पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (TSPC) और झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) के आज तक जितने भी वीडियो और फोटो सामने आए है उनमें सबसे खास बात यह है कि सारे के सारे कॉमबैक्ट ड्रेस में हैं. कॉमबैक्ट ड्रेस का इस्तेमाल जंगली क्षेत्र में अभियान के लिए होता है, लेकिन नक्सली संगठन एक दशक से भी अधिक लंबे समय से इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं. ये कॉमबैक्ट ड्रेस बाजारों में आसानी से उपलब्ध हैं.
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झारखंड की पुलिस ने हाल ही में कॉमबैक्ट ड्रेस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. आम नागरिक भी अब इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. नक्सल संगठनों तक कॉमबैक्ट ड्रेस आसानी से पंहुच जाता है, इसे रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. 2014 से 2021 तक पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान में 230 से अधिक कॉमबैक्ट ड्रेस बरामद किया है. पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि आम लोग और नक्सली कॉमबैक्ट ड्रेस का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कई बार भ्रम जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. उन्होंने बताया कि नक्सल संगठन हमले के दौरान भी इस ड्रेस का इस्तेमाल करते हैं, आम जनता यह समझती है कि उनके समक्ष पुलिस आई हुई है.
एसपी ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान भी नक्सली इस ड्रेस का फायदा उठाते हैं. एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने साफ तौर पर कहा कि यह ड्रेस प्रतिबंधित कर दिया गया है. शुरुआत में सभी से अपील की गई है बाद में सख्त कदम उठाए जाएंगे.
JJMP और TSPC तक आसानी से पंहुच रहे हैं ड्रेस
झारखंड जनमुक्ति परिषद और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी तक आसानी से कॉमबैक्ट ड्रेस पंहुच रहे हैं. सुरक्षा एजेंसी के अनुसार नक्सली संगठन ग्रामीणों के माध्यम से इस ड्रेस को अपने तक मंगाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रो में ही ड्रेस को सिलवाया जाता है. नक्सल संगठनों के पास कुछ टेलर मास्टर हैं.