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आखिरी सांसें गिन रहा नक्सली संगठन JJMP! पुलिसिया दबिश से टूट रही संगठन की कमर - जेजेएमपी टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया

नक्सली संगठन JJMP माओवादियों से अलग हो कर बनी थी. लेकिन पलामू में नक्सली संगठन JJMP खत्म हो रहा है. पुलिस की लगातार बढ़ रही दबिश की वजह से अब JJMP के पास महज 40 कैडर ही बचे हैं.

Naxalite organization JJMP ending in Palamu
नक्सली संगठन JJMP
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Published : Jan 16, 2022, 5:00 PM IST

Updated : Jan 16, 2022, 7:00 PM IST

पलामूः झारखंड गठन के बाद माओवादियों के कई इलाकों मे सरकार समानांतर सरकार चलती थी. झारखंड के सभी इलाकों में नक्सल के नाम पर माओवादी संगठन सक्रिय था. 2004-05 माओवादियों से अलग हो कर TSPC का गठन हुआ. इसके बाद 2008-09 में माओवादियों को बड़ा झटका लगा और झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) नामक नक्सली संगठन का गठन हुआ. इस संगठन में माओवादियों के कैडर शामिल हुए थे. इसकी हिंसक वारदातों को देखते हुए सरकार ने इसे 2010-11 में प्रतिबंधित संगठन घोषित किया. गठन के बाद से JJMP का प्रभाव पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला और लोहरदगा के इलाकों में था. करीब एक दशक के बाद आज यह नक्सल संगठन बेहद कमजोर हो गया है. 200 कैडर वाले जेजेएमपी में आज मात्र 40 कैडर ही बचे हैं. सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद यह संगठन आज कमजोर हो गया है.

इसे भी पढ़ें- JJMP के टॉप कमांडर भवानी ने किया सरेंडर, आत्मसमर्पण नीति के तहत मिले एक लाख


JJMP पर सुरक्षाबलों की बी-टीम होने का आरोपः झारखंड जनमुक्ति परिषद पर कई अवसरों पर सुरक्षा बलों की बी-टीम भी होने का आरोप लग चुका है. कई अवसरों पर जेजेएमपी के टॉप कमांडरों ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि वो सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए काम करते हैं. हाल के दिनों में जेजेएमपी टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया है और पकड़े गए हैं. जेजेएमपी का प्रभाव क्षेत्र लातेहार के मनिका, बरवाडीह, चंदवा, बालूमाथ और पलामू के चैनपुर, रामगढ़ तक सीमित हो गया है. आत्मसमर्पण करने वाले भवानी भुइयां ने बताया है कि जेजेएमपी कमजोर हो गया है. इस संगठन में बेहद कम कैडर बचे हैं और काफी लोग संगठन छोड़कर भागने की फिराक में हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
पुलिस से बचने के लिए जंगल से जंगल भाग रहे JJMP के नक्सलीः JJMP नक्सली संगठन पर सुरक्षा बलों का लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. जनवरी 2021 से लेकर अब तक जेजेएमपी के तीन दर्जन से अधिक कैडर गिरफ्तार हो चुके हैं. इस दौरान मुठभेड़ में टॉप कमांडर महेश भुइयां समेत छह कैडर मारे जा चुके हैं. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि पिछले तीन-चार महीनों में जेजेएमपी बेहद कमजोर हुआ है. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि जेजेएमपी के कैडर सुरक्षाबलों के दबाव में अपनी जान बचाने के लिए एक जंगल से दूसरे जंगल भाग रहे हैं, पुलिस उन पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं और अभियान चला रही है.

पलामूः झारखंड गठन के बाद माओवादियों के कई इलाकों मे सरकार समानांतर सरकार चलती थी. झारखंड के सभी इलाकों में नक्सल के नाम पर माओवादी संगठन सक्रिय था. 2004-05 माओवादियों से अलग हो कर TSPC का गठन हुआ. इसके बाद 2008-09 में माओवादियों को बड़ा झटका लगा और झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) नामक नक्सली संगठन का गठन हुआ. इस संगठन में माओवादियों के कैडर शामिल हुए थे. इसकी हिंसक वारदातों को देखते हुए सरकार ने इसे 2010-11 में प्रतिबंधित संगठन घोषित किया. गठन के बाद से JJMP का प्रभाव पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला और लोहरदगा के इलाकों में था. करीब एक दशक के बाद आज यह नक्सल संगठन बेहद कमजोर हो गया है. 200 कैडर वाले जेजेएमपी में आज मात्र 40 कैडर ही बचे हैं. सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद यह संगठन आज कमजोर हो गया है.

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JJMP पर सुरक्षाबलों की बी-टीम होने का आरोपः झारखंड जनमुक्ति परिषद पर कई अवसरों पर सुरक्षा बलों की बी-टीम भी होने का आरोप लग चुका है. कई अवसरों पर जेजेएमपी के टॉप कमांडरों ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि वो सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए काम करते हैं. हाल के दिनों में जेजेएमपी टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया है और पकड़े गए हैं. जेजेएमपी का प्रभाव क्षेत्र लातेहार के मनिका, बरवाडीह, चंदवा, बालूमाथ और पलामू के चैनपुर, रामगढ़ तक सीमित हो गया है. आत्मसमर्पण करने वाले भवानी भुइयां ने बताया है कि जेजेएमपी कमजोर हो गया है. इस संगठन में बेहद कम कैडर बचे हैं और काफी लोग संगठन छोड़कर भागने की फिराक में हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
पुलिस से बचने के लिए जंगल से जंगल भाग रहे JJMP के नक्सलीः JJMP नक्सली संगठन पर सुरक्षा बलों का लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. जनवरी 2021 से लेकर अब तक जेजेएमपी के तीन दर्जन से अधिक कैडर गिरफ्तार हो चुके हैं. इस दौरान मुठभेड़ में टॉप कमांडर महेश भुइयां समेत छह कैडर मारे जा चुके हैं. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि पिछले तीन-चार महीनों में जेजेएमपी बेहद कमजोर हुआ है. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि जेजेएमपी के कैडर सुरक्षाबलों के दबाव में अपनी जान बचाने के लिए एक जंगल से दूसरे जंगल भाग रहे हैं, पुलिस उन पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं और अभियान चला रही है.
Last Updated : Jan 16, 2022, 7:00 PM IST
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