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MNREGA Scheme In Palamu: पलामू में सुखाड़ से निबटने के लिए मनरेगा को किया जा रहा मजबूत, लापरवाही बरतनेवाले कर्मियों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई शुरू - पलामू न्यूज

पलामू में मनरेगा को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि सुखाड़ से निबटने में मनरेगा ज्यादा कारगर हो सके. वहीं मनरेगा के कार्यों में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्रशासन का पूरा फोकस मजदूरों के पलायन को रोकने पर है.

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MNREGA Scheme In Palamu
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Published : Feb 21, 2023, 7:06 PM IST

पलामू: झारखंड सुखाड़ से जूझ रहा है. पलामू के सभी प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया गया है. पलामू की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है और यहां पलायन एक बड़ी समस्या रही है. सुखाड़ को देखते हुए पलामू जिला प्रशासन ने एक साथ कई योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत मनरेगा को मजबूत किया जा रहा है. मनरेगा की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. पलामू में सुखाड़ के देखते हुए मनरेगा से कई योजनाओं की स्वीकृति दी जा रही है और अधिक से अधिक मजदूरों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

ये भी पढे़ं-Palamu MP Raised Migration Issue: पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने लोकसभा में उठाया पलायन का मुद्दा, फॉरेस्ट एक्ट के प्रावधानों में संशोधन की मांग

मनरेगा में लापरवही बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई शुरूः पलामू के विभिन्न इलाकों में मनरेगा में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हुई है. पिछले दो माह में दर्जन से अधिक पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि अनुबंध पर कार्य कर रहे तीन इंजीनियरों को भी बर्खास्त किया गया है. मनरेगा योजना में लापरवाही बरतने वाले मुखिया समेत कई अधिकारियों से वसूली भी शुरू हो गई है. जबकि आधा दर्जन के करीब प्रखंड विकास पदाधिकारियों को भी शो-कॉज किया गया है.

सुखाड़ को देखते हुए मनरेगा को बनाया जा रहा है मजबूतः इस संबंध में पलामू के उप विकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि सुखाड़ के हालात को देखते हुए मनरेगा को मजबूत किया जा रहा है. सुखाड़ के दौरान मजदूरों को रोजगार की जरूरत होगी. मनरेगा स्थानीय मजदूरों के लिए एक बड़ा विकल्प भी बनेगा. उप विकास आयुक्त ने बताया कि मनरेगा के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी और कर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रत्येक पंचायत के गांव में मनरेगा की योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है और स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने की पहल की जा रही. सुखाड़ के दौरान पलायन को रोकने के लिए मनरेगा एक बेहतर विकल्प बनकर उभरेगा.
पलामू में 3.34 लाख मनरेगा मजदूर निबंधित हैंः पलामू में मनरेगा के तहत 3.34 लाख मजदूर निबंधित हैं, जो पलामू की कुल आबादी के लगभग 15 प्रतिशत हैं. वित्तीय वर्ष 2022 देश में पलामू में अब तक 46 लाख मानव दिवस मनरेगा के तहत सृजत किए गए हैं. 129700 मजदूरों को 100 दिनों का रोजगार मिल चुका है. मनरेगा के तहत पलामू में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लगभग 2640 लाख रुपए जारी की गई है. सुखाड़ के हालात को देखते हुए मनरेगा की राशि को बढ़ाए जाने की उम्मीद है. मनरेगा के तहत प्रत्येक पंचायत में पांच से सात योजनाओं का चयन करने का भी निर्देश जारी किया गया है. पलामू से 53 हजार मजदूर वापस लौटे थे.

पलामू: झारखंड सुखाड़ से जूझ रहा है. पलामू के सभी प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया गया है. पलामू की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है और यहां पलायन एक बड़ी समस्या रही है. सुखाड़ को देखते हुए पलामू जिला प्रशासन ने एक साथ कई योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत मनरेगा को मजबूत किया जा रहा है. मनरेगा की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. पलामू में सुखाड़ के देखते हुए मनरेगा से कई योजनाओं की स्वीकृति दी जा रही है और अधिक से अधिक मजदूरों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

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मनरेगा में लापरवही बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई शुरूः पलामू के विभिन्न इलाकों में मनरेगा में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हुई है. पिछले दो माह में दर्जन से अधिक पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि अनुबंध पर कार्य कर रहे तीन इंजीनियरों को भी बर्खास्त किया गया है. मनरेगा योजना में लापरवाही बरतने वाले मुखिया समेत कई अधिकारियों से वसूली भी शुरू हो गई है. जबकि आधा दर्जन के करीब प्रखंड विकास पदाधिकारियों को भी शो-कॉज किया गया है.

सुखाड़ को देखते हुए मनरेगा को बनाया जा रहा है मजबूतः इस संबंध में पलामू के उप विकास आयुक्त रवि आनंद ने बताया कि सुखाड़ के हालात को देखते हुए मनरेगा को मजबूत किया जा रहा है. सुखाड़ के दौरान मजदूरों को रोजगार की जरूरत होगी. मनरेगा स्थानीय मजदूरों के लिए एक बड़ा विकल्प भी बनेगा. उप विकास आयुक्त ने बताया कि मनरेगा के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी और कर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रत्येक पंचायत के गांव में मनरेगा की योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है और स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने की पहल की जा रही. सुखाड़ के दौरान पलायन को रोकने के लिए मनरेगा एक बेहतर विकल्प बनकर उभरेगा.
पलामू में 3.34 लाख मनरेगा मजदूर निबंधित हैंः पलामू में मनरेगा के तहत 3.34 लाख मजदूर निबंधित हैं, जो पलामू की कुल आबादी के लगभग 15 प्रतिशत हैं. वित्तीय वर्ष 2022 देश में पलामू में अब तक 46 लाख मानव दिवस मनरेगा के तहत सृजत किए गए हैं. 129700 मजदूरों को 100 दिनों का रोजगार मिल चुका है. मनरेगा के तहत पलामू में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लगभग 2640 लाख रुपए जारी की गई है. सुखाड़ के हालात को देखते हुए मनरेगा की राशि को बढ़ाए जाने की उम्मीद है. मनरेगा के तहत प्रत्येक पंचायत में पांच से सात योजनाओं का चयन करने का भी निर्देश जारी किया गया है. पलामू से 53 हजार मजदूर वापस लौटे थे.

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