पलामू: पैसों और कैडर की समस्या से जूझ रहे माओवादी बौखलाहट में हैं. यही कारण है कि रेलवे फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनी को माओवादियों ने निशाना बनाया है (Naxal attack on railway freight corridor). पिछले दो महीने के अंदर माओवादियों ने लातेहार के इलाके में फ्रेट कॉरिडोर बना रही कंस्ट्रक्शन कंपनी पर दो बार हमला किया है. दोनों हमलों के मामले में माओवादियों ने पर्चा छोड़कर जिम्मेवारी ली है और लेवी की मांग की है.
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दरअसल, इन्ही दो महीने में माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों का कब्जा (Security forces occupy Budha Pahar) हो गया है. माओवादी अपने सबसे सुरक्षित ठिकाने को छोड़ के भागने पर मजबूर हुए हैं. बूढ़ापहाड़ के इलाके को माओवादी छोड़कर भाग गए हैं और उनके पास पैसे और हथियार की कमी हो गई है. माओवादियों को झारखंड में सबसे अधिक कोयल शंख जोन से लेवी मिलती थी, लेकिन सुरक्षाबलों के दबाव के कारण इलाके में लेवी मिलना बेहद ही कम हो गया है.
दोनों हमलों में रबिन्द्र के दस्ते का हाथ: सुरक्षा जंक्शन के अनुसार माओवादियों के पैसे और कैडर समस्या को दूर करने की जिम्मेदारी रबिन्द्र गंझू को दी गई है. यही कारण है कि उसके दस्ते ने रेलवे को शार्ट टारगेट बनाते हुए लेवी लेने के लिए हमले को अंजाम दिया है. जिस इलाके में रेलवे पर लगातार हमले हुए हैं वह इलाका रबिन्द्र गंझू का सबसे सुरक्षित ठिकाना है. रबिन्द्र गंझू पर राज्य सरकार ने 15 लाख का इनाम घोषित कर रखा है. सुरक्षा एजेंसी के अनुसार उसके दस्ते में करीब 15 से 20 सदस्य शामिल हैं. बूढ़ा पहाड़ से निकल कर भागे कुछ नक्सली भी उसके साथ हो गए हैं. सुरक्षा एजेंसी के अनुसार माओवादी रेलवे स्ट्रक्शन कंपनी से करीब 5 करोड़ रुपय की लेवी वसूलना चाहते हैं.
लातेहार-लोहरदगा सीमा पर माओवादियों के खिलाफ शुरू हुआ है बड़ा अभियान: लातेहार के जिस इलाके में रेलवे के थर्ड लाइन परियोजना पर हमला हुआ था उस इलाके में डीआईजी राजकुमार लाकड़ा बुधवार को जांच के लिए पहुंचे थे. डीआईजी राजकुमार लाकड़ा ने बताया कि माओवादियों के खिलाफ अभियान जारी है, ऐसे तत्व जो लेवी वसूलना चाहते हैं उनके खिलाफ पुलिस सख्ती से निबटेगी.