरी सिर्फ 2 से 3 किलो मीटर की है. जबकि मोहम्मदगंज प्रखंड 14 किलो मीटर दूरी है. ग्रामीणों को 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जिससे लोग काफी परेशान हैं.

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बताया जाता है कि पंचायत को मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल होने के दिन से आज तक ग्रामीण पंचायत को हैदरनगर में शामिल कराने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं. उन्होंने प्रशासनिक पदाधिकारी,जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाए. बात नहीं बनती देख उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय ने सरकार से रिपोर्ट भी मांगा.

ग्रामीणों को हो रही परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी काम को लेकर मोहम्मदगंज जाते हैं तो उनका पूरा दिन बर्बाद होता है. अधिक पैसे भी खर्च होते हैं. उन्होंने बताया कि मजे की बात तो ये है कि उन्हें मोहम्मदगंज ब्लॉक जाने के लिये हैदरनगर से ही वाहन मिलता है.

ये भी देखें- पलामूः BJP एसटी मोर्चा के सम्मेलन में लगे बैनर से अर्जुन मुंडा की तस्वीर गायब


वहीं, वर्ष 2011 में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री ने आश्वाशन दिया था. लेकिन कुछ नहीं हो पाया. रामबांध पंचायत को शिबू सोरेन सरकार ने हैदरनगर से मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल करके पंचायत के लोगों को मुसीबत में डाल दिया है. स्थानीय ने सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अबतक ग्रामीणों द्वारा किया गया पत्राचार और अधिकारियों का पत्र लेकर वह जनता दरबार के माध्यम से मुख्यमंत्री से मिलेंगे. उन्हें भरोसा है कि मुख्यमंत्री रघुबर दास से उन्हें न्याय मिलेगा.

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Body: रामबान्ध पंचायत की पांच हज़ार आबादी 11वर्षो से है परेशान

11 वर्ष से 3 किलो मीटर की जगह 14 किलो मीटर का सफर तय कर रहे हैं रामबान्ध पंचायत के लोग

पलामू: ज़िला मुख्यालय से 90 किलो मीटर दूर रामबान्ध ग्राम पंचायत को 2008 में हैदरनगर प्रखंड से काट कर मोहम्मदगंज में शामिल कर दिया गया है। पंचायत से हैदरनगर प्रखंड कार्यालय की दूरी सिर्फ 2 से 3 किलो मीटर है। जबकि मोहम्मदगंज प्रखंड 14 किलो मीटर दूर है। पंचायत को मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल होने के दिन से आज तक ग्रामीण पंचायत को हैदरनगर में शामिल कराने के लिये जद्दो जहद कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासनिक पदाधिकारी,जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाये। बात नहीं बनती देख उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने सरकार से रिपोर्ट भी मांगा। वर्ष 2011 में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री ने आश्वाशन भी दिया था। मगर कुछ नही हो सका। ग्रामीण बताते हैं कि वो किसी काम को लेकर मोहम्मदगंज जाते है तो उनका पूरा दिन बर्बाद होता है। अधिक पैसे भी खर्च होते हैं। उन्होंने बताया कि मजे की बात तो ये है कि उन्हें मोहम्मदगंज ब्लॉक जाने के लिये हैदरनगर से ही वाहन मिलता है। तत्कालीन उपायुक्त ने पत्रांक 669 दिनांक 07.08.2009 के माध्यम से ग्रामीण विकास विभाग झारखण्ड को लिखा है कि रामबांध पंचायत से हैदरनगर 2 किलो मीटर और मोहम्मदगंज 14 किलो मीटर दूर है। वही पलामू के तत्कालीन आयुक्त ने भी पत्रांक 228 दिनांक 19.02.2010 के माध्यम से प्रधान सचिव झारखंड सरकार को पत्र लिखकर बताया है कि रामबान्ध पंचायत से हैदरनगर 2 किलो मीटर और मोहम्मदगंज 14 किलो मीटर दूर है। ग्रामीण शिव चौहान,ग्रामीण अफरोज अहमद सिद्दीकी, पंचायत समिति सदस्य विजय कुशवाहा, पूर्व मुखिया अबुनसर सिद्दीकी आदि ने बताया कि रामबान्ध पंचायत को शिबू सोरेन सरकार ने हैदरनगर से मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल करके पंचायत के लोगो को मुसीबत में डाल दिया है। उन्होंने सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अबतक ग्रामीणों द्वारा किया गया पत्राचार व अधिकारियों का पत्र लेकर वो जनता दरबार के माध्यम से मुख्यमंत्री से मिलेंगे। उन्हें भरोसा है कि मुख्यमंत्री रघुबर दास से उन्हें न्याय मिलेगा।


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