पलामू: जिले के हैदरनगर थाना क्षेत्र के कबरा कला गांव के उत्तर दिशा में सोन नदी के किनारे लगभग 312 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा (Illegal Occupation Of Government Land In Palamu) को लेकर एक जाति विशेष के लोगों का गांव के अन्य लोगों के साथ दो वर्षों से विवाद चल रहा है. यह विवाद सुलझने के बजाय और उलझता ही जा रहा है.
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प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पहुंचे विवाद सुलझानेः उक्त विवाद को सुलझाने के लिए उपायुक्त के निर्देश पर प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी श्रीकांत विसपुते शनिवार को कबरा कला गांव पहुंचे. उनके साथ हुसैनाबाद के अनुमंडल पदाधिकारी कमलेश्वर नारायण, एसडीपीओ पूज्य प्रकाश, हैदरनगर के अंचल अधिकारी राजीव नीरज और थाना प्रभारी अजीत कुमार मुंडा भी उपस्थित थे. गांव के मध्य विद्यालय परिसर में जमीन विवाद को सुलझाने को लेकर दोनों पक्ष के लोग काफी संख्या में जुटे.
मल्लाह समाज के लोगों ने कहा- बिहार सरकर के समय हमें दी गई थी जमीनः मल्लाह जाति के लोगों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सोन नदी के दियारा क्षेत्र की भूमि पर खेती-बारी करना उनका पुश्तैनी पेशा है. उनका यह भी कहना है कि सोन नदी की दियारा क्षेत्र की पूरी भूमि बिहार सरकार के समय से ही उन्हें मछली पकड़ने और खेती करने के लिए दी गई है. इधर, दो साल पहले गांव के अन्य जाति के लोग एक साजिश के तहत उन्हें उक्त भूमि से बेदखल करने का प्रयास कर रहे हैं.
ग्रामीणों ने कहा- सरकारी जमीन पर सभी का समान अधिकारः इधर अनुसूचित जाति और अन्य जाति के दूसरे पक्ष के लोगों ने अधिकारियों के समक्ष कहा कि सोन नदी की भूमि सरकारी भूमि है. जिसपर गांव के सभी लोगों का समान अधिकार है, लेकिन एक जाति विशेष के लोग उक्त भूमि को निजी भूमि मानकर अन्य दूसरी जाति के लोगों को उसका उपयोग नहीं करने देते हैं. जानवरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. इसी कारण गांव में उक्त जमीन को लेकर विवाद चल रहा है.
प्रशासन ने कहा- सोन नदी की सरकारी जमीनः दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी श्रीकांत विसपुते ने कहा कि जिस जमीन को लेकर ग्रामीण विवाद कर रहे हैं, वह सोन नदी की सरकारी जमीन (Soan River Government Land) है. उन्होंने कहा कि नदी की भूमि की बंदोबस्ती भी नहीं की जा सकती है. उन्होंने दोनों पक्षों को आपसी सहमति के आधार पर विवाद सुलझाने का आग्रह किया. कहा कि गांव में ही बड़े-बुजुर्गों की उपस्थिति में मामले को सुलझाने की कोशिश करें, अन्यथा दोनों पक्ष अनावश्यक परेशान रहेंगे. उन्होंने कहा कि आपसी सहमति बनाकर दोनों पक्ष के दो-दो लोग उपायुक्त से मिल सकते हैं. इसपर ग्रामीणों ने चुप्पी साध ली.
दो वर्ष पहले मामले में हुई थी मारपीटः उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले गैर मल्लाह जाति के कुछ लोगों द्वारा खाली पड़ी जमीन पर जोत-कोड़ का प्रयास किया गया था. जिसका मल्लाहों ने विरोध किया था. इस घटना को लेकर दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी. पुलिस ने कई लोगों को इस मामले में जेल भी भेजा था. जमीन की मापी भी अंचल द्वारा कराई गई थी. जिसे मल्लाहों ने मानने से इंकार कर दिया था. मामले ने काफी तूल पकड़ा और दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई. अभी भी यह मामला अनुमंडल दंडाधिकारी के न्यायालय में विचाराधीन है.