पलामूः कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कई ऐसे लोग जिन्हें दो वक्त का रोटी नसीब नहीं हो पा रहा है. ऐसे में पलामू के मनातू थाना की पुलिस प्रतिदिन चार से पांच गांव के लोगों को खाना खिला रही है. गांव के ग्रामीण प्रतिदिन खाने के लिए पुलिस का इंतजार करते हैं.
कोरोना वायरस को लेकर नक्सलियों के गढ़ मनातू के इलाके में ग्रामीण जागरूक है. पुलिस से खाना लेने के दौरान ग्रामीण बेहतरीन सामाजिक दूरी का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है. दलदिलिया गांव के सुधीर बताते है कि गांव के लोग सामाजिक दूरी को लेकर जागरूक हैं. उसने बताया कि गांव के कई लोगो को राशन मिला है कई लोगों को नहीं मिला है. गांव के लोग पुलिस का इंतजार करते हैं. वहीं गांव की महिला सुमित्रा देवी बताती हैं कि पांच किलो राशन में क्या होना है, खाना के लिए चावल दाल के साथ बहुत सारी सामग्री की जरूत पड़ती है वो उन्हें नही मिल पा रहा है. एक ग्रामीण ने बताया कि पुलिस बेहतर काम कर रही है. पुलिस के कारण ही उनके पेट भर रहे है. वे मजदूर हैं काम नहीं मिल रहा है जो राशन मिलता है उससे पूरे परिवार का गुजारा नही होता है.
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भोजन के लिए पंहुच रहे है पुलिस के पास
पुलिस जैसे ही गांव में भोजन लेकर पंहुचती है, वैसे ही गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग भीड़ लग जाती है. लेकिन सभी सामाजिक दूरी का पूरी तरह से ख्याल रखते हैं. मनातू थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि पुलिस सभी की मदद में लगी हुई है. सामुदायिक पुलिस के माध्यम से 35 दिनों से सभी को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. आगे भी अभियान जारी रहेगा.
मनातू के इलाके में पुलिस के बारे में बदल गया लोगो का नजरिया
मनातू का इलाका बिहार के गया और झारखंड के चतरा सीमा से सटा हुआ है. यह इलाका 80 के दशक से नक्सल हिंसा से पीड़ित रहा है. यह इलाका रेड कॉरिडोर में है. 1998 में मनातू बीडीओ को नक्सलियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. इलाके में तीन दशक से नक्सलियों के खिलाफ पुलिस लगातार अभियान चला रही है। इस अभियान के कारण धीरे-धीरे पुलिस के प्रति लोगो का नजरिया बदला है. पहले जिस हथियार धारक पुलिस को देख ग्रामीण भाग जाते थे आज उसी हथियार धारक पुलिस के पास भोजन के लिए पंहुच रहे हैं.