पलामू: 'मौत का इंजेक्शन' यह पढ़ कर आप चौंक गए होंगे और सोच रहे होंगे कि ऐसा भी होता है क्या? लोगों को बीमारी से ठीक होने के लिए जो इंजेक्शन दिए जा रहे हैं. उससे लोगों को मौतें मिल रहीं हैं. पिछले एक वर्ष में इंजेक्शन से आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें से दो की मौत पिछले 15 दिनों में अंदर हुई है. ये मौतें देश के पिछड़े जिलों में एक पलामू के इलाके में हुई है. जहां झोलाछाप डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने के बाद लोगों की मौत हुई है.
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झोलाछाप डाक्टरों का अपना वर्चस्व: पलामू के इलाके में मेडिकल कॉलेज के अलावा, तीन अनुमंडलीय अस्पताल, 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 170 से अधिक पीएचसी मौजूद हैं. जिनमें 160 के करीब डॉक्टर तैनात हैं. इन सब के बीच झोलाछाप डॉक्टरों का अपना वर्चस्व है. जिसमें लोगों की जान जा रही है. झोलाछाप डाक्टरों द्वारा इंजेक्शन देने के कुछ ही देर बाद लोगों की मौत हो रही है.
- केस स्टडी: 27 सितंबर को पलामू के रेहला थाना क्षेत्र के एक निजी क्लीनिक में आठ वर्षीय बच्ची को झोलाछाप डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया था. बच्ची को बुखार की शिकायत थी. इंजेक्शन लेने के कुछ ही देर बाद बच्ची की मौत हो गई थी. मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है.
- केस स्टडी: पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के नावाडीह में सुनील साव नाम के युवक को झोलाछाप डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया था. इंजेक्शन देने के बाद युवक की हालत खराब हो गई थी. युवक की हालत खराब होने के बाद झोलाछाप डॉक्टर भाग गए थे. बाद में परिजनों ने इलाज के लिए छतरपुर अस्पताल में भर्ती करवाया था. जंहा डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया.
झोलाछाप डॉक्टर की वजह से जान रही जान: झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से लगातार लोगों की जान जा रही है. गुरुवार को भी पलामू में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक महिला की मौत हो गई है. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू में झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई है. कई मामले में एफआईआर हुए हैं लेकिन उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं हुई हुई है.
छतरपुर के इलाके में 120 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर: पलामू के इलाके में स्वास्थ्य विभाग ने झोलाछाप डॉक्टरों का सर्वे शुरू किया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर से झोलाछाप डॉक्टरों का सर्वे शुरू किया गया है. इस तरह से अकेले छतरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत 124 झोलाछाप डॉक्टर चिन्हित किए गए. सबसे अधिक डाली डागरा, लठेया, सरइडीह, सडमा, डगरा के इलाके में हैं. डीपीएम दीपक कुमार बताते हैं कि पूरे जिले में जांच शुरू की गई है. हेल्थ एस्टेब्लिशमेंट की जांच की जा रही है. सर्वे के बाद बड़ी कार्रवाई शुरू की जानी है. झोलाछाप डॉक्टरों के विषय में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रिपोर्ट मांगी गई है.