पाकुड़: प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के लीडर सह पाकुड़ के जिला परिषद सदस्य हंजला शेख को कोर्ट ने सजा सुनाई है. उसके खिलाफ गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष द्वारा दी गयी दलीलों को सुनने के बाद अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी निर्मल कुमार भारती की अदालत ने तीन साल की सश्रम कारावास और दस हजार रुपए अर्थ दंड की सजा सुनाई है.
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जीआर वाद संख्या 120/2020 के इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक महेंद्र दास और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता बजले अहमद ने पैरवी की. लोक अभियोजक महेंद्र दास ने बताया कि मुफसिल थाने में दर्ज कांड संख्या 87/2019 में हंजला शेख के खिलाफ प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध रखने और पीएफआई के जरिए अशांती फैलाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. लोक अभियोजक ने बताया कि एसडीजीएम निर्मल कुमार भारती की अदालत ने अभियुक्त हंजला शेख को क्रिमिलन लॉ एमेंडमेंट एक्ट की धारा 17 (1) एवं 17 (2) के तहत दोषी पाते हुए तीन साल सश्रम कारावास और दस हजार रुपए अर्थ दंड की सजा सुनायी है.
लोक अभियोजक महेंद्र दास ने बताया कि अभियोजन की तरफ से कुल 12 गवाहों ने गवाही दी. हंजला शेख के खिलाफ एसडीजीएम की अदालत ने चल रही सुनवाई में अभियोजक राजेश लाल ने अभियोजन पक्ष की ओर से पहले पैरवी की थी. सजा सुनाने के वक्त लोक अभियोजक महेंद्र दास ने सरकारी पक्ष को पुरजोर तरीके से न्यायालय में रखा.
अपने खिलाफ सुनाए गए सजा को लेकर पीएफआई नेता हंजला शेख ने कहा कि 'न्यायालय के आदेश का हम सम्मान करते हैं.' उन्होने कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्य कानून के दायरे में रहकर किया है. वहीं, उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उपरी अदालत में अपील की बात कही है. न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद हंजला शेख के जिला परिषद सदस्य की सदस्यता भी खतरे में पड़ गयी है. सजा सुनाये जाने के बाद न्यायालय द्वारा हंजला शेख को जमानत दे दी गयी है.