पलामूः बूढ़ा पहाड़ में नक्सली के छुपाए गए हथियार और लैंडमाइंस बरामद हुए (Naxalite weapons recovered from buddha pahad jharkhand) हैं. इसके अलावा सुरक्षा बल माओवादियों के आधुनिक हथियार तलाश कर रहे हैं. इलाके में पांच हजार से अधिक लैंड माइंस की जानकारी मिली है. जिसे जल्द से जल्द रिकवर करने की कवायद में सुरक्षा बल जुट गए हैं.
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झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सुरक्षा बलों का कब्जा है. सुरक्षा बलों के कब्जे के बाद इलाके को सेनेटाइज किया जा रहा है. माओवादी इलाके को छोड़कर भाग गए हैं. सुरक्षा बलों ने अभियान के क्रम में अब तक 600 से अधिक लैंडमाइंस और एक दर्जन से अधिक हथियार को बरामद किया है. इस अभियान में सुरक्षा बलों को अभी तक वैसे हथियार नहीं हाथ लगे हैं जो माओवादी कुछ समय पहले तक इस्तेमाल कर रहे थे. सुरक्षा बलों के हाथ एके 47, एके 56, एलएमजी नहीं लगी है. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बूढ़ा पहाड़ छोड़ने से पहले नक्सलियों ने अपने हथियार और कई सामग्री को इलाके में छोड़ा है. मांओवादियों द्वारा छोड़े गए हथियार और गोला-बारूद को सुरक्षा बल तलाश कर रहे हैं.
आत्मसमर्पण करने वाले टॉप माओवादी ने दी हथियारों की जानकारीः बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस पिछले दो महीने से जारी है. इस अभियान से कुछ महीने पहले बूढ़ा पहाड़ इलाके के टॉप माओवादी विमल और संतु ने आत्मसमर्पण किया था, जबकि इसी दौरान टॉप माओवादी अमन गंझू भी गिरफ्तार हुआ है. तीनों ने सुरक्षाबलों को हथियारों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है. जिसके बाद बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बल हथियार और गोला बारूद की तलाश कर रहे हैं. सुरक्षा बलों के इस अभियान में एक स्थानीय ग्रामीण सोनू कोरवा भी मदद कर रहा है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादियों के पास दो दर्जन से अधिक एके-47 है, जबकि 5000 विभिन्न प्रकार का लैंड माइंस हैं.
बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों की ट्रेनिंगः 2013 में माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ के इलाके को अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. इस इलाके से माओवादी झारखंड बिहार में नक्सल गतिविधि का संचालन करते थे. माओवादियों द्वारा बूढ़ा पहाड़ पर ही हथियार चलाने और लैंडमाइंस बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. बूढ़ा पहाड़ इलाके से ही माओवादियों ने लैंडमाइंस के विभिन्न प्रकार को विकसित किया था.