पलामूः अनुमंडलीय अस्पातल हुसैनाबाद में प्रसव के एक दिन बाद नवजात बच्ची की मौत हो गई. परिजनों ने अस्पाताल परिसर में हंगामा किया और चिकित्सक विनेश कुमार पर लापरवाही का आरोप लगाया. मालूम हो कि हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के कंचन बांध गांव निवासी पिंटू मेहता अपनी पत्नी पूजा देवी को प्रसव के लिए 9 जून की रात अनुमंडलीय अस्पताल हुसैनाबाद लेकर आए थे. नौ जून की रात में ही साधारण प्रसव हो गया. पूजा देवी ने बच्ची को जन्म दिया, जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य थे. बच्ची के पिता पिंटू मेहता ने बताया कि कुछ घंटे बाद नवजात बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी. उस वक्त डयूटी पर तैनात डॉ विनेश कुमार ने बच्ची की जांच कर कुछ दवाईयां दी थी. बच्ची की स्थिति में सुधार नहीं होता देख उन्होंने एक प्राईवेट क्लिनिक में भेज दिया. प्राइवेट क्लिनिक से भी जवाब मिलने पर पुन पिंटू मेहता नवजात बच्ची को लेकर 10 जून की सुबह अनुमंडलीय अस्पताल हुसैनाबाद पहुंच गए.
चिकित्सक विनेश कुमार ने बच्ची को देखकर तत्काल सदर अस्पातल रेफर कर दिया. एंबुलेंस में रखते ही बच्ची शांत हो गयी, चिकित्सक ने पुन जांचकर बच्ची को मृत घोषित कर दिया. चिकित्सक द्वारा मृत घोषित करते ही पिंटू मेहता चिकित्सक डॉ विनेश कुमार के सामने हंगामा करने लगा. उनका आरोप है कि चिकित्सक की लापरवाही की वजह से नवजात की जान चली गई. उन्होंने चिकित्सक पर गुटखा खाकर इलाज करने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जान-बूझकर उन्हें निजी क्लिनिक में भेजा गया था. चिकित्सक डॉ विनेश कुमार ने अस्पताल में हंगामा की जानकारी तत्काल अनुमंडलीय अस्पातल के स्वास्थ्य उपाधीक्षक डॉ रत्नेश कुमार को दी.
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स्वास्थ्य उपाधीक्षक ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए हुसैनाबाद थाना प्रभारी राजदेव प्रसाद को सूचना दी. डॉ रत्नेश कुमार पीड़ित पिंटू मेहता पर प्राथमिकी दर्ज करने की धमकी दे रहे थे. घटना की सूचना मिलने पर एसडीपीओ विजय कुमार ने पहुंचकर मामले को शांत कराया. उन्होंने पिंटू मेहता की स्थिति को समझते हुए चिकित्सकों और नवजात के परिजनों को धैर्य रखने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में परिजनों को समझने की जरुरत है. कोई चिकित्सक अपने मरीज के साथ लापरवाही नहीं कर सकता है. वह अपने दायित्व का निर्वहन करता है.
स्वास्थ्य उपाधीक्षक डॉ रत्नेश कुमार ने चिकित्सक पर लगाए गए लापरवाही के आरोप को गलत और निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि नवजात के माता पिता ने जिद कर छुट्टी ली और बच्ची को प्राइवेट क्लिनिक में ले गये थे. बाद में पिंटू मेहता से एक माफीनामा लिखवाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया. मगर सवाल यह है कि सरकार के निर्देशानुसार प्रसव के बाद 48 घंटे तक अस्पताल में जच्च बच्चा को रखने का प्रावधान है. बावजूद इसके चिकित्सक ने उन्हें कैसे छुट्टी दे दी. मामले की जांच से ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.