पलामूः नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सेंट्रल टीम ने भारत माला प्रोजेक्ट से जुड़े हुए गढ़वा बाईपास का जायजा लिया. सेंट्रल टीम ने शुक्रवार की देर शाम तक गढ़वा बाईपास के निर्माण कार्य और अधूरे कार्यों के बारे में पदाधिकारियों से जानकारी ली. जानकारी लेने के बाद सेंटल टीम केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपेगी.
पूर्व में गढ़वा प्रशासन ने जमीन को गैरमजरूआ बताया थाः दरअसल, गढ़वा बाईपास की जमीन अधिग्रहण का मामला विवादों में आ गया है. बाईपास का निर्माण कार्य लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो गया है. गढ़वा के अचला के इलाके में बाईपास कब्रिस्तान से होकर गुजर रहा है. जिस कारण स्थानीय ग्रामीण इसके विरोध में उतर गए हैं. जिस वक्त गढ़वा बाईपास का डीपीआर तैयार किया जा रहा था, उस दौरान गढ़वा जिला प्रशासन की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में संबंधित जमीन को गैरमजरूआ बताया गया था.
झारखंड सरकार ने विधि-व्यवस्था का हवाला दियाः प्रोजेक्ट का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने कब्रिस्तान के पास विरोध शुरू कर दिया है. मामले में स्थानीय ग्रामीण हाई कोर्ट भी गए थे, जहां फैसले से पहले रीट को वापस ले लिया गया था. पूरे मामले में झारखंड सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी ने विधि-व्यवस्था का हवाला देते हुए जमीन का अधिग्रहण करने में असमर्थता जताई है.
जमीन अधिग्रहण में विधि-व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशाः सचिव स्तर के अधिकारी ने लिखा है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान विधि व्यवस्था का संकट उत्पन्न हो सकता है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पिलर के माध्यम से निर्माण कार्य को आगे बढ़ा सकती है. इस मामले को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सेंट्रल टीम ने शुक्रवार को गढ़वा बाईपास का जायजा लिया है.
टीम ने दस्तावेजों को खंगाला, अहम जानकारियां इकट्ठा कीः इस दौरान टीम ने विवाद और इससे जुड़े हुए दस्तावेजों के बारे में कई जानकारियां इकट्ठा की हैं. पूरी जानकारी मंत्रालय को उपलब्ध करायी जाएगी. जिसके बाद मंत्रालय आगे का निर्णय लेगी. प्रोजेक्ट इंचार्ज मनोज पांडेय ने बताया कि निरीक्षण करने वाली टीम सेंटर से आयी है और यह जांच रिपोर्ट मंत्रालय को भेजेगी. बताते चलें कि गढ़वा बाईपास करीब 23 किलोमीटर का है और करीब 903 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है.