पलामूः पोस्ता की खेती को रोकना प्रशासनिक तंत्र के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि पलामू रेंज में अभी तक पोस्ता की खेती से जुड़ी हुई खबर निकल कर सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस अभी भी ग्रामीण इलाके में इससे जुड़ी जानकारी निकाल रही है. पुलिस खेती करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तो कर ही रही है, साथ में लोगों को जागरूक भी कर रही (Palamu Police Campaign Against Poppy Cultivation)है. पुलिस सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके तक जा रही है और उन्हें पोस्ता की खेती से होने वाले नुकसान के बारे में बता रही है. पुलिस ग्रामीणों को यह बता रही है कि पोस्ता की खेती से समाज को किस प्रकार नुकसान हो रहा है और यह देश की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर सकता है.
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पोस्ता की खेती के खिलाफ पुलिस का अभियान जारीः इस संबंध में पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पोस्ता की खेती के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी है. पुलिस ग्रामीणों से लगातार अपील कर रही है कि इस प्रकार की खेती में नहीं करें. पोस्ता की खेती देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है. नशे के सौदागर ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर इस प्रकार की खेती करवाते हैं. पुलिस पूरी तरह से सजग होकर पोस्ता की खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. आईजी ने बताया कि पुलिस नुक्कड़-नाटक, पर्चा और अन्य माध्यमों से ग्रामीणों को जागरूक (Making Aware Against Poppy Cultivation) कर रही है.
500 से अधिक ग्रामीणों पर दर्ज है एफआईआर, 130 से अधिक जेल मेंः झारखंड में पलामू के पांकी, पिपराटांड़ और मनातू के इलाके में सबसे पहले पोस्ता की खेती की शुरुआत हुई थी. इलाके के 500 से अधिक ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती करने के आरोप में एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज (FIR Under NDPS Act) है. जिनमें 130 से अधिक लोग जेल में हैं. जबकि पोस्ता की खेती करने के दर्जनों आरोपी फरार हैं. पोस्ता खेती करने के आरोप में कई जनप्रतिनिधि भी पहले गिरफ्तार हुए हैं. जबकि कई परिवारों के ऊपर भी एफआईआर दर्ज है. पलामू प्रमंडल के विभिन्न इलाकों में ड्रोन और सेटेलाइट मैपिंग के माध्यम से पोस्ता की खेती की भी निगरानी की जा रही है. पोस्ता की खेती की शुरुआत अक्टूबर-नवंबर से होती है और मार्च तक जारी रहती है.