पलामू: नक्सल प्रभावित इलाकों में पेट्रोल मैन के लिए पेट्रोलिंग बड़ी चुनौती होती है. पेट्रोल मैन अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को सुरक्षित यात्रा कराते हैं. रेलवे का सीआईसी सेक्शन जो सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर और कोल इंडिया कोर के नाम से जाना जाता है. सीआईसी सेक्शन से हुसैनाबाद रेलवे स्टेशन तक नक्सल प्रभावित इलाका है. करीब 150 किलोमीटर के रेल लाइन पर पेट्रोलिंग किसी जंग से कम नहीं है. सीआईसी सेक्शन के पलामू से करीब तीन दर्जन ट्रेनों का परिचालन होता है, जबकि हर दिन 70 से 90 मालगाड़ी गुजरती हैं. सुरक्षित परिचालन की बड़ी जिम्मेदारी पेट्रोल मैन पर होती है.
डालटनगंज से लातेहार के बीच पेट्रोलिंग सबसे बड़ी चुनौती है. करीब 60 किलोमीटर की रेलवे लाइन अतिनक्सल प्रभावित है. यह इलाका जंगल का है और पलामू टाइगर रिजर्व भी इसी इलाके में है. ट्रैफिक इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सिन्हा बताते हैं कि रेलवे में हर मौसम में अलग-अलग पेट्रोलिंग होती है और सबकी अलग-अलग जिम्मेवारी है. गर्मी, ठंड और बरसात में अलग-अलग तरह से पेट्रोलिंग होती है.
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कैसे काम करते हैं पेट्रोल मैन ?
हर दो रेलवे स्टेशन के बीच चार पेट्रोल मैन होते हैं. रात नौ बजे से इनका काम शुरू होता है. इसके पास कई सारे टूल्स होते हैं, जिससे पटरी की मरम्मत करते हैं. एक रेलवे स्टेशन से दो पेट्रोल मैन एक साथ निकलते हैं. उन्हें स्टेशन मास्टर की तरफ से एक पर्चे में कोड दिया जाता है. वह कोड अगले स्टेशन मास्टर को पता होता है.
पेट्रोल मैन पैदल अगले स्टेशन तक जाते हैं और वापस नया कोड लेकर आते हैं. इस तरह पूरी रात में चार फेरा तय किया जाता है. पेट्रोल मैन पंकज बताते हैं कि उनके ऊपर सुरक्षित यात्रा कराने की जिम्मेदारी है. पटरी या किसी तरह की खराबी होने पर तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है.