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झारखंड बिहार सीमा पर खुद को मजबूत करने की फिराक में माओवादी और टीएसपीसी, सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने में बाद इलाके पर नजर - jharkhand news

झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी और टीएसपीसी खुद को मजबूत करने की फिराक में लग गए हैं. वे अपने संगठन को मजबूत करना चाह रहे हैं. इसका कारण पलामू में स्थित सीआरपीएफ कैंप का क्लोज होना है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद अब माओवादियों की इलाके पर नजर है. Closure of CRPF camp in Palamu

Closure of CRPF in Palamu
Closure of CRPF in Palamu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 13, 2023, 4:43 PM IST

पलामू: झारखंड बिहार सीमा पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी खुद को मजबूत करने की फिराक में है. झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके से सीआरपीएफ कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद माओवादी और टीएसपीसी खुद को मजबूत करना चाह रहे हैं. हाल में ही चतरा के कुंदा इलाके में टीएसपीसी की एक बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप के पलामू से क्लोज होने को लेकर चर्चा हुई. साथ ही शशिकांत गंझू को झारखंड बिहार सीमा पर संगठन को मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंपी गई.

यह भी पढ़ें: पलामू में तैनात सीआरपीएफ बटालियन को हटाने की प्रक्रिया शुरू, नक्सल विरोधी अभियान में पड़ सकता है असर

माओवादियों के जोनल कमांडर सुनील विवेक और नितेश यादव फिर से दस्ता को खड़ा करने की फिराक में हैं. सुनील विवेक बिहार के गया और पलामू सीमा पर नजर बनाए हुए है. दो दिनों पहले सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद पलामू से सटे गया के सलैया के इलाके में टीएसपीसी ने एक भवन निर्माण साइट पर मजदूरों के साथ मारपीट भी की थी. जिसकी जांच के बाद पुलिस और सुरक्षाबलों को कुछ अहम जानकारी मिली है.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, माओवादी और टीएसपीसी ने सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद इलाके को लेकर अपनी-अपनी रणनीति तय की है. वे अपने पुराने कैडरों को एक्टिवेट करने की कोशिश कर रहे हैं. टीएसपीसी पुराने कैडरों को अपने दस्ते से जोड़ रहा है और अपनी ताकत बढ़ा रहा है.

एक लंबे अरसे में बाद दाखिल हुआ नितेश यादव: मिली जानकारी के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने पलामू के पिपरा में प्रखंड प्रमुख को भरे बाजार गोलियों से भून दिया था. इस घटना के बाद कोई भी माओवादी दस्ता पलामू के आंतरिक भागों में दाखिल नहीं हो रहा था. लेकिन उस घटना के बाद कुछ दिनों पहले ही माओवादियों ने छतरपुर के इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

माओवादियों ने इस इलाके में आठ वाहनों को फूंक दिया. उसके बाद से लागातार 15 लाख का इनामी माओवादी नितेश यादव की गतिविधि पलामू के आंतरिक भागों में रही है. पुलिस ने उसके खिलाफ अभियान भी चलाया, लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है.

सूत्रों के अनुसार, माओवादियों को यह जानकारी मिली है कि पलामू से सीआरपीएफ कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने और नए फोर्स के इलाके को समझने तक माओवादी और टीएसपीसी खुद को मजबूत कर लेना चाहते हैं.

क्लोज हुआ सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप: झारखंड बिहार सीमा से सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद नक्सल विरोधी अभियान बड़ी चुनौती है. सीआरपीएफ 134 बटालियन 10 वर्षो से अधिक समय से पलामू में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहा था. पूर्व नक्सली विमलेश यादव ने बताया कि सुरक्षा बलों के गतिविधि कमजोर होने के बाद नक्सली संगठन खुद को मजबूत करने में लग जाते हैं. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद यह खुद को फिर से मजबूत कर सकते हैं, अपनी ताकत को बढ़ा सकते हैं. हालांकि उन में कितना दम है और पुलिस की रणनीति क्या है, ये इस पर निर्भर करता है.

पलामू: झारखंड बिहार सीमा पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी खुद को मजबूत करने की फिराक में है. झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके से सीआरपीएफ कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद माओवादी और टीएसपीसी खुद को मजबूत करना चाह रहे हैं. हाल में ही चतरा के कुंदा इलाके में टीएसपीसी की एक बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप के पलामू से क्लोज होने को लेकर चर्चा हुई. साथ ही शशिकांत गंझू को झारखंड बिहार सीमा पर संगठन को मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंपी गई.

यह भी पढ़ें: पलामू में तैनात सीआरपीएफ बटालियन को हटाने की प्रक्रिया शुरू, नक्सल विरोधी अभियान में पड़ सकता है असर

माओवादियों के जोनल कमांडर सुनील विवेक और नितेश यादव फिर से दस्ता को खड़ा करने की फिराक में हैं. सुनील विवेक बिहार के गया और पलामू सीमा पर नजर बनाए हुए है. दो दिनों पहले सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद पलामू से सटे गया के सलैया के इलाके में टीएसपीसी ने एक भवन निर्माण साइट पर मजदूरों के साथ मारपीट भी की थी. जिसकी जांच के बाद पुलिस और सुरक्षाबलों को कुछ अहम जानकारी मिली है.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, माओवादी और टीएसपीसी ने सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद इलाके को लेकर अपनी-अपनी रणनीति तय की है. वे अपने पुराने कैडरों को एक्टिवेट करने की कोशिश कर रहे हैं. टीएसपीसी पुराने कैडरों को अपने दस्ते से जोड़ रहा है और अपनी ताकत बढ़ा रहा है.

एक लंबे अरसे में बाद दाखिल हुआ नितेश यादव: मिली जानकारी के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने पलामू के पिपरा में प्रखंड प्रमुख को भरे बाजार गोलियों से भून दिया था. इस घटना के बाद कोई भी माओवादी दस्ता पलामू के आंतरिक भागों में दाखिल नहीं हो रहा था. लेकिन उस घटना के बाद कुछ दिनों पहले ही माओवादियों ने छतरपुर के इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

माओवादियों ने इस इलाके में आठ वाहनों को फूंक दिया. उसके बाद से लागातार 15 लाख का इनामी माओवादी नितेश यादव की गतिविधि पलामू के आंतरिक भागों में रही है. पुलिस ने उसके खिलाफ अभियान भी चलाया, लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है.

सूत्रों के अनुसार, माओवादियों को यह जानकारी मिली है कि पलामू से सीआरपीएफ कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने और नए फोर्स के इलाके को समझने तक माओवादी और टीएसपीसी खुद को मजबूत कर लेना चाहते हैं.

क्लोज हुआ सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप: झारखंड बिहार सीमा से सीआरपीएफ 134 बटालियन कैंप को क्लोज कर दिया गया है. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद नक्सल विरोधी अभियान बड़ी चुनौती है. सीआरपीएफ 134 बटालियन 10 वर्षो से अधिक समय से पलामू में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहा था. पूर्व नक्सली विमलेश यादव ने बताया कि सुरक्षा बलों के गतिविधि कमजोर होने के बाद नक्सली संगठन खुद को मजबूत करने में लग जाते हैं. सीआरपीएफ कैंप के क्लोज होने के बाद यह खुद को फिर से मजबूत कर सकते हैं, अपनी ताकत को बढ़ा सकते हैं. हालांकि उन में कितना दम है और पुलिस की रणनीति क्या है, ये इस पर निर्भर करता है.

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