पलामू: सोशल मीडिया पर मोहब्बत की कहानियां अक्सर सामने आती है. सोशल मीडिया के माध्यम से वर्षों से बिछड़े लोग मिले तो कई लोगों का घर बसा. लेकिन, पलामू में सोशल मीडिया से नई पीढ़ी के बच्चे अनसोशल(असामाजिक) होते जा रहे हैं. पिछले ढाई महीने में 40 से अधिक मामले सामने आए जब नाबालिग सोशल मीडिया पर हुए प्यार के चक्कर पड़कर घर से भाग गए. ऐसे नाबालिग जोड़ों को पुलिस जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत दूसरे कई राज्यों से रिकवर कर वापस लाई है. बालिग जोड़ों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.
ज्यादातर मामलों में परिजनों को नहीं होती भनक
प्यार को पाने के लिए नाबालिग जोड़े सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर दूर भाग रहे हैं. मेदिनीनगर टाउन थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार माहथा बताते हैं कि ज्यादातर बच्चों को कानूनी जानकारी नहीं है. उनके रिश्ते को कानूनी रूप से मान्यता नहीं है. अधिकतर मामलों के परिजनों को भनक तक नहीं होती है कि उनके बेटे या बेटी के साथ किसकी दोस्ती है. सोशल मीडिया के जरिये दोस्ती होती है और प्यार के चक्कर में पड़कर भाग जाते हैं. ऐसे मामलों में नाबालिगों की संख्या बढ़ती जा रही है. पुलिस सभी से अपील करती है कि परिजन अपने बच्चों का ख्याल रखें.
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शादी के लिए जिद करते हैं नाबालिग
पुलिस का कहना है कि जब बच्चों को रिकवर कर वापस लाया जाता है तब वे शादी के लिए अड़ जाते हैं. पिछले दिनों ऐसा मामला सामने आया था कि एक लड़की अकेलेपन में एक बुजुर्ग के संपर्क में आकर उत्तर प्रदेश के हाथरस भाग गई थी. पलामू के युवा सन्नी शुक्ला बताते हैं कि सोशल साइट से नजदीक आना या दोस्ती बुरी बात नहीं है. लेकिन, नाबालिग इसके चक्कर में गलत कदम उठा रहे हैं. मां-बाप को बच्चों से खुलकर बातें करनी चाहिए. बच्चों को सही रास्ता बताने की जरूरत है.
दलदल में फंसते जा रहे नाबालिग
पलामू बाल निरीक्षण समिति की सदस्य इंदु भगत बताती हैं कि नाबालिगों में जागरूकता की काफी कमी है. वह दलदल में फंसते जा रहे हैं. उनके पास इस तरह के दर्जनों मामले आते हैं जो नाबालिगों के प्यार में भागने से जुड़े हैं. बच्चों को पता ही नहीं कि वे क्या कर रहे हैं. समाज में नाबालिगों के बीच जागरूकता लाने की जरूरत है.
कोर्ट में बयान से पलट जाते हैं नाबालिग
अधिवक्ता सुधा पांडेय बताती हैं कि इस तरह के मामलों में देखा गया है कि कोर्ट में नाबालिग अपने बयान से बदल जाते हैं. नाबालिगों को लेकर कानून में कई प्रावधान है और कई बंदिश भी है. बयान से पटलने के बाद केस ही खत्म हो जाता है.
मोहब्बत पर कोई पहरा नहीं है और न ही कोई इसके खिलाफ है. लेकिन, सोशल मीडिया जिस तरह बच्चों को अनसोशल बना रहा है तो ऐसे में मां-बाप को सोचने की आवश्यकता है. जरूरत है तो बच्चों को समझाने की. उन्हें सही और गलत बताने की ताकि वे रास्ता न भटकें.