पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बरसात के दिनों में हाथी और जंगली जीवों से नुकसान को कम करने के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन ग्रामीणों के साथ बैठक कर एक्शन प्लान तैयार करेगा. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 194 गांव हैं. इसके इलाके में प्रति वर्ष 200 एकड़ से भी अधिक में लगी फसलों को हाथी और जंगली जीव नुकसान पंहुचाते हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि ग्रामीणों के साथ बैठक की जाएगी. बैठक में ग्रामीणों की राय को सुना जाएगा. उनके सुझाव भी आमंत्रित किए जांएगे. उसके बाद प्लान तैयार किया जाएगा ताकि नुकसान को कम किया जा सकेगा. डायरेक्टर बताते हैं कि गांव में सोशल डिस्टेंस का खास ख्याल रखते हुए कैंप लगाए जाने हैं, ताकि मुआवजा के लंबित मामलों का निपटारा भी किया जा सके.
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हाथी फसलों को पंहुचाते हैं नुकसान
जुलाई से दिसंबर महीने तक जंगली जीव और हाथी ग्रामीण इलाके में फसलों को नुकसान पंहुचाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में सबसे अधिक हाथियों से फसल को नुकसान होता है, जबकि महुआटांड़ और नेतरहाट के इलाके में भालू और अन्य जीव नुकसान पंहुचाते हैं. बरसात के आगमन के साथ ग्रामीण खेती की शुरुआत करते हैं. इस दौरान पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके को सील कर दिया जाता है और पर्यटन गतिविधि को 30 सितंबर तक बंद कर दी जाती है.
पलामू टाइगर रिजर्व में हाथियों की संख्या
पलामू टाइगर रिजर्व में 190 के करीब हाथियों की संख्या है. 2017 में हुए जनगणना के अनुसार पीटीआर में 182 हाथी थे, जिसमें 42 कोर और 140 हाथी बफर एरिया में थे.