पलामूः झारखंड गठन के बाद माओवादियों के कई इलाकों मे सरकार समानांतर सरकार चलती थी. झारखंड के सभी इलाकों में नक्सल के नाम पर माओवादी संगठन सक्रिय था. 2004-05 माओवादियों से अलग हो कर TSPC का गठन हुआ. इसके बाद 2008-09 में माओवादियों को बड़ा झटका लगा और झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) नामक नक्सली संगठन का गठन हुआ. इस संगठन में माओवादियों के कैडर शामिल हुए थे. इसकी हिंसक वारदातों को देखते हुए सरकार ने इसे 2010-11 में प्रतिबंधित संगठन घोषित किया. गठन के बाद से JJMP का प्रभाव पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला और लोहरदगा के इलाकों में था. करीब एक दशक के बाद आज यह नक्सल संगठन बेहद कमजोर हो गया है. 200 कैडर वाले जेजेएमपी में आज मात्र 40 कैडर ही बचे हैं. सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद यह संगठन आज कमजोर हो गया है.
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JJMP पर सुरक्षाबलों की बी-टीम होने का आरोपः झारखंड जनमुक्ति परिषद पर कई अवसरों पर सुरक्षा बलों की बी-टीम भी होने का आरोप लग चुका है. कई अवसरों पर जेजेएमपी के टॉप कमांडरों ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि वो सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए काम करते हैं. हाल के दिनों में जेजेएमपी टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया है और पकड़े गए हैं. जेजेएमपी का प्रभाव क्षेत्र लातेहार के मनिका, बरवाडीह, चंदवा, बालूमाथ और पलामू के चैनपुर, रामगढ़ तक सीमित हो गया है. आत्मसमर्पण करने वाले भवानी भुइयां ने बताया है कि जेजेएमपी कमजोर हो गया है. इस संगठन में बेहद कम कैडर बचे हैं और काफी लोग संगठन छोड़कर भागने की फिराक में हैं.