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मुआवजा और नौकरी नहीं तो उत्खनन भी नहीं, राजहरा कोलियरी पर सांसद ने दी चेतावनी - Jharkhand news

पलामू में राजहरा कोलियरी में उत्खनन नहीं होने देने की चेतावनी सांसद वीडी राम ने दी है. उनका कहना है कि पहले रैयतो को मुआवजा दिया जाए उसके बाद ही खदान में उत्पादन शुरू किया जाए.

Cyber criminals become disaster for businessman
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Published : Jun 20, 2023, 8:44 PM IST

पलामू: जिले के चर्चित कोयला खदान राजहरा से उत्खनन नहीं होने देने की बात कही जा रही है. लोगों का कहना है कि पहले उत्खनन से प्रभावित रैयतों को मुआवजा और नौकरी दी जाए, उसके बाद ही खदान ने उत्पादन करने दिया जाएगा. दरसअल चर्चित राजहरा कोलियरी से उत्पादन के लिए 100 एकड़ से भी अधिक जमीन का अधिग्रहण सीसीएल द्वारा किया गया है. अधिग्रहित क्षेत्र के रैयतों को मुआवजा नहीं दिया गया है, जिस कारण पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने कोयला खदान से उत्खनन नहीं होने देने की चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ें: राजहरा कोलियरी की लौटेगी रौनक, सांसद की पहल से शुरू होगा उत्पादन

पलामू में कोयला खदान के उत्खनन पर सांसद विष्णु दयाल राम का कहना है कि राजहरा कोलियरी के चालू होने का वर्षों से इंतजार किया गया है, लेकिन पहले रैयतों को मुआवजा और नौकरी दी जाए उसके बाद ही उत्पादन शुरू किया जाए. रैयतों को मुआवजा दिए बिना उत्पादन कार्य सही और न्यायपूर्ण नहीं होगा. दरअसल राजहरा कोलियरी 2008 से बंद है. उत्पादन वाले इलाकों में पानी भर गया था जिस कारण खनन कार्य नहीं हुआ है. कोलियरी को फिर से चालू करने के कई प्रयास किए गए लेकिन वह सफल नहीं रहा. अंततः सीजीएल को नए क्षेत्रो में उत्पादन के लिए जमीन उपलब्ध करवाया गया है. राजहरा कोलियरी पूरे एशिया में उच्च क्षमता वाले कोयला के प्रसिद्ध है.यहां के कोयले में धुआं नहीं निकलता है और यह बेहद उच्च क्वालिटी का होता है.

2008 में सदाबह नदी का पानी कोलियरी के खनन क्षेत्र में भर गया था, जिसके बाद डीजीएमएस ने सुरक्षा कारणों से माइंस को बंद कर दिया गया. राजहरा कोलियरी में इलाके में 820 लाख टन कोयले का भंडार है इसमें सीएमपीडीआई ने सीसीएल को 500 लाख टन कोयला उत्पादन के लिए खनन की अनुमति दी है.

पलामू: जिले के चर्चित कोयला खदान राजहरा से उत्खनन नहीं होने देने की बात कही जा रही है. लोगों का कहना है कि पहले उत्खनन से प्रभावित रैयतों को मुआवजा और नौकरी दी जाए, उसके बाद ही खदान ने उत्पादन करने दिया जाएगा. दरसअल चर्चित राजहरा कोलियरी से उत्पादन के लिए 100 एकड़ से भी अधिक जमीन का अधिग्रहण सीसीएल द्वारा किया गया है. अधिग्रहित क्षेत्र के रैयतों को मुआवजा नहीं दिया गया है, जिस कारण पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने कोयला खदान से उत्खनन नहीं होने देने की चेतावनी दी है.

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पलामू में कोयला खदान के उत्खनन पर सांसद विष्णु दयाल राम का कहना है कि राजहरा कोलियरी के चालू होने का वर्षों से इंतजार किया गया है, लेकिन पहले रैयतों को मुआवजा और नौकरी दी जाए उसके बाद ही उत्पादन शुरू किया जाए. रैयतों को मुआवजा दिए बिना उत्पादन कार्य सही और न्यायपूर्ण नहीं होगा. दरअसल राजहरा कोलियरी 2008 से बंद है. उत्पादन वाले इलाकों में पानी भर गया था जिस कारण खनन कार्य नहीं हुआ है. कोलियरी को फिर से चालू करने के कई प्रयास किए गए लेकिन वह सफल नहीं रहा. अंततः सीजीएल को नए क्षेत्रो में उत्पादन के लिए जमीन उपलब्ध करवाया गया है. राजहरा कोलियरी पूरे एशिया में उच्च क्षमता वाले कोयला के प्रसिद्ध है.यहां के कोयले में धुआं नहीं निकलता है और यह बेहद उच्च क्वालिटी का होता है.

2008 में सदाबह नदी का पानी कोलियरी के खनन क्षेत्र में भर गया था, जिसके बाद डीजीएमएस ने सुरक्षा कारणों से माइंस को बंद कर दिया गया. राजहरा कोलियरी में इलाके में 820 लाख टन कोयले का भंडार है इसमें सीएमपीडीआई ने सीसीएल को 500 लाख टन कोयला उत्पादन के लिए खनन की अनुमति दी है.

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