पलामू: जिले की पलामू से मनातू से चक को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण कार्य रुक गया था. 2008 से 2014 तक इस रोड को बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने करीब छह बार टेंडर निकाला. लेकिन माओवादियों के डर से कोई भी कंपनी कंस्ट्रक्शन के लिए आगे नहीं आ रही थी. लेकिन एक बार फिर इस रोड को बनाने की प्रक्रिया शुरू (Palamu Manatu Chakrod Construction work started) हो गई है.
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मनातू चकरोड का कंस्ट्रक्शन शुरू: मात्र 14 किलोमीटर तक इस रोड को बनाने में केंद्रीय गृह मंत्रालय को पूरी ताकत लगानी पड़ी. केंद्रीय गृह मंत्रालय को दो कंपनी सीआरपीएफ की तैनाती कर इस रोड को बनाने का काम शुरू किया. लेकिन उस दौरान किन्ही कारणों से यह रोड अधूरा रह गया. 2008 से 2014 तक मनातू चकरोड को बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने छह बार टेंडर निकाला. हर बार माओवादियों के भय के कारण किसी भी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस रोड को बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.
माओवादियों के खौफ से रोड का काम रुका: अंत में 2014 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के पहल पर इस रोड का निर्माण कार्य शुरू हुआ. इस रोड पर तीन पुल बनाए जाने थे, लेकिन तीनों पुल का पहुंच पथ नहीं बन पाया है. अब एक बार फिर से इस रोड को बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. स्थानीय विधायक डॉ शशि भूषण मेहता के पहल पर इस रोड को बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. डॉ शशि भूषण मेहता ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग ने इस रोड को बनाने की मंजूरी दी है और इसका टेंडर भी जारी किया है. इस रोड को अच्छे से बनाया जाना है. मनातू चकरोड पर माओवादियों का शुरू से खौफ रहा है. इस रोड पर माओवादी कई बार बड़े नक्सल हमले कर चुके हैं. इन हमलों में आधा दर्जन से अधिक जवान भी शहीद हुए हैं. 2011 में माओवादियों ने मनातू चकरोड में लैंडमाइंस विस्फोट किया था.
रोड पलामू को औरंगाबाद से जोड़ती है: इस विस्फोट में पलामू के तत्कालीन एसपी बाल-बाल बच गए थे. 2014 में जब रोड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. उस दौरान भी माओवादियों ने कई विस्फोट किए थे और मशीनों को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था. इस रोड से सुरक्षा बलों ने दर्जनों बाहर लैंडमाइंस को डिफ्यूज किया है. यह रोड पलामू को गया औरंगाबाद के इलाके को जोड़ती है.